नपुंसकता नामर्दी के लक्षण इलाज जल्दी निकलना napunsakta ka ilaj lakshan


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जो व्यक्ति यौन संबन्ध नहीं बना पाता या जल्द ही शिथिल हो जाता है, वह नपुंसकता का रोगी होता है। इसका सम्बंध सीधे जननेन्द्रिय से होता है। इस रोग में रोगी अपनी यह परेशानी, किसी दूसरे को नहीं बता पाता या सही उपचार नहीं करा पाता, मगर जब वह पत्नी को संभोग के दौरान पूरी सन्तुष्टि नहीं दे पाता, तो रोगी की पत्नी को पता चल ही जाता है कि वह नंपुसकता के शिकार हैं।
 इससे पति-पत्नी के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं और कई तरह के पारिवारिक मन मुटाव हो जाते हैं। बात यहां तक भी बढ़ जाती है कि आखिरी में उन्हें अलग होना पड़ता है। (यहाँ क्लिक से प्राईवेट पार्ट पेनिस के साइज मामले में भारतीय छोटे)

*कुछ लोग शारीरिक रूप से नपुंसक नहीं होते, लेकिन कुछ प्रचलित अंधविश्वासों के चक्कर में फसकर, सेक्स के शिकार होकर मानसिक रूप से नपुंसक हो जाते हैं। मानसिक नपुंसकता के रोगी अपनी पत्नी के पास जाने से डर जाते हैं। सहवास भी नहीं कर पाते और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

*नपुंसकता के दो कारण होते हैं। शारीरिक और मानसिक। चिन्ता और तनाव से ज्यादा घिरे रहने से मानसिक रोग होता है। नपुंसकता शरीर की कमजोरी के कारण होती है। ज्यादा मेहनत करने वाले व्यक्ति को जब पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता, तो कमजोरी बढ़ती जाती है और नपुंसकता पैदा हो सकती है। हस्तमैथुन, ज्यादा काम-वासना में लगे रहने वाले नवयुवक नपुंसक के शिकार होते हैं। ऐसे नवयुवकों की सहवास की इच्छा कम हो जाती है।

*मैथुन के योग्य ना रहना, नपुंसकता का मुख्य लक्षण है। थोड़े समय के लिए कामोत्तेजना होना, या थोड़े समय के लिए ही लिंगोत्थान होना, इसका दूसरा लक्षण है। मैथुन अथवा बहुमैथुन के कारण उत्पन्न ध्वजभंग नपुंसकता में शिशन पतला, टेढ़ा और छोटा भी हो जाता है। अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।

* नपुंसकता से परेशान रोगी को औषधियों खाने के साथ कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सुबह शाम किसी पार्क में घूमना चाहिए, खुले मैदान में, किसी नदी या झील के किनारे घूमना चाहिए। सुबह सूर्य उगने से पहले घूमना ज्यादा लाभदायक है। सुबह साफ पानी और हवा शरीर में पहुंचकर शक्ति और स्फूर्ति पैदा करती है। इससे खून भी साफ होता है।

• नपुंसकता के रोगी को अपने खाने (आहार) पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों घी, दूध, मक्खन के साथ सलाद भी ज़रूर खाना चाहिए। फ़ल और फ़लों के रस के सेवन से शारीरिक क्षमता बढ़ती है। नपुंसकता की चिकित्सा के चलते रोगी को अश्लील वातावरण और फिल्मों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसका मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे बुरे सपने भी आते हैं, जिसमें वीर्यस्खलन होता है।
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  • * ईसबगोल की भूसी 5 ग्राम और मिश्री 5 ग्राम दोनों को रोज सुबह के समय खायें और ऊपर से दूध पी लें। इससे शीध्रपतन की विकृति खत्म होती है।

    * ईसबगोल की भूसी और बड़े गोखरू का चूर्ण 20-20 ग्राम तथा छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण 5 ग्राम इन सबका चूर्ण बनाकर रोज 2 चम्मच गाय के दूध के साथ लें।

    * सफेद प्याज़ का रस 8 मिलीलीटर, अदरक का रस 6 मिलीलीटर और शहद 4 ग्राम, घी 3 ग्राम मिलाकर 6 हफ्ते खाने से नपुंसकता खत्म हो जाती है।

