मुसलमानों के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला supreme court on taj mahal
15 July 2018
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Supreme court on taj mahal muslim news faisla sc rules hindi ताजमहल का इतिहास में पहली बार बैसे ताजमहल या तेजो-महालय अक्सर ख़बरों में बना रहता है. यहाँ अगर आप आरती करेंगे या कोई मंत्र जाप करेंगे या पूजा पाठ करेंगे तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अखिलेश सरकार में तो भगवा वस्त्र पहने शख्स तक को ताजमहल से बाहर निकाल दिया गया था. लेकिन अब वक़्त बदल गया है अब खुद यूपी में मुख्यमंत्री भगवा वस्त्र पहनने वाले आ गए हैं.
जहाँ एक तरफ हिन्दुओं पर पाबन्दी थी वहीँ दूसरी तरफ ताजमहल एक पर्यटन स्थल पर खुलेआम नमाज़ पढ़ी जाती थी. शुक्रवार की जुम्मे की नमाज़ के लिए ताजमहल बंद रखा जाता था. वहां कोई रोक नहीं थी. लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए ताजमहल पर मुसलमानों के खिलाफ बेहद चौंकाने वाला फैसला सुनाया है. जिसे देख कई वामपंथियों की धड़कनें रुक गयी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों के खिलाफ लिया ऐतिहासिक फैसला
अभी मिल रही बड़ी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है. इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि ताजमहल के परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां कई और जगहें हैं जहां नमाज पढ़ी जा सकती है फिर
ताजमहल परिसर ही क्यों?
बता दें कि ताजमहल में नमाज पढ़े जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. इस समीति की मांग थी कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो क्यों मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। अगर परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए.
आज तक नहीं हुआ था
बता दें दुनिया का सातवां अजूबा में नाम दर्ज ताजमहल शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए बंद रहता है जिसका विरोध लंबे समय से किया जाता रहा है। यही नहीं समाज के एक धड़ा यह दावा करता रहा है कि ताजमहल शिव मंदिर पर बना है जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था। इसलिए अगर वहां शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाएगी तो हिंदू वहां शिवचालीसा भी पढ़ेंगे। हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के परिसर में शिव चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी और सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें रोक दिया था.
देर सवेर अब वक़्त बदलने लगा है जो लापरवाहियां और तुष्टिकरण के चलते दशकों से होता आ रहा था उस सब पर अब रोक लगने लगी है. सुप्रीम कोर्ट का ये अपने आप में ऐतिहासिक फैसला. इस फैसले से ओवैसी समेत कई कट्टरपंथियों की आखें फटी रह गयी है. जो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था वो आज हो रहा है.
पिछली सरकारें अपने वोट बैंक के कारण नहीं लेती थी फैसले
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पूरे देशभर में स्वागत हो रहा है. कई लोगों ने कहा कि ताजमहल एक पर्यटन स्थल है साथ ही राष्ट्रिय धरोहर भी है . इसके अपने धर्म के लिए इस्तेमाल करना बहुत गलत था. दशकों से ये होता आ रहा था लेकिन किसी सरकार में इतनी हिम्मत नहं थी कि इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने के बारे में सोच भी सके.
क्यूंकि कांग्रेस सरकार को हमेशा अपने वोट बैंक की चिंता सताती रही थी. यदि आप भी जनता को जागरूक करने में अपना योगदान देना चाहते हैं तो इसे फेसबुक पर शेयर जरूर करें. जितना ज्यादा शेयर होगी, जनता उतनी ही ज्यादा जागरूक होगी. आपकी सुविधा के लिए शेयर बटन्स नीचे दिए गए हैं.
जहाँ एक तरफ हिन्दुओं पर पाबन्दी थी वहीँ दूसरी तरफ ताजमहल एक पर्यटन स्थल पर खुलेआम नमाज़ पढ़ी जाती थी. शुक्रवार की जुम्मे की नमाज़ के लिए ताजमहल बंद रखा जाता था. वहां कोई रोक नहीं थी. लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए ताजमहल पर मुसलमानों के खिलाफ बेहद चौंकाने वाला फैसला सुनाया है. जिसे देख कई वामपंथियों की धड़कनें रुक गयी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों के खिलाफ लिया ऐतिहासिक फैसला
अभी मिल रही बड़ी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है. इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि ताजमहल के परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां कई और जगहें हैं जहां नमाज पढ़ी जा सकती है फिर
ताजमहल परिसर ही क्यों?
बता दें कि ताजमहल में नमाज पढ़े जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. इस समीति की मांग थी कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो क्यों मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। अगर परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए.
आज तक नहीं हुआ था
बता दें दुनिया का सातवां अजूबा में नाम दर्ज ताजमहल शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए बंद रहता है जिसका विरोध लंबे समय से किया जाता रहा है। यही नहीं समाज के एक धड़ा यह दावा करता रहा है कि ताजमहल शिव मंदिर पर बना है जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था। इसलिए अगर वहां शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाएगी तो हिंदू वहां शिवचालीसा भी पढ़ेंगे। हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के परिसर में शिव चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी और सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें रोक दिया था.
देर सवेर अब वक़्त बदलने लगा है जो लापरवाहियां और तुष्टिकरण के चलते दशकों से होता आ रहा था उस सब पर अब रोक लगने लगी है. सुप्रीम कोर्ट का ये अपने आप में ऐतिहासिक फैसला. इस फैसले से ओवैसी समेत कई कट्टरपंथियों की आखें फटी रह गयी है. जो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था वो आज हो रहा है.
पिछली सरकारें अपने वोट बैंक के कारण नहीं लेती थी फैसले
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पूरे देशभर में स्वागत हो रहा है. कई लोगों ने कहा कि ताजमहल एक पर्यटन स्थल है साथ ही राष्ट्रिय धरोहर भी है . इसके अपने धर्म के लिए इस्तेमाल करना बहुत गलत था. दशकों से ये होता आ रहा था लेकिन किसी सरकार में इतनी हिम्मत नहं थी कि इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने के बारे में सोच भी सके.
क्यूंकि कांग्रेस सरकार को हमेशा अपने वोट बैंक की चिंता सताती रही थी. यदि आप भी जनता को जागरूक करने में अपना योगदान देना चाहते हैं तो इसे फेसबुक पर शेयर जरूर करें. जितना ज्यादा शेयर होगी, जनता उतनी ही ज्यादा जागरूक होगी. आपकी सुविधा के लिए शेयर बटन्स नीचे दिए गए हैं.
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