किसी को अपने वश में करना हो तो जानें यह मंत्र दर्शनशास्त्र philosophy
15 July 2015
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आचार्य चाणक्य कहते हैं - कुछ बातें ऐसी हैं जो पैसों से प्राप्त नहीं होती है इस श्लोक का अर्थ है कि संतोष रूपी अमृत सभी को प्राप्त नहीं होता है।
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"संतोषामृततृप्तानां यत्सुखं शान्तिरेव च।
न च तद्धनलुब्धानामितश्चेतश्च धावताम्।।
जिन लोगों के पास संतोष है उन्हें ही सच्चा सुख और शांति प्राप्त होती है। इसके विपरित लोभी लोगों को संतोष प्राप्त नहीं होता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग जीवनभर पैसों के पीछे भागते रहते हैं, सिर्फ धन के विषय में सोचते हैं उन्हें संतोष की प्राप्ति कभी नहीं होती। जिन लोगों के जीवन में संतोष नहीं होता है उन्हें कभी मानसिक शांति नहीं मिलती और वे सदैव बैचेन ही रहते हैं। धन के लालच में हर समय दौड़-धूप करने वाले लोग ना ही सुख प्राप्त कर पाते हैं और ना ही शांति।
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