    * सफेद प्याज़ को कूटकर दो लीटर रस निकाल लें। इसमें 1 किलो शुद्ध शहद मिलाकर धीमी आग पर पकायें, जब सिर्फ शहद ही बच कर रह जाए, तो आग से उतार लें और उसमें आधा किलो सफेद मूसली का चूर्ण मिलाकर चीनी या शीशे के बर्तन में भर दें। 10 से 20 ग्राम तक दवा सुबह-शाम खाने से नामर्दी मिट जाती है।

    * जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द हो जाता है।

    * छुहारे को दूध में देर तक उबालकर खाने से और उसी दूध को पीने से नपुंसकता खत्म होती है।

    * रात को पानी में दो छुहारे और 5 ग्राम किशमिश भिगो दें। सुबह को पानी से निकालकर दोनों मेवे को दूध के साथ खायें।

    * बादाम की गिरी, मिश्री, सौंठ और काली मिर्च कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, कुछ हफ्ते खाने से और ऊपर से दूध पीने से धातु (वीर्य) का खत्म होना बन्द होता है।

    * बादाम को गर्म पानी में रात में भींगने दें। सुबह थोड़ी देर तक पकाकर पेय बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर रोज़ पीऐं, इससे मूत्रजनेन्द्रिय संस्थान के सारे रोग खत्म हो जाते हैं।

    * रोज गाजर का रस 200 मिलीलीटर पीने से मैथुन शक्ति (संभोग) बढ़ती है।

    * गाजर का हलवा, रोज़ 100 ग्राम खाने से सेक्स की क्षमता बढ़ती है।

    * कौंच के बीज के चूर्ण में तालमखाना और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 3 - 3 ग्राम की मात्रा में खाने और दूध के साथ पीने से नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

    * कौंच के बीजों की गिरी तथा राल ताल मखाने के बीज। दोनों को 25 - 25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर छान लें, फिर इसमें 50 ग्राम मिस्री मिला लें। इसमें 2 चम्मच चूर्ण रोज़ दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

    * गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज़ मिस्री और घी के साथ खाने से प्रबल मैथुन शक्ति विकसित होती है।

    * जायफल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम शाम को पानी के साथ खाने से 6 हफ्ते में ही धातु (वीर्य) की कमी और मैथुन में कमजोरी दूर होगी।

    * जायफल का चूर्ण एक चौथाई चम्मच सुबह - शाम शहद के साथ खाऐं और इसका तेल सरसों के तेल के मिलाकर शिश्न (लिंग) पर मलें।

    * बेल के पत्तों का रस 20 मिली लीटर निकालकर, उसमें सफेद जीरे का चूर्ण 5 ग्राम, मिस्री का चूर्ण 10 ग्राम के साथ खाने और दूध पीने से शरीर की कमजोरी ख़त्म होती है।

    * बेल के पत्तों का रस लेकर, उसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर शिश्नि पर 40 दिन तक लेप करने से नपुंसकता में लाभ होगा।

    * सफेद मूसली और मिस्री, बराबर मिलाकर, पीसकर चूर्ण बना कर रखें और चूर्ण बनाकर 5 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ खाने से शरीर की शक्ति और खोई हुई मैथुन शक्ति, वापस मिल जाती है।
    * सफेद मूसली 250 ग्राम बारीक चूर्ण बना लें। उसे 2 लीटर दूध में मिलाकर खोया बना लें। फिर 250 ग्राम घी में डालकर इस खोए को भून लें। ठंडा हो जाने पर आधा किलो पीसकर शक्कर (चीनी) मिलाकर पलेट या थाली में जमा लें। सुबह - शाम 20 ग्राम खाने से काम शक्ति बढ़ती है।

    * सफेद मूसली, सतावर, असगंध 50 - 50 ग्राम कूट छान कर, 10 ग्राम दवा सोते समय 250 मिली लीटर, कम गर्म दूध में खांड़ के संग मिलाकर लें।

    * सफेद मूसली 20 ग्राम, ताल मखाने के बीज 200 ग्राम और गोखरू 200 ग्राम। तीनों को पीसकर चूर्ण बनाकर रखें, फिर इसमें से 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ खायें।

    * सफेद मूसली और मिस्री, बराबर मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में खाने से नपुंसकता (नामर्दी) खत्म होती है।

    * भीगे चने सुबह - शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी खाने से, मैथुन शक्ति बढ़ती है और नंपुसकता ख़त्म होती है।

    * शतावर को दूध में देर तक उबाल कर मिस्री मिला लें और उस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म हो जाती है।

