अब नहीं दिखती में चिड़िया chidiya in hindi save nature
25 December 2015
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तब मालूम पड़ा की असल में हमारी प्यारी गौरैया अब तो विलुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल की जा चुकी है | यानि एक ऐसी प्रजाति जिसके विलुप्त होने का खतरा है | इसका मतलब की यदि उनके बचाव के लिए उन समस्याओं को दूर ना किया गया जिससे उनकी उत्तर जीविता खतरे मे है तो निकट भविष्य में उनकी समाप्ति सुनिश्चित है |
अपनी इतनी पुरानी दोस्त के लिए ऐसा पढ़ कर बहुत बुरा लगा | इसका मतलब अब आगे आने वाली पीढ़ी के लिए तो चिड़िया भी डायनासोर की तरह सिर्फ किताबों के पन्नो तक ही सीमित रह जाएँगी | काफी खोज और नेट पर ढूढने के बाद ये साफ़ हुआ की इन सबके पीछे तीन सबसे महतव्पूर्ण कारण
मोबाईल टावर और घरों में लगने वाले ए.सी से होने वाले विकिरण से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचता है | नतीजा पर्यावरण में रहने वाले हर एक प्राणी की ज़िन्दगी को खतरा उत्पन्न हो गया है | आज गौरैया गयी है कल और भी प्राणी धीरे धीरे ग़ायब हो जायेंगे | सिर्फ इतना ही नहीं खेतों में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक उर्वरक भी इस गौरैया के अस्तित्व को ख़त्म करने का एक कारण है, अंदाज़ा लगाइए इस उर्वरक से उत्पन्न अनाज खाकर हम कहाँ जायेंगे ?
पर्यावरण मे लगातार बढ़ रहा इस तरह का प्रदूषण आगे भी कई बड़े दुष्परिणाम सामने लायेगा | इससे पहले कि हम और भी कुछ खूबसूरत और प्यारी चीज़ खो दें , हमें अपने पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेना होगा और वो भी पर्यावरण दिवस का इंतज़ार किये बिना | क्यूँ कि मैं वाकई में अपनी प्यारी चिड़िया को खोना नहीं चाहती |
' SAVE NATURE , SAVE EARTH '
'चूं चूं करती आई चिड़िया, दाल का दाना लायी चिड़िया ||याद आया बचपन में या तो किताबों में या फिर दादी नानी के मूंह से या फिर किसी न किसी रूप में हम सबने ये कविता ज़रूर सुनी होगी | बड़ा मज़ा आता था सुनने में , और मज़ा तब और भी बढ़ जाता था जब ये कविता कानो तक तब पहुचती थी जब एक प्यारी सी गौरैया हमारे आंगन में या छज्जे में होती थी| पर अब ऐसा नहीं है, आज ये कविता कुछ सूनी सूनी हो गयी है | कारण आज कविता की पंक्तियों में तो चिड़िया है पर असल में वो कहीं ग़ायब हो गयी हैं
| मुझे याद है की अपनी दादी माँ की मृत्यु के बाद से लगभग पिछले 14 -15 सालों से हर रोज अपने छज्जे पर चिड़ियों के लिए खाना और पानी रखती हूँ | दो चार साल पहले तक लगभग सभी पक्षी खाने और पानी पीने आते थे पर अब दो तीन साल से वो छोटी सी प्यारी सी गौरैया पता नहीं कहाँ खो गयी नज़र ही नहीं आती | बहुत इंतजार किया उसका पर नहीं दिखी | सोचा नेट पर देखती हूँ शायद कुछ पता चले |
तब मालूम पड़ा की असल में हमारी प्यारी गौरैया अब तो विलुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल की जा चुकी है | यानि एक ऐसी प्रजाति जिसके विलुप्त होने का खतरा है | इसका मतलब की यदि उनके बचाव के लिए उन समस्याओं को दूर ना किया गया जिससे उनकी उत्तर जीविता खतरे मे है तो निकट भविष्य में उनकी समाप्ति सुनिश्चित है |
अपनी इतनी पुरानी दोस्त के लिए ऐसा पढ़ कर बहुत बुरा लगा | इसका मतलब अब आगे आने वाली पीढ़ी के लिए तो चिड़िया भी डायनासोर की तरह सिर्फ किताबों के पन्नो तक ही सीमित रह जाएँगी | काफी खोज और नेट पर ढूढने के बाद ये साफ़ हुआ की इन सबके पीछे तीन सबसे महतव्पूर्ण कारण
1 - जगह जगह लगने वाले मोबाईल टावर
2 - खतरनाक उर्वरकों का प्रयोग
3 - घरों में लगने वाले ए.सी
2 - खतरनाक उर्वरकों का प्रयोग
3 - घरों में लगने वाले ए.सी
मोबाईल टावर और घरों में लगने वाले ए.सी से होने वाले विकिरण से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचता है | नतीजा पर्यावरण में रहने वाले हर एक प्राणी की ज़िन्दगी को खतरा उत्पन्न हो गया है | आज गौरैया गयी है कल और भी प्राणी धीरे धीरे ग़ायब हो जायेंगे | सिर्फ इतना ही नहीं खेतों में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक उर्वरक भी इस गौरैया के अस्तित्व को ख़त्म करने का एक कारण है, अंदाज़ा लगाइए इस उर्वरक से उत्पन्न अनाज खाकर हम कहाँ जायेंगे ?
पर्यावरण मे लगातार बढ़ रहा इस तरह का प्रदूषण आगे भी कई बड़े दुष्परिणाम सामने लायेगा | इससे पहले कि हम और भी कुछ खूबसूरत और प्यारी चीज़ खो दें , हमें अपने पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेना होगा और वो भी पर्यावरण दिवस का इंतज़ार किये बिना | क्यूँ कि मैं वाकई में अपनी प्यारी चिड़िया को खोना नहीं चाहती |
' SAVE NATURE , SAVE EARTH '
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