जम्मू कश्मीर इतिहास और यूनाइटेड नेशन


United nations kashmir resolution in hindi uno document pdf जम्मू कश्मीर 22220136 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है इसमें से आधे यानी करीब 120000 वर्ग किलोमीटर का इलाका पाकिस्तान और चीन के कब्जे में है यानी भारत के हाथ से निकल चुका है जबकि बाकी का हिस्सा भारत के नियंत्रण में है यानी INDIA आधा कश्मीर खो चुका हैं पहले कश्मीर से जुड़ी समस्या की जड़ सन 1947 में आजादी के बाद 1947 अक्टूबर में पाकिस्तान ने अपने कबायली हमलागारो को कश्मीर पर कब्जा करने के लिए kashmir भेजा था उस वक्त कश्मीर पर महाराजा हरि सिंह का शासन था जो कि एक हिंदू शासक थे

26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के राजा हरिसिंह ने अपनी रियासत जम्मू और कश्मीर को भारत में विलय करने के पत्र पर दस्तखत कर दिए थे उसी तरह हुआ जैसे अन्य सभी राज्य की रियासत भारत में मिलने को तैयार हुई थी

 पूरी तरह से कानूनी और मान्यता प्राप्त था लेकिन पाकिस्तान की मदद से कश्मीर में दाखिल हुए कबायली हमलावर पीछे नहीं हट रहे थे इसलिए उन्हें पीछे धकेलने के लिए उन्हें खदेड़ने के लिए भारतीय सेना कश्मीर में भेजी गई इसके बाद 2 नवंबर 1947 को ऑल इंडिया रेडियो पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल जवाहरलाल नेहरू ने यह घोषणा कर दी कि कश्मीर का भविष्य कश्मीर के लोगों की भावनाओं के हिसाब से ही तय होगा

UNO संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संस्था की मदद

से कश्मीर में जनमत संग्रह किया जाएगा ऐसी घोषणा 1 जनवरी 1948 को भारत यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल पहुंच गया और कश्मीर मामले का हल निकालने का 1948 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह मामला पहुंचा हर भारतीय नागरिक कश्मीर के अलगाववादियों और हमारे देश के पत्रकारों को यह बात ध्यान से समझना चाहिए

हमारा दावा है कि इनमें से ज्यादातर लोगों ने यूनाइटेड नेशंस के रिजोल्यूशन को पढ़ा नहीं क्योंकि अगर इन लोगों ने इस दस्तावेज को ध्यान से पढ़ा होता तो यह कभी कश्मीर को आजाद करने की और वहां जनमत संग्रह कराने की या फिर कश्मीर को पाकिस्तान के साथ मिलाए जाने की आवाज नहीं उठा पाते
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साफ़ शब्दो में कश्मीर को भारत का ही हिस्सा बताया है ....तो जो लोग कश्मीर की आज़ादी की बोलती है उन्ही कश्मीर भूलकर POK की आज़ादी की बात करनी चाहिए 

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