    * शतावर, असगंध, एला, कुलंजन और वंशलोचन का चूर्ण बनाकर रखें। 3 ग्राम चूर्ण में 6 ग्राम शक्कर को मिलाकर खाने से और फिर ऊपर से दूध पीने से कुछ महीनों में नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

    * शतावर और असगन्ध के 4 ग्राम चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

    * शतावर का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम को चीनी मिले दूध में, सुबह - शाम डालकर पीऐं, इससे नपुंसकता दूर होती है। शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

    * सेमल के पेड़ की छाल के 20 मिली लीटर रस में मिस्री मिलाकर, पीने से शरीर में वीर्य और मैथुन शक्ति बढ़ती है।

    * 10 - 10 ग्राम सेमल के चूर्ण और चीनी को 100 मिली लीटर पानी के साथ घोट कर सुबह - शाम लेने से बाजीकरण यानी संभोग शक्ति ठीक होती है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।

    * बड़ी गोखरू का फांट या घोल सुबह - शाम लेने से काम शक्ति यानी संभोग की वृद्धि दूर होती है। 250 मिलीलीटर को खुराक के रूप में सुबह और शाम सेवन करें।

    * बड़ा गोखरू और काले तिल, इन दोनों को 14 ग्राम की मात्रा में कूट - पीस लें। फिर इस को 1 किलो गाय के दूध में पकाकर खोआ बना लें। यह एक मात्रा है। इस खोयें को खाकर ऊपर से 250 मिली लीटर गाय के निकाले दूध के साथ पी लें। 40 दिन तक इसको खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।

    * 25 ग्राम बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण, 250 मिली लीटर उबले पानी में डालकर रखें। इसमें से थोड़ा - थोड़ा बार - बार पिलाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

    * बड़ी गोखरू के फल का चूर्ण 2 ग्राम को चीनी और घी के साथ सेवन करें तथा ऊपर से मिस्री मिले दूध का सेवन करने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

    * हस्तमैथुन की बुरी लत से पैदा हुई नपुंसकता को दूर करने के लिए 1 - 1 चम्मच, गोखरू के फ़ल का चूर्ण और काले तिल को मिलाकर शहद के साथ दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक सेवन करें। इससे नपुंसकता में लाभ होता है।

    * गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली, सफेद सेमर की कोमल जड़, आंवला, गिलोय का सत और मिस्री, बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम से लगभग 20 ग्राम तक चूर्ण दूध के साथ खाने से नपुंसकता और वीर्य की कमजोरी दूर होती है।

    * गोखरू को 3 बार दूध में उबालकर तीनों बार सुखाकर चूर्ण बनाकर खाने से नपुंसकता दूर होती है।

    * गोखरू का चूर्ण और तिल बराबर मिलाकर बकरी के दूध में पकाकर शहद में मिला लें और खायें। इससे अनेक प्रकार की नपुंसकता ख़त्म होती है।

    * देशी गोखरू 150 ग्राम पीसकर छान लें। इसे 5 - 5 ग्राम सुबह - शाम शहद में मिलाकर चाटने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ मिलता है।

    * गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच के बीजों की गिरी, बड़ी खिरेंटी तथा गंगरेन इन सबको 100 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में रात के समय फांककर ऊपर से गरम दूध पियें। 60 दिनों तक रोज़ खाने से वीर्य बढ़ता है और नपुंसकता दूर होती है।

    * विदारीकन्द के चूर्ण को घी, दूध और गूलर के रस के साथ खाने से प्रौढ़ पुरुष भी नवयुवकों की तरह मैथुन शक्ति प्राप्त कर सकता है।

    * 5 ग्राम विदारीकन्द को पीसकर लुगदी बना लें। इसे खाकर ऊपर से 5 ग्राम देशी घी और मिस्री मिलाकर, दूध के साथ पियें। यह बल और वीर्य को बढ़ाता है तथा इससे नपुंसकता दूर होती है।

    * सूखे सिंघाड़े को कूट पीसकर घी और चीनी के साथ हलवा बनाकर खाने से कुछ ही हफ्ते में नपुंसकता ख़त्म हो जाती है।

    * तरबूज़ के बीजों की गिरी 6 ग्राम, मिस्री 6 ग्राम मिलाकर, चबाकर खाने से और ऊपर से दूध पीने से शरीर में शक्ति विकसित होने से नपुंसकता (नामर्दी) ख़त्म होती है।

    * गेंदे के बीज 4 ग्राम और मिस्री 4 ग्राम को पीसकर कुछ दिनों तक खाने से वीर्य स्तंभन शक्ति का विकास होता है।

