बाल ठाकरे का जीवन परिचय जाति balasaheb thakre caste jati biography in hindi


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अपने अंदाज से महाराष्ट्र राजनीति की दिशा बदलने वाले बाल ठाकरे का जीवन वे अक्सर खुद बड़ी जिम्मेदारी लेने की बजाय किंगमेकर बनना ज्यादा पसंद करते थे। कुछ के लिए महाराष्ट्र का यह शेर अपने आप में एक सांस्कृतिक आदर्श था अपने मित्रों और विरोधियों को हमेशा यह मौका देते रहे कि वह उन्हें राजनीतिक रूप से कम करके आंकें ताकि वह अपने इरादों को सफाई से अंजाम दे सकें

balasaheb thakre caste jati biography in hindi 

  • पूरा नाम बाल केशव ठाकरे
  • राजनीतिक पार्टी शिव सेनालम्बाई से० मी०- 170 , फीट इन्च- 5’ 7”
  • वजन लगभग 60 कि० ग्रा०
  • आँखों का रंग काला
  • बालों का रंग धूसर

व्यक्तिगत जीवन

  • जन्मदिन 23 जनवरी 1926 (पुणे, भारत)
  • मृत्यु 17 नवंबर 2012 (मुंबई, महाराष्ट्र) 
  • मृत्यु कारण दिल का दौरा से  

मुस्लिम समुदाय को अकसर निशाने पर रखने वाले बाल ठाकरे ने एक बार मुस्लिम समुदाय को ‘कैंसर’ तक कह डाला था।

Balasaheb thakre speech in hindi


  1. हिन्दू आतंकवाद की की वकालत : उन्होंने कहा था, ‘इस्लामी आतंकवाद बढ़ रहा है और हिंदू आतंकवाद ही इसका जवाब देने का एकमात्र तरीका है। हमें भारत और हिंदुओं को बचाने के लिए आत्मघाती बम दस्ते की जरूरत है।
  2. पद नहीं प्रभाव था : बाघ की विविध छवियों के साथ सिंहासन पर बैठने वाले ठाकरे वर्षों तक महाराष्ट्र की राजनीति पर छाए रहे। उनके पास कोई पद या ओहदा नहीं था, लेकिन उनके प्रभाव का यह आलम था कि मातोश्री ने राजनीतिक नेताओं से लेकर, फिल्मी सितारों, खिलाड़ियों और उद्योग जगत की दिग्गज हस्तियों की अगवानी की।
  3. मताधिकार पर रोक : ठाकरे अपने गैर परंपरागत खयालात के लिए पसंद किए जाते थे। हालांकि इस दौरान उन्हें कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। 11 दिसंबर 1999 से 10 दिसंबर 2005 के बीच उनके मताधिकार पर रोक लगा दी गई क्योंकि उन्होंने लोगों से सांप्रदायिक आधार पर वोट देने की अपील की थी, जिसके बाद उच्च न्यायालय के आदेश और चुनाव आयोग की अधिसूचना के द्वारा उन पर यह रोक लगाई गई।
  4. बिहारियों को बताया बोझ : अपने प्रवासी विरोधी विचारों के कारण ठाकरे को हिंदी भाषी राजनीतिज्ञों की नाराजगी झेलनी पड़ती थी। उन्होंने बिहारियों को देश के विभिन्न भागों के लिए ‘बोझ’ बताकर खासा विवाद खड़ा कर दिया था। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वे प्रशंसक थे।
  5. ठाकरे की पार्टी को 1991 में बड़ा झटका लगा जब छगन भुजबल ने बाल ठाकरे द्वारा मंडल आयोग रिपोर्ट का विरोध करने के विरोध में पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए।
  6. पत्नी और पुत्र की मौत : ठाकरे को उस समय व्यक्तिगत आघात लगा, जब उनकी पत्नी मीना की 1995 में मौत हो गई। अगले ही वर्ष ठाकरे के सबसे बड़े पुत्र बिंदुमाधव की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
  7. राज का ‍शिवसेना छोड़ना : उन्हें 2005 में अपने जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा जब उनके भतीजे राज ने शिवसेना को छोड़ दिया और 2006 में अपनी राजनीतिक पार्टी एमएनएस बना ली। इस घटना ने शिवसेना-भाजपा के दोबारा सत्ता में लौटने की उम्मीदों को भी कमजोर कर दिया।
  8. मैं अब थक गया हूं... : ठाकरे की सेहत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थी। 24 अक्टूबर को दशहरा रैली में ‘शेर की दहाड़’ सुनाई नहीं दी। उन्होंने वीडियो रिकार्डेड भाषण के जरिए अपने समर्थकों को संबोधित किया और सार्वजनिक जीवन से संन्यास का एलान किया।
  9. उन्होंने कहा- 'शारीरिक तौर पर मैं काफी कमजोर हो गया हूं... मैं चल नहीं सकता... मैं अब थक गया हूं।' उन्होंने अपने समर्थकों से उनके पुत्र उद्धव और पोते आदित्य का साथ देने का आग्रह किया और इसके साथ ही शिवसेना के उत्तराधिकार की बेल को सींच दिया 

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