टॉप भारतीय सीईओ प्रति माह सैलरी google facebook
2 October 2015
टॉप भारतीय सीईओ :
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की प्रति माह सैलरी 25.16 करोड़ रुपए है।- सुंदर पिचाई (गूगल),
- सत्य नाडेला (माइक्रोसॉफ्ट),
- शांतनु नारायण (अडोबी),
- रश्मि सिन्हा (स्लाइडशेयर),
- राजीव सूरी (नोकिया),
- जॉर्ज कुरियन/थॉमस कुरियन (नेटऐप/ओरेकल),
- पद्मश्री वॉरियर (सिस्को सिस्टम्स),
- विनोद खोसला (सन माइक्रोसिस्टम्स)
याहू की सीईओ मारिसा मेयर की प्रतिमाह सैलरी 64 करोड़ रुपए है।
दूर-दूर तक सुंदर घाटियों से घिरा, बेहद शांत और हरा-भरा अमेरिका की सांता क्लारा वैली देखकर एकाएक यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि यही अमेरिका की मशहूर सिलिकॉन वैली है। वह शहर जहां दुनिया को बदलकर रख देने वाली टेक्नॉलजी निरंतर बनती-संवरती रहती है। आखिर सैन फ्रांसिस्को बे एरिया के इस दक्षिणी हिस्से को कौन सी बातें सिलिकन वैली बनाती हैं, आइए जानें :
दुनिया में क्यों दबदबा
है सिलिकन वैली का
यूं पड़ा नाम : 1971 में पहली बार सांता क्लारा वैली के लिए लिखित रूप में सिलिकन वैली शब्द का इस्तेमाल किया गया था। तब वीकली ट्रेडर न्यूजपेपर इलेक्ट्रॉनिक न्यूज में इसी नाम से आर्टिकल्स की सीरीज चली थी। सिलिकन नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर सेमिकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों और कंप्यूटर इंडस्ट्री का भारी जमावड़ा है। सेमिकंडक्टर बनाने में चूंकि सिलिकन का इस्तेमाल होता है और यह इलाका सांता क्लारा वैली में पड़ता है इसलिए इस जगह को सिलिकन वैली नाम से जाना जाने लगा। सिलिकन वैली के विकास में स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी का बड़ा हाथ रहा है। 1890 से ही यूनिवर्सिटी के लीडर्स ने मिशन बना लिया था कि उन्हें स्थानीय स्तर पर ऐसी इंडस्ट्री खड़ी करनी है जो अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो।
यहीं पर सिलिकन आधारित इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), माइक्रोप्रोसेसर, माइक्रोकंप्यूटर जैसी चीजें बनीं। इसलिए फेवरिट : दुनिया में जितने स्टार्टअप्स यहां पर सफल हुए हैं उतने कहीं नहीं हुए हैं। यहां पर सरकार की तरफ से मिलने वाली बिजली सब्सिडी, सस्ता इंटरनेट, अच्छी छवि के कारण मार्केट जल्दी मिलना, निवेश ज्यादा होना आदि ऐसे कुछ कारण हैं, जिससे स्टार्टअप्स जल्दी सफल हो जाते हैं। अब जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिलिकॉन वैली है कि आने वाले समय में भारतीय स्टार्टअप्स भी सिलिकन वैली का फायदा ले सकते हैं। प्राइसवाटरहाउसकूपर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 की अंतिम तिमाही में अमेरिकी कंपनियों में 14.8 खरब डॅालर का निवेश किया गया, जिसमें 11.9 खरब डॅालर सिर्फ सिलिकन वैली और अन्य इंटरनेट बेस्ड कंपनियों में निवेश किए गए। l आबादी : 35 से 40 लाख आबादी है सिलिकन वैली की। एक तिहाई वैज्ञानिक व इंजीनियर माइग्रेंट्स। एक चौथाई हाई टेक फर्म चाइनीज (17%) व इंडियन (7%) सीईओ चला रहे हैं। l कंपनियां और टर्नओवर : सिलिकन वैली और इससे सटे क्षेत्र सैन फ्रांसिस्को में 30 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। सिलिकन वैली की टॉप कंपनियों में गूगल, ऐप्पल, अडोबी, फेसबुक, इंटेल, ओरेकल जैसे नाम शामिल हैं। फॉर्च्यून-500 की तर्ज पर यहां एसवी-150 कंपनियां हैं जिनका 2012-13 में रेवेन्यू करीब 53 लाख करोड़ रुपए था।
यहीं पर सिलिकन आधारित इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), माइक्रोप्रोसेसर, माइक्रोकंप्यूटर जैसी चीजें बनीं। इसलिए फेवरिट : दुनिया में जितने स्टार्टअप्स यहां पर सफल हुए हैं उतने कहीं नहीं हुए हैं। यहां पर सरकार की तरफ से मिलने वाली बिजली सब्सिडी, सस्ता इंटरनेट, अच्छी छवि के कारण मार्केट जल्दी मिलना, निवेश ज्यादा होना आदि ऐसे कुछ कारण हैं, जिससे स्टार्टअप्स जल्दी सफल हो जाते हैं। अब जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिलिकॉन वैली है कि आने वाले समय में भारतीय स्टार्टअप्स भी सिलिकन वैली का फायदा ले सकते हैं। प्राइसवाटरहाउसकूपर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 की अंतिम तिमाही में अमेरिकी कंपनियों में 14.8 खरब डॅालर का निवेश किया गया, जिसमें 11.9 खरब डॅालर सिर्फ सिलिकन वैली और अन्य इंटरनेट बेस्ड कंपनियों में निवेश किए गए। l आबादी : 35 से 40 लाख आबादी है सिलिकन वैली की। एक तिहाई वैज्ञानिक व इंजीनियर माइग्रेंट्स। एक चौथाई हाई टेक फर्म चाइनीज (17%) व इंडियन (7%) सीईओ चला रहे हैं। l कंपनियां और टर्नओवर : सिलिकन वैली और इससे सटे क्षेत्र सैन फ्रांसिस्को में 30 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं। सिलिकन वैली की टॉप कंपनियों में गूगल, ऐप्पल, अडोबी, फेसबुक, इंटेल, ओरेकल जैसे नाम शामिल हैं। फॉर्च्यून-500 की तर्ज पर यहां एसवी-150 कंपनियां हैं जिनका 2012-13 में रेवेन्यू करीब 53 लाख करोड़ रुपए था।
आविष्कार : सिलिकन वैली के शहर सैन जोस में 2005 में 3867 यूटिलिटी पेटेंट्स दाखिल हुए थे। यूएस में न्यू यॉर्क मेट्रोपॉलिटन एरिया और वॉशिंगटन मेट्रोपॉलिटन एरिया के बाद सिलिकन वैली ही तीसरा सबसे बड़ा हाई टेक सेंटर है। महंगाई : नौकरियों के मुकाबले यहां पर घर कम हैं इसलिए यहां की रिहाइश प्रॉडक्शन वर्कर्स की पहुंच से दूर है। सिलिकन वैली का सैंड हिल रोड दुनिया के सबसे महंगे कमर्शल इलाकों में से एक जॉब्स की भरमार : कुल आईटी वर्कर्स की एक चौथाई आबादी यहीं पर। 14,81,442 लोग यहां पर नौकरी करते हैं।