चेहरे पर तिल हैं तो जानिए क्या कहते हैं Chehre par kala til


- यदि आपके माथे के दाहिनी ओर तिल है तो आपके पास धन हमेशा बढ़ता रहेगा।
- माथे के बायीं ओर तिल संकट भरे जीवन की ओर इशारा करता है।
- यदि ठुड्डी पर तिल है तो प्रेम संबंध में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- दोनों भौहों पर तिल है तो आपका अधिकांश समय यात्रा में बितेगा।
- दाहिनी आंख पर तिल अच्छे प्रेम संबंध को दर्शाता है।
- बायीं आंख का तिल घोर चिंता और दुख की ओर इशारा करता है।
- दाहिने गाल का तिल मतलब धनवान होने के योग हैं।
- बाये गाल पर तिल निर्धनता का प्रतीक है।
- होंठ पर तिल वाले कामुक होते हैं।
- होंठ के नीचे तिल वाले निर्धनता की ओर इशारा करते हैं।
- कान पर तिल वाले व्यक्ति अल्पायु होते हैं।
ध्यान रहे स्त्री के बायीं ओर के तिल शुभ होते हैं जबकि पुरुष के लिए दाहिनी ओर के तिल शुभ रहते हैं
भोगी होते हैं रसिक होंठ के जातक

समुद्र शास्त्र व शरीर लक्षण विज्ञान के अनुसार किसी भी व्यक्ति का चेहरा एक खुली किताब होता है, जिसके माध्यम से उसके व्यक्तित्व व स्वभाव के बारे में आसानी से जाना जा सकता है। चेहरे का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं होंठ। होंठ न सिर्फ चेहरे को सुंदरता प्रदान करते हैं अपितु कामवासना के पूरक भी माने जाते हैं। होंठों के प्रकार के अनुरूप ही व्यक्ति का स्वभाव भी होता है। होंठ के निम्न भेद होते हैं-
1- संकुचित होंठ- ऐसे होंठ छोटे व पतले होते हैं इनमें कोई रंग नहीं होता। ऐसे जातक दिखावटी, अक्षम होते हैं इनकी बोलने की क्षमता भी अपेक्षाकृत कम होती है।
2- मोटे होंठ- अधिक थुलथुले, मांस से भरपूर होंठ जो देखने में बदसूरत लगते हैं। ऐसे जातक क्रोधी स्वभाव, वासनात्मक वृत्ति, भावुक, शीघ्र आवेश में आने वाले, अपराधी व जिद्दी होते हैं।
3- रसिक होंठ- ऐसे होंठ लाल रंग, मृदुल, चिकने व दिखने में कलात्मक होते हैं। ऐसे जातक रमणीक, कामासक्त व भोगी होते हैं।  ऐसे घर में धन संबंधी परेशानी कभी नहीं होगी करे ye
4- लाल होंठ- इस प्रकार के होंठ कर्मठता के प्रतीक है। ऐसे जातक क्रोधी, उत्तेजनात्मक, हठी, उत्सुक व साहसी होते हैं।
5- गुलाबी होंठ- गुलाबी होंठो के जातक आदर्शवादी होते हैं। व्यवहार कुशलता, उदारता, विकसित बुद्धि, संतुलित, सरल व मृदु स्वभाव इनकी विशेषता होती है।
6- उभरे हुए होंठ- जिनके होंठ उभरे हुए होते हैं ऐसे जातक मांसाहारी, मंदबुद्धि, डरपोक, नीचसंगत, हीनभावना से ग्रसित रहते हैं।
हर जगह सुख तलाशें, पीड़ा को भुलाएं

इसे संसार का नियम कहें या मानव का स्वभाव, हर सुख में भी दु:ख, दर्द और पीड़ा खोज लेना हमारे व्यक्तित्व में शामिल है। हम बहुत खुश होते हैं तो भी या तो अतीत के दु:ख को याद करके दु:खी हो जाते हैं या फिर भविष्य की पीड़ाओं की कल्पना से सिहरते हैं। वर्तमान में रहिए, भीतर से अध्यात्म को जगाइए, कभी-कभी पीड़ा में भी सुख मिलता है। हर जगह सुख की तलाश करें। (यहाँ क्लिक से जाने इन 5 से सिर्फ पलभर का आनंद मिलता है Chanakya niti)

दु:ख कोई नहीं चाहता इसीलिए सुख के पीछे हर कोई भाग रहा है। दु:ख मिलता है तो पीड़ा होती है लेकिन सुख मिलने पर सुकून मिल जाए यह जरूरी नहीं होता। सुख की भी अपनी पीड़ा होती है और अध्यात्म समझाता है पीड़ा का भी अपना सुख होता है। आज महाभारत के एक पात्र से मुलाकात की जाए जिनका नाम है भीष्म। इनका सारा जीवन सुख की पीड़ा और पीड़ा के सुख के बीच में बीता। दोनों ही स्थितियों में

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