सोनी ज्वैलर्स कितना कमाते है आंखे फटी की फटी रह जायेगी


शादियों का सीजन और अक्षय तृतीया के चलते बाजार में सोने के आभूषण की डिमांड बढ़ रही है। सोने की कीमतों में भी पिछले कुछ समय के मुकाबले गिरावट देखने को मिली है। जिसके चलते लोग आभूषण खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

लेकिन सोना खरीदने की प्लानिंग कर रहे लोगों को एक बात का खास ख्याल रखना होगा। बाजार में मिलने वाली ज्वैलरी के दाम असल में सोने के दाम से ज्यादा हो सकते हैं।

यही नहीं ये दाम हर ज्वैलरी की दुकान पर भी अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसा क्यों होता है, क्यों आपकी ज्वैलरी की कीमतों में फर्क करना आता है, कैसे ज्वैलर्स आपकी जेब पर डाका डालते हैं ये हम आपको बताएंगे।

ज्वैलर लगाते हैं मनमाने मेकिंग चार्ज

ज्वैलर्स अक्सर बनी हुई ज्वैलरी को बेचते समय कस्टमर्स से बाजार में सोने के दाम के अतिरिक्त दाम भी वसूलते हैं। ये चार्ज मेकिंग चार्ज के रूप में वसूला जाता है। मेकिंग चार्ज कितना होगा ये ज्वैलरी और ज्वैलर्स पर निर्भर करता है। जिस क्वालिटी और ग्राम की ज्वैलरी होगी उसके मुताबिक ज्वैलर मनमाने ढंग से आपके चार्ज वसूलते हैं।

क्या होता है मेकिंग चार्ज

ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज अपने मन मुताबिक लगाते हैं। बड़े ज्वैलर्स के यहां मेकिंग चार्ज छोटे के मुकाबले अधिक होता है। मेकिंग चार्ज इस बात पर निर्भर करता है कि ज्वैलरी कैसी बन रही है। ज्वैलरी में चेन रिंग बैंगल्स और हेवी नेकलेस आदि होते हैं। इन पर औसतन 2700 रु प्रति 10 ग्राम से मेकिंग चार्ज वसूला जाता है।

ज्वैलर्स लेबर, वेस्टेज और बनाने में कितने दिन का समय लगा इन सब को जोड़कर मेकिंग चार्ज वसूलते हैं। कृष्ण गोयल चांदी वाले के मुताबिक मेकिंग चार्ज न्यूनतम 5 फीसदी से लेकर अधिकतम 20 -25 फीसदी तक जाता है।

 वहीं, जब सोने की ज्वैलरी घट जाती है तब छोटे ज्वैलर्स अपने मार्जिन को तो कम करते हैं, लेकिन मेकिंग चार्ज पर किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती।

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