नये नोट छापने में 8000 करोड़ रु खर्च हुए जेटली naye note ki chapai keemat


2000 note 500 currency information hindi नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नोटों की प्रिंटिंग की लागत बढ़कर 7965 करोड़ रुपए तक हो गई थी। 2017-18 में यह 4912 करोड़ रुपए रही थी। सरकार ने संसद में यह भी स्वीकार किया कि नोटबंदी के बाद एसबीआई के तीन कर्मचारियों और लाइन में लगे एक ग्राहक की जान चली गई

 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा कि नोटबंदी से पहले 2015-16 में नोटों की प्रिटिंग पर 3421 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। नोटों को देशभर में भेजने पर 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में क्रमश: 109 करोड़, 147 करोड़ और 115 करोड़ रु. खर्च हुए।

  उद्योग पर असर का अध्ययन नहीं 

वित्त मंत्री ने नोटबंदी से उद्योग और रोजगार पर पड़े असर का कोई अध्ययन कराने के सवाल पर कहा कि सरकार ने इस संबंध में कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं कराया है। सरकार ने इस बात से भी इनकार किया कि चलन से बाहर हो गए और जनता के पास बचे 500 और 1000 रुपए के नोटों को वापस लेने पर विचार हो रहा है।  

बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा 

केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ने मुहैया कराया है। इसमें बैंक की लाइन में एक ग्राहक और बैंक के तीन कर्मचारियों की मौत हुई। वित्त मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि नोटबंदी के दौरान नोट बदलने के लिए लाइन में खड़े होने से, सदमे से और काम के दबाव से व्यक्तियों और बैंक के कर्मचारियों की मौत और परिजनों को दिए गए मुआवजे के बारे में एसबीआई को छोड़कर सरकारी क्षेत्र के किसी बैंक ने कोई सूचना नहीं दी है

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