RSS नरेंद्र मोदी के झगडे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ Praveen Togadia Vishva Hindu Parishad facts
29 March 2021
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Vishva Hindu Parishad (VHP) नेता डॉ. प्रवीण तोगड़िया का अचानक लापता हो जाना. फिर कुछ घंटों बाद बेहोशी की हालत में मिलना और होश में आने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर एनकाउंटर की बात कहना. यह पूरा घटनाक्रम भले ही किसी फ़िल्मी कहानी की तरह लगता हो, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों?
प्रवीण तोगड़िया फैमिली
अशोक सिंघल की बेटी की शादी
प्रवीण तोगड़िया सिस्टर मैरिज
प्रवीण तोगड़िया के भाई की हत्या
अशोक सिंघल की जीवनी
रश्मि तोगड़िया
मोदी की भतीजी का पति
लालकृष्ण आडवाणी की बेटी
पिछले कुछ माह के घटनाक्रम को देखा जाए तो वीएचपी में तोगड़िया का अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहा था. सूत्रों की मानें तो आरएसएस और बीजेपी नए लोगों को वीएचपी की कमान देना चाहती थी, लेकिन तोगड़िया पद से नहीं हटना चाहते थे.
क्यों तोगड़िया के खिलाफ अचानक खुले केस?
उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया था. तोगड़िया के अलावा वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था. एक वरिष्ठ वीएचपी नेता के मुताबिक, आरएसएस रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहती थी. लेकिन तोगड़िया ऐसा नहीं चाहते थे. उन्होंने रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया.
भुवनेश्वर में हुई वीएचपी की कार्यकारी बोर्ड बैठक में दोनों संगठन के नेताओं के बीच तल्खी बढ़ी और बात बिगड़ गई. बैठक के कुछ दिनों बाद तोगड़िया ने विशाल सभा कर शक्ति प्रदर्शन किया. यहां उन्होंने राम मंदिर और गोरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला. यही नहीं, गोसेवा के लिए कांग्रेस की तारीफ भी कर दी. एक वीएचपी नेता का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओं को तोगड़िया का शक्ति प्रदर्शन रास नहीं आया. यही वजह रही कि उनके खिलाफ 15 दिनों में एक गुजरात और दूसरा राजस्थान में सालों पुराना केस वापस खोला गया.
बता दें कि नरेंद्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया के संबंधों में पिछले 15 वर्षों से कड़वाहट चल रही है. कभी स्कूटर पर साथ घूमने वाले ये दोनों नेता 2002 से एक दूसरे के खिलाफ हो गए. बताया जाता है कि दोनों में कड़वाहट तब आई थी जब मोदी गुजरात के सीएम बने थे.
उस वक्त मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तोगड़िया और वीएचपी सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. माना जाता है कि यहीं से दोनों के बीच दरार बनी. मोदी द्वारा साइडलाइन किए जाने से तोगड़िया नाराज हो गए. यह विवाद तब और बढ़ गया जब गुजरात सरकार ने विकास कार्यों के लिए गांधीनगर में मंदिरों को ढहा दिया था
पिछले कुछ माह के घटनाक्रम को देखा जाए तो वीएचपी में तोगड़िया का अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहा था. सूत्रों की मानें तो आरएसएस और बीजेपी नए लोगों को वीएचपी की कमान देना चाहती थी, लेकिन तोगड़िया पद से नहीं हटना चाहते थे.
क्यों तोगड़िया के खिलाफ अचानक खुले केस?
उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया था. तोगड़िया के अलावा वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था. एक वरिष्ठ वीएचपी नेता के मुताबिक, आरएसएस रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहती थी. लेकिन तोगड़िया ऐसा नहीं चाहते थे. उन्होंने रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया.
भुवनेश्वर में हुई वीएचपी की कार्यकारी बोर्ड बैठक में दोनों संगठन के नेताओं के बीच तल्खी बढ़ी और बात बिगड़ गई. बैठक के कुछ दिनों बाद तोगड़िया ने विशाल सभा कर शक्ति प्रदर्शन किया. यहां उन्होंने राम मंदिर और गोरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला. यही नहीं, गोसेवा के लिए कांग्रेस की तारीफ भी कर दी. एक वीएचपी नेता का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओं को तोगड़िया का शक्ति प्रदर्शन रास नहीं आया. यही वजह रही कि उनके खिलाफ 15 दिनों में एक गुजरात और दूसरा राजस्थान में सालों पुराना केस वापस खोला गया.
बता दें कि नरेंद्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया के संबंधों में पिछले 15 वर्षों से कड़वाहट चल रही है. कभी स्कूटर पर साथ घूमने वाले ये दोनों नेता 2002 से एक दूसरे के खिलाफ हो गए. बताया जाता है कि दोनों में कड़वाहट तब आई थी जब मोदी गुजरात के सीएम बने थे.
उस वक्त मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तोगड़िया और वीएचपी सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. माना जाता है कि यहीं से दोनों के बीच दरार बनी. मोदी द्वारा साइडलाइन किए जाने से तोगड़िया नाराज हो गए. यह विवाद तब और बढ़ गया जब गुजरात सरकार ने विकास कार्यों के लिए गांधीनगर में मंदिरों को ढहा दिया था
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