    * कैथ के सूखे पत्तों का चूर्ण 6 ग्राम रोज़ खाकर ऊपर से मिस्री मिलाकर, दूध पीने से धातु (वीर्य) बढ़ता है।

    * उड़द की दाल 40 ग्राम को पीसकर शहद और घी में मिलाकर खाने से पुरुष कुछ दिनों में ही मैथुन (संभोग) करने के लायक बन जाता है।

    * उड़द की दाल के थोड़े से लड्डू बना लें। उसमें से 2 - 2 लड्डू खायें और ऊपर से दूध पी लें। इससे नपुसकता दूर होती है।

    * इमली के बीजों को भून लें, फिर उनके छिलके अलग करके, उनका चूर्ण बनाकर रोज़ 3 ग्राम चूर्ण मिस्री के साथ खाने से वीर्य शक्ति बढ़ने लगती है और नपुंसकता दूर हो जाती है।

    * तुलसी की जड़ और ज़मीकन्द को पान में रखकर खाने से शीघ्रपतन की विकृति खत्म होती है।

    * धातु दुर्बलता में तुलसी के बीज 1 ग्राम दूध के साथ सुबह - शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

    * तुलसी के बीज या तुलसी की जड़ के चूर्ण में पुराना गुड़ समान मात्रा में मिलाकर 3 - 3 ग्राम की गोली बना लें। इसकी 1 - 1 गोली सुबह - शाम गाय के ताजे दूध के साथ लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

    * तुलसी की मंजरी या जड़ के 1 से 3 ग्राम बारीक चूर्ण में गुड़ मिलाकर ताजे दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है।

    * गंधक और शहद को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को शिश्न (लिंग) पर लेप करें। इससे वीर्य स्तंभन शक्ति में वृद्धि होती है।

    * काली मूसली का पाक बनाकर खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

    * काली मूसली 10 ग्राम की मात्रा में लेकर दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

    * काली मूसली की जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम मिस्री मिले, हल्के गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता में कुछ हद तक लाभ होता है।

    * काले तिल, सोंठ, पीपल, मिर्च, भारंगी और गुड़ समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े को 21 दिनों तक पीने से शरीर की गर्मी बढ़ती है।

    * जावित्री डेढ़ ग्राम, जायफल 10 ग्राम, बड़ी इलायची 10 ग्राम और अफीम आधा ग्राम को मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर सर्दियों में लगभग एक महीने तक खाने से नपुंसकता मिट जाती है। याद रहे, अफ़ीम नशाआवर है।

    * ग्वारपाठे का गूदा और गेहूं का आटा बराबर मात्रा में लेकर घी मिला लें। फिर इसके दुगुने वज़न के बराबर शक्कर (चीनी) लेकर हलुआ बनाकर खाने से 7 दिन में नपुंसकता दूर होती है।

    * 3 बोतल गुलाबजल में 10 ग्राम सोने का बुरादा डालकर कूटकर मिला लें। जब सब गुलाबजल उसमें समा जायें, तब निकालकर रख लें। लगभग आधा ग्राम मलाई में मिलाकर खाने से सहवास करने से जल्दी ही वीर्य पतन नहीं होता है।

    * अगर का चोया, पान में मिलाकर खाने से नामर्दी में लाभ होता है।

    * सहवास से 1 घण्टा पहले शिश्न पर लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग घी की मालिश करने से नपुंसकता नहीं रहती है।

    * मालकांगनी के तेल की 10 बूंदे नागबेल के पान पर लगाकर खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।

    नोट : औषधि खाने के साथ दूध और घी का प्रयोग ज्यादा करें।

    * मांलकांगनी के बीजों को खीर में मिलाकर खाने से नपुंसकता मिट जाती है।

    * मालकांगनी के दाने 50 ग्राम और 25 ग्राम शक्कर (शुगर) को आधा किलो गाय के दूध में डालकर आग पर चढ़ा दें। जब दूध का खोया बन जाए, तब उतारकर मोटी - मोटी गोली बनाकर रख लें और रोज़ 1 - 1 गोली सुबह - शाम गाय के दूध के साथ खायें। इससे नपुंसकता दूर होती है।

    * बड़ी कटेरी की 25 ग्राम ताजी जड़ की छाल को गाय के दूध में उबालकर पीने से नपुंसकता मिट जाती है।

