सेब की बागवानी एप्पल लगाने की विधि apple tree ko kaise lagaye khane ke skin pe benefit
3 October 2018
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आज हम जानेंगे kya apple alkaline hai जी हां एप्पल पेट में एक क्षारीय वातावरण बनाता है adani apple rate par kg bithal shimla दोस्तो आपको बताना होगा ऐप्पल यानी सेव जम्मू कश्मीर में उगने वाले फल है पर ऐसा बिल्कुल नही की सेवा को भारत के दूसरे प्रदेशों में नही उगाया जाता हो आइये जानते है फलों के राजा सेव के बारे में
इन पौधें की ग्रोथ बहुत ही अच्छी रही एक वर्ष के पौधों की लंबाई करीब 8 फीट और फैलाव 3-5 फीट हुआ एक वर्ष बाद ही फरवरी व मार्च, 2015 दोनों सेब की प्रजातियों में फूल आ गए और अप्रैल में लगभग सभी पौधों में सैंपल भी आ गया। कहा जाता है एक सेब खाने से डॉक्टर से कोसों दूर रहे मतलब बीमारियों से दूर रहे इसको खाने से चेहरे पर भी लाल गरिमा बढ़ती है और गिलो दिखने लगता है
पौधों में लगभग 15 से 40 फल लगे फलों का आकार एवं रंग बहुत ही उत्तम किस्म का है। डॉ. सिंह ने बताया कि अन्ना सेब की लो चीलिंग वेरायटी है। इसके लिए महज 250 से 300 चीलिंग आवर्स की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों सोलन, बिलासपुर, सिरमौर जहां गुठलीदार फलों का उत्पादन हो सकता है, वहां पर अन्ना प्रजाति का सेब भी हो सकता है।
कर्नाटक के कुछ किसानों को भी सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया गया और वहां के कई इलाकों में पौधे ने फल देना प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने बताया कि पंजाब के होशियारपुर जिला के दो बागवानों ने 5 एकड़ में सेब लगाकर इसी तरह की सफलता हासिल की है।
क्या apple गर्म क्षेत्रों में भी सेब को उगाया जा सकता है।
वर्ष 2014 में डॉ. NB singh ने बताया कि उन्होंने प्रयोग के तौर पर लगबग 30 पौधे lucknow के गोमती नगर स्थित अपने फार्म हाउस में लगाए।इन पौधें की ग्रोथ बहुत ही अच्छी रही एक वर्ष के पौधों की लंबाई करीब 8 फीट और फैलाव 3-5 फीट हुआ एक वर्ष बाद ही फरवरी व मार्च, 2015 दोनों सेब की प्रजातियों में फूल आ गए और अप्रैल में लगभग सभी पौधों में सैंपल भी आ गया। कहा जाता है एक सेब खाने से डॉक्टर से कोसों दूर रहे मतलब बीमारियों से दूर रहे इसको खाने से चेहरे पर भी लाल गरिमा बढ़ती है और गिलो दिखने लगता है
पौधों में लगभग 15 से 40 फल लगे फलों का आकार एवं रंग बहुत ही उत्तम किस्म का है। डॉ. सिंह ने बताया कि अन्ना सेब की लो चीलिंग वेरायटी है। इसके लिए महज 250 से 300 चीलिंग आवर्स की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों सोलन, बिलासपुर, सिरमौर जहां गुठलीदार फलों का उत्पादन हो सकता है, वहां पर अन्ना प्रजाति का सेब भी हो सकता है।
सेब लगाने के मैदानी क्षेत्रों उगने के न होने की धारणा को बदला
आज तक की धरणा है कि सेब ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ही लगता है, लेकिन उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में डॉ. सिंह ने सफलतापूर्वक सेब का उत्पादन कर एक नया इतिहास रच दिया है। यही नहीं उन्होंने अपने फार्म हाउस में प्लम, आडू, बादाम, खुमानी, परसीमन, पीकान का भी सफलतापूर्वक रोपण किया है। इनमें से प्लम, आडू एवं नैक्ट्रीन में फल आना शुरू हो गया है।कर्नाटक के कुछ किसानों को भी सेब के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया गया और वहां के कई इलाकों में पौधे ने फल देना प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने बताया कि पंजाब के होशियारपुर जिला के दो बागवानों ने 5 एकड़ में सेब लगाकर इसी तरह की सफलता हासिल की है।
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