जनेऊ क्यों पहनते है धारण मंत्र Importance janeu sanskar vidhi
30 November 2015
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ज्ञोपवीत(जनेऊ) एक उपनयन संस्कार है, जिसमें जनेऊ पहना जाता है। जनेऊ धारण करने की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। इसके बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।
ज्ञोपवीत(जनेऊ) एक उपनयन संस्कार है, जिसमें जनेऊ पहना जाता है। जनेऊ धारण करने की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। इसके बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।
द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म। ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। बशर्ते वह उसके नियमों का पालन करे। शास्त्रों के अनुसार जन्म से हर व्यक्ति शूद्र होता है।
आयुष्यमग्रम प्रतिमुंच शुभं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज:। janeu mantra in hindi Brahmins wear a white thread
(यहाँ क्लिक कर -ये 5 उपाय जीवन में करे अगर चाहिये उन्नति तो)
संस्कारों के बाद
वो ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य होता है जनेऊ में एक धागा तीन धागों से मिलकर बनता है। इस प्रकार शरीर पर नौ धागे धारण किए जाते हैं। हर धागे का एक गुण होता है। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ रखना आवश्यक है।
हाथ पैर धोकर और कुल्ला करके जनेऊ कान पर से उतारें। इसका शास्त्रीय कारण यह है कि शरीर के नाभि प्रदेश से ऊपरी भाग धार्मिक क्रिया के लिए पवित्र और उसके नीचे का हिस्सा अपवित्र माना गया है। एक कारण यह है कि कान के पीछे की दो नस होती हैं, जिनका संबंध आंतों से है। ऐसा करने से कब्ज, एसिडिटी, पेट रोग, रक्तचाप, हृदय रोगों से बचा जा सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि कान में जनेऊ लपेटने से लकवा नहीं होता है।
यज्ञोपवीत निम्न मन्त्र के द्वारा धारण किया जाता है-
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहज पुरस्तात्।आयुष्यमग्रम प्रतिमुंच शुभं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज:। janeu mantra in hindi Brahmins wear a white thread
(यहाँ क्लिक कर -ये 5 उपाय जीवन में करे अगर चाहिये उन्नति तो)
संस्कारों के बाद
वो ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य होता है जनेऊ में एक धागा तीन धागों से मिलकर बनता है। इस प्रकार शरीर पर नौ धागे धारण किए जाते हैं। हर धागे का एक गुण होता है। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ रखना आवश्यक है।
हाथ पैर धोकर और कुल्ला करके जनेऊ कान पर से उतारें। इसका शास्त्रीय कारण यह है कि शरीर के नाभि प्रदेश से ऊपरी भाग धार्मिक क्रिया के लिए पवित्र और उसके नीचे का हिस्सा अपवित्र माना गया है। एक कारण यह है कि कान के पीछे की दो नस होती हैं, जिनका संबंध आंतों से है। ऐसा करने से कब्ज, एसिडिटी, पेट रोग, रक्तचाप, हृदय रोगों से बचा जा सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि कान में जनेऊ लपेटने से लकवा नहीं होता है।
Janeu pahne ke bad Gharwali se Samband bana sakte he
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