    नोट : खटाई और बादीयुक्त समान ना खाऐं।

    * कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नामर्दी मिट जाती है।

    * जदवार 2 ग्राम खाने से काम शक्ति (संभोग) बढ़ती है।

    *जवासीद की गोंद को अकरकरा के साथ पीसकर तिल के तेल में मिलाकर लिंग पर लेप करने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।

    * धतूरे के बीज, अकरकरा और लौंग बराबर मात्रा में पीसकर चने के बराबर गोलियां बनाकर रोज सुबह - शाम 1 - 1 गोली का सेवन करें।

    * बहेड़े का चूर्ण 6 ग्राम, 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रोज़ खाने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर हो जाती है।

    * महुए के 25 ग्राम फूलों को 250 मिली लीटर दूध में उबालकर पीने से कमजोरी की नपुंसकता (नामर्दी) मिट जाती है।

    * सेमर की छोटी जड़ों को छाया में सुखाकर पका दें। पकाने के बाद इसकी जड़ों को खाने से नपुसंकता (नामर्दी) दूर होती है।

    * सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पकाकर लिंग पर मलें। इससे लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।

    * गोरखमुण्डी 75 ग्राम कूट छानकर इसमें 75 ग्राम खांड़ मिला लें। 10 ग्राम दवा सोते समय गर्म गर्म खांड़ मिले दूध के साथ लें।

    * गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को नीम के रस के साथ लेने से नपुंसकता (नामर्दी) में लाभ होता है।

    * लगभग 2 ग्राम कुलिंजन के चूर्ण को 10 ग्राम शहद में मिलाकर खाने से और ऊपर से गाय के दूध में शहद को मिलाकर पीने से काम शक्ति बढ़ती है।

    * 10 ग्राम असगन्ध नागौरी के बारीक चूर्ण को गाय के 500 मिली लीटर दूध में उबालें। जब 400 मिली लीटर दूध रह जाऐ, तब उसमें शहद मिलाकर 40 दिन तक पिऐं। इससे काम शक्ति बढ़ती है।

    * दालचीनी 75 ग्राम कूटकर छान लें। 5 ग्राम को पानी में पीसकर सोते समय लिंग पर सुपारी (लिंग का अगला हिस्से) को छोड़कर लेप करें और 2 - 2 ग्राम को सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता (नामर्दी) में आराम मिलता है।

    * सीम्बल की जड़ 100 ग्राम कूट छानकर 5 - 5 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह - शाम प्रयोग करने से नपुंसकता (नामर्दी) में आराम मिलता है।

    * मल्ल सिंदूर एक ग्राम का चौथा भाग, शहद और अदरक के रस को सुबह - शाम लें। इससे हस्तमैथुन से हुई नामर्दी दूर हो जाती है।

    * हल्दी और कपूर 10 - 10 ग्राम पीस लें, फिर 5 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह - शाम दूध के साथ लेना चाहिए।

    * चनसूर 10 ग्राम को दूध में उबालकर मिस्री के साथ सुबह - शाम खाऐं। इससे संभोग की शक्ति बढ़ जाती है।

    * कुलिजंन को मुंह में रखकर चूसते रहने से भी काम शक्ति में वृद्धि होती है।

    * जंगली उशवा के चूर्ण में 10 ग्राम का काढ़ा बनाकर रोज़ 1 मात्रा पीते रहने से नपुंसकता दूर होती है।

    * पटुओक (सन) के बीज का तेल खाने कें काम में आता है। जिससे शरीर हुष्ट पुष्ट होता है, कामोत्तेजना बढ़ती है। इस तेल की मालिश से चोट मोच का दर्द भी जल्दी ठीक होता है।

    * नपुंसकता और कामशक्ति में कमजोरी आने पर 60 ग्राम लहसुन की कली को घी में तलकर रोजाना खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

    * लहसुन की एक पुतिया घी में भूनकर शहद मे साथ खाने से कामोत्तेजना बढ़ती है।

    * रोज़ लगभग 20 दिन तक 4 - 5 लहसुन की कलियां दूध के साथ खाने से नपुंसकता में लाभ होता है।

    * प्याज़ के रस में घी और शहद मिला कर खाने से नपुंसकता दूर होती है। प्याज़ का रस 10 से 20 मिली लीटर रोज सुबह - शाम लें।

    * प्याज़ के हिस्से का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम मिस्री मिले, दूध के साथ सुबह - शाम प्रयोग करने से कामोत्तेजना की वृद्धि होती है।

