गांगुली ने धोनी को 3 नंबर पर नहीं भेजा होता तो आज धोनी न होते ms dhoni ganguli facts india cricket team
12 July 2019
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Ms dhoni biography hindi facts यूं ही कोई महेंद्र सिंह धोनी नहीं बन जाता. इसके लिए जरूरत होती है एक मौके की, एक विश्वास की और विश्वास जताने वाले शख्स की. यह सब धोनी को उस कप्तान ने दिया था जिसने टीम इंडिया को लड़कर जीतना सिखाया और ये कप्तान थे सौरव गांगुली. गांगुली ही वो शख्स थे जिन्होंने धोनी को भारतीय क्रिकेट में सिक्का जमाने के लिए मौका दिया.
गांगुली ने अपने रिस्क पर धोनी को 3 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा था. तब धोनी 7 नम्बर पर बेटिंग करते थे उस 2004 मैच के बाद गांगुली ने कहा था, 'मैंने उसकी बल्लेबाजी देखी थी. वो ईस्ट जोन के लिए वनडे खेल रहा था. मुझे लगा था कि उसके आक्रामक तेवरों को एक बड़े प्लेटफॉर्म की जरूरत है. उसे हमने ऊपर भेजा और इससे धओनी का आत्मविश्वास भी बढ़ा और साथ ही पाकिस्तानी भी चौंक गए.'
गांगुली ने बताया, 'जब धोनी 2004 में टीम में आए तो उन्होंने शुरुआती 2 मैचों में नंबर 7 पर बल्लेबाजी की. पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच के लिए जब टीम की घोषणा हुई तब भी धोनी के लिए 7वां नंबर ही तय था. उस वक्त मैं अपने कमरे में बैठकर न्यूज देखते हुए सोच रहा था कि उन्हें (धोनी) एक खिलाड़ी कैसे बनाऊं, मुझे दिख रहा था कि उनमें क्षमता थी. अगली सुबह हम टॉस जीते और मैंने सोच लिया कि आज धोनी को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजूंगा और फिर जो होगा देखा जाएगा.'
धोनी के लिए हुई थी लड़ाईगांगुली ने अपने रिस्क पर धोनी को 3 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा था. तब धोनी 7 नम्बर पर बेटिंग करते थे उस 2004 मैच के बाद गांगुली ने कहा था, 'मैंने उसकी बल्लेबाजी देखी थी. वो ईस्ट जोन के लिए वनडे खेल रहा था. मुझे लगा था कि उसके आक्रामक तेवरों को एक बड़े प्लेटफॉर्म की जरूरत है. उसे हमने ऊपर भेजा और इससे धओनी का आत्मविश्वास भी बढ़ा और साथ ही पाकिस्तानी भी चौंक गए.'
गांगुली ने लिए था रिस्क
गांगुली ने बताया, 'जब धोनी 2004 में टीम में आए तो उन्होंने शुरुआती 2 मैचों में नंबर 7 पर बल्लेबाजी की. पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच के लिए जब टीम की घोषणा हुई तब भी धोनी के लिए 7वां नंबर ही तय था. उस वक्त मैं अपने कमरे में बैठकर न्यूज देखते हुए सोच रहा था कि उन्हें (धोनी) एक खिलाड़ी कैसे बनाऊं, मुझे दिख रहा था कि उनमें क्षमता थी. अगली सुबह हम टॉस जीते और मैंने सोच लिया कि आज धोनी को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजूंगा और फिर जो होगा देखा जाएगा.'
धोनी जब टीम इंडिया में बतौर विकेटकीपर शामिल हुए तब दीप दासगुप्ता टीम के लिए विकेटकीपिंग करते थे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी धोनी जैसी नहीं थी. उस समय एक पक्ष ऐसा था जो चाहता था कि दीप दासगुप्ता ही टीम के विकेटकीपर बने रहें, वहीं एक दूसरा पक्ष भी था जिसे धोनी ने अपनी बल्लेबाजी का दिवाना बना दिया था.
चयनकर्ताओं के पूर्व चेयरमैन किरण मोरे ने एक बार कहा कि धोनी के सेलेक्शन को लेकर सेलेक्टर्स के बीच झगड़ा भी हो गया था. पूर्व क्रिकेटर किरण मोरे ने खुलासा किया कि इंडियन क्रिकेट टीम में धोनी की राह आसान नहीं थी. लेकिन धोनी ने अपने बल्ले के दम पर कप्तान गांगुली का दिल जीता और टीम में अहम जगह बनाई.
गांगुली ने धोनी को तीसरे नंबर पर नहीं भेजा होता तो शायद आज धोनी वो न होते जिसके लिए पूरी दुनिया उनकी दिवानी है.
गांगुली ने अपनी आत्मकथा में लिखा, 'काश 2003 वर्ल्ड कप में महेंद्र सिंह धोनी भारतीय टीम का हिस्सा होते. मुझे पता चला कि जब हम विश्व कप खेल रहे थे तो उस वक्त धोनी भारतीय रेल के साथ बतौर टिकट कलेक्टर जुड़े हुए थे.
यह अविश्वसनीय है!' गांगुली ने अपनी किताब में लिखा, 'मैं कई वर्षों से ऐसे खिलाड़ियों पर नजर बनाए हुए था. मुझे धोनी जैसे दबाव के क्षणों में भी शांत रहने वाले खिलाड़ियों की जरूरत थी. साथ ही जिनमें अकेले अपने दम पर पूरे मैच का रुख ही नहीं बल्कि उसका उसका परिणाम बदल देने की काबिलियत हो.
साल 2004 में मेरा ध्यान धोनी पर गया. वे इसी तरह के खिलाड़ी हैं और उनकी क्षमता और प्रतिभा गजब की है. मैं पहले दिन से ही धोनी से प्रभावित था.'
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