दुनिया खत्म होने वाली हे कारण बन रहे हे कुछ ऐसे how earth will be destroyed


History of earth in hindi language पुराणों में ब्रम्हांड उत्पत्ति और प्रलय की बातों को सर्गों में विभाजित किया गया है हमारे मन में काई तरह के सवाल होते हे duniya ka ant video 2 october duniya khatam duniya ke ant ki bhavishyavani duniya ka vinash kab hoga prithvi ka vinash kalyug ka ant kab hoga dharti ka ant kab hoga kalyug kitne saal ka hai हालांकि पुराणों की इस धारणा को विस्तार से समझा पाना अत्यंत कठिन (Very Difficult) है, लेकिन यहां संक्षिप्त में क्रमबद्ध इसका विवरण दिए जाने कि कोशिश कि जा रही है
पुराणों के अनुसार विश्व ब्रह्मांड duniya ka vinash kab hoga how earth will be destroyed in hindi का क्रम विकास इस क्रम्नुसर हुआ है-

1. गर्भकाल : करोड़ों वर्ष पूर्व संपूर्ण धरती जल (Water) में डूबी हुई थी तब जल में ही तरह-तरह की वनस्पतियों का जन्म हुआ और फिर वनस्पतियों की तरह ही एक कोशीय बिंदु रूप जीवों की उत्पत्ति हुई
2. शैशव काल : फिर संपूर्ण धरती (Planet) जब जल में डूबी हुई थी तब जल के भीतर अम्दिज, अंडज, जरायुज, सरीसृप (रेंगने वाले) केवल मुख और वायु युक्त जीवों की उत्पत्ति हुई थी।

3. कुमार काल : इसके बाद पत्र ऋण, कीटभक्षी, हस्तपाद, नेत्र श्रवणेन्द्रियों युक्त जीवों की उत्पत्ति हुई। इनमें मानव रूप वानर, वामन, मानव (Human) इत्यादि थे।

4. किशोर काल : इसके बाद भ्रमणशील, आखेटक, वन्य संपदाभक्षी, गुहावासी, जिज्ञासु अल्पबुद्धि प्राणियों का विकास आरंभ हुआ।
5. युवा काल : फिर कृषि (Farming) , गोपालन, प्रशासन, समाज संगठन की प्रक्रिया हजारों वर्षों तक चलती रही और जो अभि भी चल रही है ।

6. प्रौढ़ काल : वर्तमान में प्रौढ़ावस्था का काल ही चल रहा है, जो लगभग विक्रम संवत 2042 ईसा पूर्व शुरू हुआ माना जाता है। इस काल में अतिविलासी, क्रूर, चरित्रहीन, लोलुप, यंत्राधीन इनसान एवं जानवर (Animal) धरती का नाश करने में लगे हैं।

7. वृद्ध काल : माना जाता है कि इसके बाद आगे तक केवल साधन भ्रष्ट, त्रस्त, निराश, निरूजमी, दुखी जीव रहेंगे।

8. जीर्ण काल : फिर इसके आगे अन्न, जल, वायु, ताप सबका अभाव क्षीण होगा और धरती पर जीवों के विनाश (Killing) की लीला आरंभ होगी। mayan calendar predictions in hindi mayan calendar in hindi language 2012 end of the world in hindi full movie history of earth in hindi pdf
9. उपराम काल : इसके बाद करोड़ों वर्षों आगे तक ऋतु (Atmosphere) अनियमित, सूर्य, चन्द्र, मेघ सभी विलुप्त हो जाएंगे। भूमि ज्वालामयी हो जाएगी। अकाल, प्रकृति प्रकोप के बाद ब्रह्मांड में आत्यंतिक प्रलय होगा और धरती का अंत (End f the World) समय आ जायेगा

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