    * जबाद कस्तूरी शिश्न यानी लिंग पर लेप करने से संभोग करने में ज्यादा आनन्द मिलता है। मगर इससे गर्भधारण नहीं होता है।

    * अगर का पुराना सेंट 1 से 2 बूंद को पान में डालकर खाने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता दूर होती है।

    * बाजीकरण के लिए छोटी इलायची का चूर्ण लगभग आधे से दो ग्राम तक सुबह - शाम खाऐं या मिस्री मिले गर्म - गर्म दूध के साथ रोज़ रात को सोने से पहले खाऐं।

    * केवटी मोथा के बीज 10 ग्राम पीसकर, मिस्री मिले गर्म गाय के दूध के साथ रोज़ शाम को पीने से नपुंसकता दूर हो जाती है।

    * सहजना के फूलों को दूध में उबाल कर रोज़ रात को मिस्री मिलाकर पीने से नपुंसकता की बीमारी दूर होकर लाभ होता है।

    * गुंजा (करजनी) की जड़ 2 ग्राम दूध में पकाकर भोजन से पहले रोज़ रात में खाने से पूरा लाभ होता है। वीर्य सम्बन्धी समस्त दोष दूर होते हैं।

    * केवांच (कपिकच्छू) के बीजों के बीच का हिस्सा का चूर्ण 2 से 6 ग्राम रोज़ रात को सोते समय मिस्री मिले गर्म दूध के साथ पीने से लाभदायक होता है।

    * अतिबला के बीज 4 से 8 ग्राम सुबह शाम मिस्री मिले गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता में पूरा लाभ होता है।

    * जमालगोटा के तेल को लिंग के ऊपर लगाने से लाभ मिलता है।

    * नपुंसकता को दूर करने के लियें तालमखाना के बीज का चूर्ण, 2 से 4 ग्राम केवाचं के बीज के साथ मिस्री मिले ताजे निकाले दूध के साथ सुबह - शाम पीने से लाभ होता है।

    * विष्णुकान्ता का रस 20 से 40 मिली लीटर या काढ़ा 40 से 80 मिली लीटर तक सुबह - शाम खाने से पूयमेह, शुक्र मेह, दुर्बल्यता (कमजोरी) आदि कष्ट दूर हो जाते है।

    * वनतुलसी के बीज 3 से 7 ग्राम लेकर मिस्री मिले गाय के दूध से लेने से लाभ होता है।

    * बड़ (बरगद) का दूध 20 से 30 बूंद रोज़ सवेरे बताशे या चीनी पर डालकर खाने से पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है। नपुंसकता दूर करने के लिए बताशे में दूध की 5 - 10 बूंदें सुबह - शाम रोज खाने से लाभ होता हैं।

    * बरगद के पेड़ की कोंपले और गूलर के पेड़ की छाल 3 - 3 ग्राम और मिस्री 6 ग्राम इन सबको पीसकर लुगदी सी बना लें और 3 बार मुंह में रखकर खालें और ऊपर से 250 मिली लीटर दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से ख़त्म शक्ति बढ़ती है।

    * सिरिस के फूलों का रस 20 से 40 मिली लीटर की मात्रा में सुबह - शाम मिस्री मिले दूध के साथ खाने से लाभ होगा और इससे शीघ्रपतन में भी लाभ होगा।

    * सिरिस के बीज का चूर्ण 1 से 2 ग्राम को मिस्री मिले दूध के साथ सुबह - शाम लेने से वीर्य गाढ़ा होता है।

    * सिरिस की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम घी में शक्कर मिलाकर गर्म दूध के साथ 2 बार खाऐं। अगर फूलों का रस, बीज का चूर्ण और छाल का चूर्ण एक साथ मिस्री मिले दूध के साथ खाया जाए, तो शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।

    * सिरस के थोड़े से बीज सुखाकर पीस लें। इसमें 3 ग्राम चूर्ण सुबह - शाम दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

    * नपुंसक व्यक्ति को मुनक्का खाने से वीर्य की वृद्धि होती है।

    * नपुंसकता में अंबर आधा से एक ग्राम सुबह - शाम मिस्री मिले दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

    * उटंगन के बीज, जो चपटे और रोमाच्छादित होते हैं, पानी में भिगोनें पर काफी लुआबदार हो जाते हैं। इनको शतावरी, कौंच बीच चूर्ण आदि के साथ सुबह शाम मिस्री मिले गर्म - गर्म दूध के साथ सेवन करने से काफी लाभ होता है।

