महात्मा गांधी को क्यों नही मिला नोबल पुरस्कार mahatma gandhi nobel prize


Importance of gandhi jayanti 150 वीं जयंती के अवसर पर सबसे पहले जानोगे की गांधी जी हमेश इसलिए भी याद किये जाते है क्योंकि उन्होंने स्वस्थ जीवन जीने के लिए उनके जीवन से बहुत कुछ प्रेरणा ली जा सकती है स्वास्थ्य ही धन है सोने और चांदी के टुकड़े नहीं महात्मा गांधी की कहि यह बात वर्तमान समय में सच्चाई और वैधता पर खरी उतरती हैं

 महात्मा गांधी की जयंती पर हम कुछ ऐसी जानकारी आप को खोजकर लाए हैं इतिहास के पन्नों से जिन्हे आपको जानना बेहद आवश्यक है दोस्तों क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी का सबसे पसंदीदा भजन रहा है
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे
पीड़ परायी जाणे रे
जिसका मतलब यही है की भगवान की पूजा से बढ़कर दूसरे की पीड़ा को हरने वाला दुखो को दूर करने वाला इंसान है वही भगवान की सच्ची सेवा है

 महात्मा गांधी हमेशा आहिंसा और सत्य का पालन किये व उनके विचारों को पढ़ने वालों को शांति पुरस्‍कार से नवाजा गया पर महात्मा गांधी को क्यों नहीं नवाजा गया यह जानना बहुत रोचक है

 क्या कारण रहे आज हम पूरा विस्तारपूर्वक जानेंगे महात्मा गांधी के किस तरह से भारत देश के लिए विचार थे यह भी विस्तारपूर्वक पूर्वक जानेंगे

शान्ति के लिये नोबल पुरस्कार मिला 

  1. डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर
  2. बराक ओबामा
  3. नेल्सन मंडेला
 इन तीनों को नोबेल पुरस्कार मिला है और इन सभी लोगों ने यह स्वीकार किया है कि वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित रहे है सारे लोग जो महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला तो महात्मा गांधी को क्यो नही मिल पाया क्या जानना चाहोगे

List indian nobel prize winnars

नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया पहली बार में नॉर्वे के एक सांसद ने महात्मा गांधी का नाम नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया था लेकिन नोबेल कमेटी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया साथ ही यह भी कह दिया कि वह उनके व्यक्तित्व पर भरोसा नहीं करते प्रोफेसर जे का फार्मूला ने लिखा था कि महात्मा गांधी पूरी तरह शांति वाले नहीं है उन्हें इन बातों की कभी परवाह नहीं रही की अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उनका हिंसक प्रदर्शन अभी भी आहिंसक रूप ले सकता है व गांधीजी की राष्ट्रीयता भारतीय लोगों तक ही सीमित दक्षिण अफ्रीका में उनका आंदोलन भी सिर्फ भारतीय लोगों के हितों के लिए था और दक्षिण अफ्रीका के लोगो के लिए कुछ नहीं किया जो भारतीयों से भी बदतर जिंदगी गुजार रहे थे इसके बाद वर्ष 1939 में महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया पर नहीं हुआ

उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं मिला कुछ विद्वानों ने इसके लिए ब्रिटेन के अखबार द टाइम्स की गलत रिपोर्टिंग को वजह भी माना है आप लोग सोचते होंगे कि आज के जमाने में ही मीडिया गलत रिपोर्टिंग करता है लेकिन उस जमाने में भी बड़े-बड़े संस्था जो मीडिया के थे दुनिया के वह भी गलत रिपोर्टिंग करते थे प्रार्थना सभा में सांप्रदायिक तनाव को देखते हुए तब के समाचारों ने गलत छापा था


ब्रिटेन के अखबार द टाइम्स ने नमक मिर्च लगाकर प्रकाशित किया इस समाचार ने आग में घी डालने का काम किया और 5 में से 3 सदस्यों ने महात्मा गांधी के खिलाफ मतदान कर दिया जिसकी वजह से महात्मा गांधी को एक बार फिर नोबेल पुरस्कार नहीं मिला वर्ष 1948 में नोबेल पुरस्कार के लिए महात्मा गांधी का नाम प्रस्तावित किया गया इस बार उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने की प्रबल संभावना थी लेकिन नामांकन की आखिरी तारीख के दिन उनकी ह्त्या कर दी गयी और उस समय मरणोपरांत नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता था

इसके बाद भी जब नोबल प्राइज देने की सोचा तो पुरस्कार की रकम कैसे अदा की जाए क्योंकि गांधी जी का कोई संगठन या ट्रस्ट नहीं था ऐसे में यह पुरस्कार कौन लेता आखिर में महात्मा गांधी को nobel prize मिल ही नही सका

नोबेल पुरस्कार आज पूरे विश्व मे महात्मा गांधी नाम नोबेल पुरस्कार से बड़ा नाम है इसलिए जो बात आपको बताएं उसका मतलब यह मत समझना कि हम नोबल ना मिलने की शिकायत कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि नोबेल पुरस्कार ना मिलने की वजह से महात्मा गांधी का कद छोटा हो गया है उन्हें नोबेल पुरस्कार की कभी कोई आवश्यकता नहीं रही महात्मा गांधी का चेहरा भारत के नोट की पर होता है उसकी पहचान बन चुका भारतीये मुद्रा पर 

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