गुलामी और आधुनिक आजादी पर निबंध -कपतान सिंग
29 December 2015
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दोसतो आज हम ऐसे देश मे रहते है जो की ६८ साल पहले ही आजाद हो चूका है.पर कया हम आजाद सही मे आजाद है ? नही. आज भी हम सब कोइ ना कोइ जिमेदारी या बंधन की गुलामी मे फंसे हुअे हे.ओर कभी कभी तो हमे हमारे भारत देश के सवात्तंत्र दिवस के दिन भी छुटी नही मिलती है.
वेसे तो हर इनसान किसी ना किसी के दबाव मे रहेता है.सुबह होते ही हम सब अलॉम के सेट कीये हुअे समय पर उठ के रोबोंट की तरह तैयार होके अपने काम की अोर चल पडते है. कया कभी हमने ये सौचा हे की कयाइसी लिये हमने जनम लिया हे ? कया इसी लिये भगवान ने ये शृषटी रची हे ?नही दोसतो, हम कोई ओर ही दिशा मे जा रहे हैै. कयोंकी कुदरत का इरादा तो कुछ ओर ही था.जरा धयान से सोचो की मेरी तरह आप मे से कुछ लोग जोब करते होगे. तो हम दिन का जय़ादा हीसा कंपनी के काम मे वयतीत कर देते हे. बाकी का बचा हुआ समय हम सोने मे बीताते हे.तो इन सब के बाद हमारे पास कीतना समय बचता हे जिंदगी जिने या अेंजोय करने
जीहां मेरा साफ साफ कहना ये हे की आज हमारा भारत देश भले ही आजाद है पर
हम अब भी गुलामी मे जी रहे हे. और कभी कभी तो ऐसा लगता हे की हम पैसे
कमाने के लिये खुद को बेच रहे है.
वेसे तो इस विषय पर बहुत कुछ हे कहने के लिये पर आज बस इतना ही.
By -कपतान सिंग.
के लिये ?हम सब ऐक ऐसे जाल मे फंसे हुऐ हे की कुछ भी नया करने या सोचने के लिये
सवतंत्र नहि हे. जयादातर ये सेलेरी सीसटम ने ही हमे कीसी का गुलाम बना
दीया है.
सवतंत्र नहि हे. जयादातर ये सेलेरी सीसटम ने ही हमे कीसी का गुलाम बना
दीया है.
जीहां मेरा साफ साफ कहना ये हे की आज हमारा भारत देश भले ही आजाद है पर
हम अब भी गुलामी मे जी रहे हे. और कभी कभी तो ऐसा लगता हे की हम पैसे
कमाने के लिये खुद को बेच रहे है.
वेसे तो इस विषय पर बहुत कुछ हे कहने के लिये पर आज बस इतना ही.
By -कपतान सिंग.
Kaptan Singh ji, main aap ki baato se sahmat hun, aur sath hi apne Jeevan se Judi kuchh gyan hamare bich bantna chahunga, main bachpan se hi kuchh naya karne ki kosish kar raha hun, lekin mujhe fursat nahi mili ab tak aage kya hota hai pata kahi,,,, jab chhota tha to maa baap bandishe aur jab jawan huaa kuchh paisa bhi kamaya aur maa baap bhi gujar Gaye, lekin gulami pichha nahi chhorti, aage ummid hai aazad jeevan ho sakta hai , lekin saadi karu to jindagi fir se gulam, lekin kisi se pyar ho gaya aage Allah malik
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