    * बहमन सफेद या बहमन सुर्ख की जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह और शाम मिस्री को मिलाकर गर्म - गर्म दूध से खाने से कामोद्दीपन होता है।

    * ब्रहमदण्डी का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह शाम शहद के साथ सुबह - शाम खाने से पुरुषत्व शक्ति बढ़ती है।

    * सालव मिस्री का कनद चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह - शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है।

    * हरमल के बीज का चूर्ण 2 से 4 ग्राम मिस्री को मिलाकर गर्म - गर्म दूध के साथ सुबह - शाम लेने से लाभ होता है।

    * आम की मंजरी 5 ग्राम की मात्रा में सुखाकर दूध के साथ लेने से काम शक्ति बढ़ती है।

    * 2 - 3 महीने आम का रस पीने से ताक़त आती है। शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर मोटा होता है। इससे वात संस्थान (नर्वस सिस्टम) भी ठीक हो जाता है।

    * रोज़ मीठे अनार के 100 ग्राम दानों को दोपहर के समय खाने से संभोग शक्ति बढ़ाती है।

    * पिप्पली, उड़द, लाल चावल, जौ, गेहूं। सब को 100 - 100 ग्राम की मात्रा में लेकर आटा पीसकर फिर इसको देशी घी में पूरियां बनाकर, रोज़ 3 पूरियां 40 दिन तक खाऐं। ऊपर से दूध पी लें। इससे नपुंसकता दूर हो जाती है।

    * आंवलों का रस निकाल कर एक चम्मच आंवले के चूर्ण में मिलाकर लें। उसमें थोड़ी सी शक्कर (चीनी) और शहद मिलाकर घी के साथ सुबह - शाम खाऐं।

    * अरण्ड के बीज 5 ग्राम, पुराना गुड़ 10 ग्राम, तिल 5 ग्राम, बिनौले की गिरी 5 ग्राम, कूट 2 ग्राम, जायफल 2 ग्राम, जावित्री 2 ग्राम तथा अकरकरा 2 ग्राम। इन सबको कूट - पीसकर एक साफ कपड़े में रखकर, पोटली बना लें और इस पोटली को बकरी के दूध में उबालें। दूध जब अच्छी तरह पक जायें, तो इसे ठंड़ा करके 5 दिन तक पियें तथा पोटली से शिश्नि की सिंकाई करें।

    *मुलेठी, विदारीकन्द, तज, लौग, गोखरू, गिलोय और मूसली। सब चीजे 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण रोज 40 दिन तक सेवन करें।

    * नागौरी असगंध और विधारा। दोनों 250 - 250 ग्राम की मात्रा में लेकर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 चम्मच चूर्ण देसी घी या शहद के साथ लें।

    * सालम मिस्री, तोदरी सफेद, कौंच के बीजों की मींगी, ताल मखाना, सखाली के बीज, सफेद व काली मूसली, शतावर तथा बहमन लाल। इन सबका 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट पीस लें और चूर्ण बना लें। 2 चम्मच रोज़ दूध से 40 दिन तक बराबर खाने से पूरा लाभ होता है।

    *नारियल कामोत्तेजक है। वीर्य को गाढ़ा करता है।

    * 15 चिलगोजे रोज़ खाने से नपुंसकता दूर होती है।

    * शहद और दूध को मिलाकर पीने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। शरीर बलवान होता है।

    * अंकुरित गेहूंओं को बिना पकायें ही खाऐं। स्वाद के लिए गुड़ या किशमिश मिलाकर खा सकते हैं। इन अंकुरित गेहूंओं में विटामिन ´ई` मिलता है। यह नपुंसकता और बांझपन में लाभकारी है।

    * पिस्ता में विटामिन `ई´ बहुत होता है। विटामिन `ई´ से वीर्य बढ़ता है।

    * सफेद कनेर की जड़ की छाल बारीक पीसकर भटकटैया के रस में खरल करके 21 दिन इन्द्री की सुपारी छोड़कर लेप करने से तेजी आ जाती है।

    * किसी कपड़े को आक के दूध में चौबीस घंटे तक भिगोकर रखा रहने दें, उसके बाद निकालकर सुखा लें। फिर उस पर घी लपेट कर 2 बत्तियां बना लें और उसको लोहे की सलाई पर रखे। नीचे एक कांसे की थाली रख दे और बत्तियां जला दें, जो तेल नीचे थाली पर गिरेगा। उसे लिंग पर सुपारी छोड़ कर पूरे पर मलते रहें। आधा घंटे तक, उसके बाद एरण्ड का पत्ता लपेट कर ऊपर से कच्चा धागा बांध दें। इससे हस्तमैथुन का दोष दूर हो जाता है।

