फायदे की फसल 30 हजार रुपए किलो रेट income
2 November 2020
हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुर्लभ गुच्छी (MOREL) की तलाश में कई गांव के गांव इन दिनों खाली हो गए हैं। पांच सितारा होटलों के लजीज पकवानों में गिनी जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के उगने से ऊपरी शिमला के जंगल में इसे ढूंढने के लिए ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
प्रकृति के खजाने के इस कीमती तोहफे को पाने के लिए ग्रामीणों में हर बार की तरह कड़ी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। ऐसा माना जाता है कि इसका नियमित रूप से उपयोग करने से दिल की बीमारियां मनुष्य को नहीं होती हैं। और जो हार्ट पेशेंट इस का उपयोग करते हैं उन्हें भी फायदा होता है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, लेकिन इसे हिंदी में स्पंज मशरूम कहा जाता है। आपने कई कमाई करने बाली खेती का नाम सुना होगा जैसे -लिलियम फूल की खेती खेती के प्रकार खेती से करोड़पति खेती की जानकारी खेती से कमाई की खेती करने के तरीके एलोवेरा की खेती से लाभ एलोवेरा की खेती कैसे करें
पर आज आपको हिमाचल के पर्वतीय इलाकों में बर्फ पिघलने के कुछ ही दिन बाद ये उगती है। इस दौरान ग्रामीणों से इसे खरीदने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि भी इन इलाकों में पहुंच जाते हैं। ये लोग गुच्छी ढूंढ़कर लाने वालों को तो 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बेचते हैं पर खुद इसे कम से कम 30 हजार रुपए प्रति किलों की दर से बेचते हैं। गुच्छी को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में इकट्ठा करने के लिए कई क्षेत्रों में ग्रामीण और नेपाली मजदूर जंगलों में ही डेरा डाल लेते हैं।
प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी शिमला जिले के तकरीबन सभी जगंलों में फरवरी से लेकर अप्रैल माह के बीच तक ही मिलती है। झाडिय़ों व घनी घास के बीच पाए जाने वाली गुच्छी को ढूंढने के लिए पैनी नजर व कड़ी मेहनत की जरूरत रहती है। ज्यादा से ज्यादा गुच्छियां हासिल करने के लिए ग्रामीण सुबह सबसे पहले जंगल पहुंच कर गुच्छी की तलाश का अभियान शुरू करते हैं।
सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं लोग
गुच्छी ढूंढने के काम में मिलने वाले बढिय़ा मुनाफे को देखते हुए क्षेत्रवासी बेसब्री से गुच्छियों के उगने के सीजन का इंतजार करते हैं। क्षेत्र में रहने वाले नेपाली मजूदरों के अलावा बेरोजगार युवक-युवतियां भी गुच्छियां ढूंढ कर अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं। विदेशों में अच्छी मांग प्रदेश के अलावा हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर में भी गुच्छी को दूसरे देशों को निर्यात होता है।
कुल्लू जिला में अमरीका, यूरोप, फ्रांस, इटली व स्विट्जरलैंड को गुच्छी भेजी जाती है। यहां के लोग कुल्लू की गुच्छी को खूब पसंद करते हैं। अमीरों की सब्जी गरीब की रोजी मशरूम प्रजाति की गुच्छी आजकल अमीर घरों की पहली पसंद है। इसमें विटामिन-बी और डी के अलावा सी और के भर प्रचूर मात्रा में होता है।
प्रकृति के खजाने के इस कीमती तोहफे को पाने के लिए ग्रामीणों में हर बार की तरह कड़ी प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। ऐसा माना जाता है कि इसका नियमित रूप से उपयोग करने से दिल की बीमारियां मनुष्य को नहीं होती हैं। और जो हार्ट पेशेंट इस का उपयोग करते हैं उन्हें भी फायदा होता है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, लेकिन इसे हिंदी में स्पंज मशरूम कहा जाता है। आपने कई कमाई करने बाली खेती का नाम सुना होगा जैसे -लिलियम फूल की खेती खेती के प्रकार खेती से करोड़पति खेती की जानकारी खेती से कमाई की खेती करने के तरीके एलोवेरा की खेती से लाभ एलोवेरा की खेती कैसे करें
पर आज आपको हिमाचल के पर्वतीय इलाकों में बर्फ पिघलने के कुछ ही दिन बाद ये उगती है। इस दौरान ग्रामीणों से इसे खरीदने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि भी इन इलाकों में पहुंच जाते हैं। ये लोग गुच्छी ढूंढ़कर लाने वालों को तो 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बेचते हैं पर खुद इसे कम से कम 30 हजार रुपए प्रति किलों की दर से बेचते हैं। गुच्छी को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में इकट्ठा करने के लिए कई क्षेत्रों में ग्रामीण और नेपाली मजदूर जंगलों में ही डेरा डाल लेते हैं।
प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी शिमला जिले के तकरीबन सभी जगंलों में फरवरी से लेकर अप्रैल माह के बीच तक ही मिलती है। झाडिय़ों व घनी घास के बीच पाए जाने वाली गुच्छी को ढूंढने के लिए पैनी नजर व कड़ी मेहनत की जरूरत रहती है। ज्यादा से ज्यादा गुच्छियां हासिल करने के लिए ग्रामीण सुबह सबसे पहले जंगल पहुंच कर गुच्छी की तलाश का अभियान शुरू करते हैं।
सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं लोग
गुच्छी ढूंढने के काम में मिलने वाले बढिय़ा मुनाफे को देखते हुए क्षेत्रवासी बेसब्री से गुच्छियों के उगने के सीजन का इंतजार करते हैं। क्षेत्र में रहने वाले नेपाली मजूदरों के अलावा बेरोजगार युवक-युवतियां भी गुच्छियां ढूंढ कर अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं। विदेशों में अच्छी मांग प्रदेश के अलावा हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर में भी गुच्छी को दूसरे देशों को निर्यात होता है।
कुल्लू जिला में अमरीका, यूरोप, फ्रांस, इटली व स्विट्जरलैंड को गुच्छी भेजी जाती है। यहां के लोग कुल्लू की गुच्छी को खूब पसंद करते हैं। अमीरों की सब्जी गरीब की रोजी मशरूम प्रजाति की गुच्छी आजकल अमीर घरों की पहली पसंद है। इसमें विटामिन-बी और डी के अलावा सी और के भर प्रचूर मात्रा में होता है।