तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो 10 कारणों से बचेगा केवल रूस vishwayudh
8 January 2016
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अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो इतना यकीन है कि अमेरिका और रूस आमने-सामने होंगे. दोनों ही न्यूक्लियर बम से लैस दुनिया की सबसे बड़ी ताकतें हैं और दूसरे विश्व युद्ध के बाद की दुनिया इन्हीं दोनों के बीच प्रतिद्वंदिता पर टिकी है. लिहाजा, युद्ध की स्थिति में आंकड़े कहते हैं कि न्यूक्लियर हमला ही निर्णायक स्थिति देगा और यदि ऐसी युद्ध हुआ तो रूस का जीतना लगभग तय है -
1. रूस ने 1,643 न्यूक्लियर मिसाइलें दागने के लिए तैयार रखी हैं जबकि अमेरिका की 1,642 मिलाइलें तैनात हैं.
2. रूस की सबसे खतरनाक मिसाइल SS-18 है. यह एक मिसाइल पूरे न्यूयार्क राज्य, न सिर्फ शहर को, पलक झपकते तबाह कर सकती है. नाटो ने इस मिलाइल का नाम सैटेन दिया है क्योंकि यह दस न्यूक्लियर बम से लैस और इसकी तबाही हिरोशिमा पर गिरे बम से लगभग डेढ़ हजार गुना है.
3. अमेरिका की 80 फीसदी जनसंख्या देश के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित है लिहाजा सटीक निशाने वाली कुछ ही मिसाइलें अमेरिका में जीवन का अंत कर देंगी. वहीं, रूस की जनसंख्या भले अमेरिका से बहुत कम है लेकिन वह पूरे देश में फैली हुई है. जानकारों का मानना है कि इसी के चलते रूस पहले और दूसरे न्यूक्लियर हमले के बाद भी बचा रहेगा.
4. युद्ध में दुश्मन के मस्तिष्क की स्थिति को पढ़ने की कला (रिफ्लेक्सिव कंट्रोल) में रूस ने महारत बना रखी है. रूस के जासूस दुनियाभर में अमेरिका के जासूसों से ज्यादा चुस्त हैं और युद्ध के समय इनकी भूमिका रूस की जीत को सुनिश्चित करना है.
5. वहीं अमेरिका की तैयारी का अंदाजा इसी बात से लगता है कि अब तक दो अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन और जिमी कार्टर न्यूक्लियर हमला करने के लिए जरूर कोड कार्ड गुम कर चुके हैं. खासतौर से क्लिंटन ने तो कई महीनों तक सूट के साथ कार्ड को ड्राई क्लीनिंग के लिए दे दिया था. वहीं ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं कि कमांड संभालने वाले अमेरिकी जनरल शराब की लत में पाए गए हैं और वोदका उनकी पसंदीदा ड्रिंक है.
अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो इतना यकीन है कि अमेरिका और रूस आमने-सामने होंगे. दोनों ही न्यूक्लियर बम से लैस दुनिया की सबसे बड़ी ताकतें हैं और दूसरे विश्व युद्ध के बाद की दुनिया इन्हीं दोनों के बीच प्रतिद्वंदिता पर टिकी है. लिहाजा, युद्ध की स्थिति में आंकड़े कहते हैं कि न्यूक्लियर हमला ही निर्णायक स्थिति देगा और यदि ऐसी युद्ध हुआ तो रूस का जीतना लगभग तय है -
1. रूस ने 1,643 न्यूक्लियर मिसाइलें दागने के लिए तैयार रखी हैं जबकि अमेरिका की 1,642 मिलाइलें तैनात हैं.
2. रूस की सबसे खतरनाक मिसाइल SS-18 है. यह एक मिसाइल पूरे न्यूयार्क राज्य, न सिर्फ शहर को, पलक झपकते तबाह कर सकती है. नाटो ने इस मिलाइल का नाम सैटेन दिया है क्योंकि यह दस न्यूक्लियर बम से लैस और इसकी तबाही हिरोशिमा पर गिरे बम से लगभग डेढ़ हजार गुना है.
3. अमेरिका की 80 फीसदी जनसंख्या देश के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित है लिहाजा सटीक निशाने वाली कुछ ही मिसाइलें अमेरिका में जीवन का अंत कर देंगी. वहीं, रूस की जनसंख्या भले अमेरिका से बहुत कम है लेकिन वह पूरे देश में फैली हुई है. जानकारों का मानना है कि इसी के चलते रूस पहले और दूसरे न्यूक्लियर हमले के बाद भी बचा रहेगा.
4. युद्ध में दुश्मन के मस्तिष्क की स्थिति को पढ़ने की कला (रिफ्लेक्सिव कंट्रोल) में रूस ने महारत बना रखी है. रूस के जासूस दुनियाभर में अमेरिका के जासूसों से ज्यादा चुस्त हैं और युद्ध के समय इनकी भूमिका रूस की जीत को सुनिश्चित करना है.
5. वहीं अमेरिका की तैयारी का अंदाजा इसी बात से लगता है कि अब तक दो अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन और जिमी कार्टर न्यूक्लियर हमला करने के लिए जरूर कोड कार्ड गुम कर चुके हैं. खासतौर से क्लिंटन ने तो कई महीनों तक सूट के साथ कार्ड को ड्राई क्लीनिंग के लिए दे दिया था. वहीं ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं कि कमांड संभालने वाले अमेरिकी जनरल शराब की लत में पाए गए हैं और वोदका उनकी पसंदीदा ड्रिंक है.
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