    * लौंग 8 ग्राम, जायफल 12 ग्राम, अफीम शुद्ध 16 ग्राम, कस्तूरी लगभग आधा ग्राम, इनको कूट पीसकर शहद में मिलाकर आधे आधे ग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। 1 गोली बंगला पान में रखकर खाने से स्तम्भन होता है। अगर स्तम्भन ज्यादा हो जाऐ, तो खटाई खा ले। स्खलन हो जायेगा।

    * चमेली के पत्तों का रस तिल के तेल की बराबर की मात्रा में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए और केवल तेल शेष रह जाए, तो इस तेल की मालिश शिश्न पर सुबह - शाम प्रतिदिन करना चाहिए। इससे नपुंसकता और शीघ्रपतन नष्ट हो जाता है।

    * ढाक की जड़ का काढ़ा आधा कप की मात्रा दिन में 2 बार पीने से, बीज का तेल शिश्न पर मुण्ड छोड़कर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।

    * हींग को शहद के साथ पीसकर शिश्न या लिंग पर लेप करने से वीर्य ज्यादा देर तक रुकता है और संभोग करने में आंनद मिलता है।

    * मालकांगनी के तेल को पान के पत्ते पर लगा कर रात में शिशन (लिंग) पर लपेटकर सो जाऐं और 2 ग्राम बीजों को दूध की खीर के साथ सुबह - शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।

    * छुआरों के अन्दर की गुठली निकाल कर उनमें आक का दूध भर दे, फिर इनके ऊपर आटा लपेट कर पकायें, ऊपर का आटा जल जाने पर छुआरों को पीसकर मटर जैसी गोलियां बना लें, रात्रि के समय 1 - 2 गोली खाकर तथा दूध पीने से स्तम्भन होता है।

    * आक की छाया सूखी जड़ के 20 ग्राम चूर्ण को 500 मिली लीटर दूध में उबालकर दही जमाकर घी तैयार करें, इसके सेवन से नामर्दी दूर होती है।

    * आक का दूध असली मधु और गाय का घी, समभाग 4 - 5 घंटे खरल कर शीशी में भरकर रख लें, इन्द्री की सीवन और सुपारी को बचाकर इसकी धीरे धीरे मालिश करें और ऊपर से खाने का पान और एरण्ड का पत्ता बांध दें, इस प्रकार सात दिन मालिश करें। फिर 15 दिन छोड़कर पुन: मालिश करने से शिश्न के समस्त रोंगों में लाभ होता है।

    * मुलहठी का पीसा हुआ चूर्ण 10 ग्राम, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिस्री मिले गर्म गर्म दूध पीने से नपुंसकता में लाभ होता है।

    *जटामांसी, सोठ, जायफल और लौंग। सबको समान मात्रा में लेकर पीस लें। 1 - 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार खाऐं।

    * आधा चम्मच काकड़ासिंगी कोष का बारीक चूर्ण एक कप दूध के साथ सुबह - शाम सेवन कराते रहने से कुछ हफ्ते में नपुंसकता में पूरा लाभ मिलेगा।

    * कलौंजी के तेल को शिश्न व कमर पर नियमित रूप से सुबह - शाम कुछ हफ्तों तक मालिश करते रहने से यह रोग दूर हो जायेगा।

    * सफेद कनेर की 10 ग्राम जड़ को पीसकर 20 ग्राम वनस्पति घी में पकायें। फिर ठंड़ा करके जमने पर इसे शिश्न पर सुबह - शाम लगाने से नपुंसकता में आराम मिलता है।

    * रोगी के लिंग पर पान के पत्ते बांधने से और पान के पत्ते पर मालकांगनी का तेल 10 बूंद लगाकर दिन में 2 से 3 बार कुछ दिन खाने से नपुंसकता दूर होती है। इस प्रयोग के दौरान दूध, घी का अधिक मात्रा में सेवन जारी रखें।

    * ध्वज भंग रोग में पान को चबाने से और रोगी के लिंग पर बांधने से लाभ होता है।

    * घी में कपूर को घिसकर शिशन (पेनिस) के ऊपर मालिश करें। प्रयोग रोज़ कुछ हफ्ते तक करें।

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