ऐसे स्थान, जहा छिपा है बेशकीमती खजाना indian place khajana
8 January 2016
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भारत हमेशा से ही धर्मो, पवित्र स्थानों का देश रहा है जहा सदियों तक राजा-महाराजाओं ने राज किया है। भारत में कई ऐसे महल व कई ऐसे स्थान हैं जहा बेशकीमती खजाना मौजूद है और जिसकी तालाश अभी बाकी है। हम आपकों कुछ ऐसे स्थानों के बारे बताने जा रहे है जिन्हें लेकर कई तरह की बाते कही जाती है।
जहांगीर का खजाना
जहांगीर का खजाना
राजस्थान से 150 किलोमीटर दूर अलवर का किला मौजूद है। इलाकों में प्रचलित कहानियों के मुताबिक मुगल शहंशाह जहांगीर अपने निर्वासन के दौरान अलवर में रहा था। इस दौरान जहांगीर ने अपना खजाना यहां किसी गुप्त जगह पर छिपा दिया था। कई लोग मानते हैं कि यह खजाना अभी भी अलवर में कहीं दबा हुआ है।
राजा मान सिंह का खजाना
मान सिंह प्रथम अकबर के दरबार में ऊंचे ओहदे पर थे। 1580 में मान सिंह ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल की थी। माना जाता है कि इस जीत में मिले खजाने को मान सिंह ने किसी स्थान पर छिपा दिया था। यह कहानी कितनी ठोस थी, इसका पता इस बात से चलता है कि आजादी के बाद इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस खजाने को खोजने का आदेश दिया था। इसको लेकर लंबे समय तक सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए थे। आधिकारिक रूप से यह खजाना अभी भी किस्से कहानियों का हिस्सा बना हुआ है और माना जाता है कि यह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर छिपा हुआ है।
कृष्णा नदी का खजाना
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय इलाके काफी समय से अपने हीरों के लिए प्रसिद्ध थे। एक समय में यह इलाका गोलकुंडा राज्य में शामिल था। विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी यहीं की खदानों से निकाला गया था। माना जाता है कि इलाके में कृष्णा नदी के तट पर कई हीरे खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं।
नादिर शाह का खजाना
नादिर शाह ने 1739 में भारत पर हमला कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। इस हमले में न केवल हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे, बल्कि नादिर शाह पूरी दिल्ली को भी लूटकर ले गया था। लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और बड़ी मात्रा में जवाहरात थे। सालों से चली आ रही कहानियों के मुताबिक माना जाता है कि युद्ध के उस माहौल में नादिर शाह पूरे खजाने पर अपनी नजर नहीं रख पाया। वापस जाते वक्त नादिर शाह के काफिले से जुड़े बड़े अफसर और सिपहसालारों ने इस खजाने का काफी हिस्सा छिपा दिया। इस बेशकीमती खजाने को अभी भी खोजा जाना बाकी है।
बिम्बिसार का खजाना
ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में बिम्बिसार मगध का राजा था। इसके बाद ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था। माना जाता है कि बिहार के राजगीर में बिम्बिसार का खजाना छिपा हुआ है। यहां पर स्थित दो गुफाओं (सोन भंडार गुफा) में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। माना जाता है कि इसमें ही खजाने से जुड़े संकेत छिपे हो सकते हैं। खजाने से जुड़े संकेत इतने ठोस थे कि अग्रेजों ने इस खजाने को खोजने के लिए तोप का सहारा लिया लेकिन असफल रहे थे। लोगों के मुताबिक संभव है कि यहां लिखे संकेतों से कहीं और छिपे खजाने का नक्शा मिल सके।
श्री मोक्कम्बिका मंदिर का खजाना, कर्नाटक
कर्नाटक के पश्चिमी घाट में कोलूर में स्थित मोक्कम्बिका मंदिर में भी खजाना होने की बात कही जाती है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर में सांपों के खास निशान बने हुए हैं। भारतीय मान्यताओं के मुताबिक छिपे हुए खजानों की रक्षा सांप करते हैं। ऐसे में पुराने समय में खजाना छिपाने वाले ऐसे चिह्न बनाते थे। इससे मंदिर से जुड़े लोगों को संकेत और चेतावनी दोनों मिल जाए। इस खजाने का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मंदिर में रखे जवाहरात की कीमत 100 करोड़ रुपए आंकी गई है। अभी तक खजाने का कोई सुराग नहीं मिला है।
राजा मान सिंह का खजाना
मान सिंह प्रथम अकबर के दरबार में ऊंचे ओहदे पर थे। 1580 में मान सिंह ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल की थी। माना जाता है कि इस जीत में मिले खजाने को मान सिंह ने किसी स्थान पर छिपा दिया था। यह कहानी कितनी ठोस थी, इसका पता इस बात से चलता है कि आजादी के बाद इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस खजाने को खोजने का आदेश दिया था। इसको लेकर लंबे समय तक सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए थे। आधिकारिक रूप से यह खजाना अभी भी किस्से कहानियों का हिस्सा बना हुआ है और माना जाता है कि यह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर छिपा हुआ है।
कृष्णा नदी का खजाना
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय इलाके काफी समय से अपने हीरों के लिए प्रसिद्ध थे। एक समय में यह इलाका गोलकुंडा राज्य में शामिल था। विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी यहीं की खदानों से निकाला गया था। माना जाता है कि इलाके में कृष्णा नदी के तट पर कई हीरे खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं।
नादिर शाह का खजाना
नादिर शाह ने 1739 में भारत पर हमला कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। इस हमले में न केवल हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे, बल्कि नादिर शाह पूरी दिल्ली को भी लूटकर ले गया था। लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और बड़ी मात्रा में जवाहरात थे। सालों से चली आ रही कहानियों के मुताबिक माना जाता है कि युद्ध के उस माहौल में नादिर शाह पूरे खजाने पर अपनी नजर नहीं रख पाया। वापस जाते वक्त नादिर शाह के काफिले से जुड़े बड़े अफसर और सिपहसालारों ने इस खजाने का काफी हिस्सा छिपा दिया। इस बेशकीमती खजाने को अभी भी खोजा जाना बाकी है।
बिम्बिसार का खजाना
ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में बिम्बिसार मगध का राजा था। इसके बाद ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था। माना जाता है कि बिहार के राजगीर में बिम्बिसार का खजाना छिपा हुआ है। यहां पर स्थित दो गुफाओं (सोन भंडार गुफा) में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। माना जाता है कि इसमें ही खजाने से जुड़े संकेत छिपे हो सकते हैं। खजाने से जुड़े संकेत इतने ठोस थे कि अग्रेजों ने इस खजाने को खोजने के लिए तोप का सहारा लिया लेकिन असफल रहे थे। लोगों के मुताबिक संभव है कि यहां लिखे संकेतों से कहीं और छिपे खजाने का नक्शा मिल सके।
श्री मोक्कम्बिका मंदिर का खजाना, कर्नाटक
कर्नाटक के पश्चिमी घाट में कोलूर में स्थित मोक्कम्बिका मंदिर में भी खजाना होने की बात कही जाती है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर में सांपों के खास निशान बने हुए हैं। भारतीय मान्यताओं के मुताबिक छिपे हुए खजानों की रक्षा सांप करते हैं। ऐसे में पुराने समय में खजाना छिपाने वाले ऐसे चिह्न बनाते थे। इससे मंदिर से जुड़े लोगों को संकेत और चेतावनी दोनों मिल जाए। इस खजाने का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मंदिर में रखे जवाहरात की कीमत 100 करोड़ रुपए आंकी गई है। अभी तक खजाने का कोई सुराग नहीं मिला है।
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