सिंगल चाइल्ड होने के फायदे और नुकसान one child or two is better in india benefits


Single child trend in india is it better HINDI आज के समय में सिंगल चाइल्ड का कांसेप्ट बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा है, अब वो समय गया जब लोग तीन से चार बच्चे करते थे। लेकिन, अब लोग हम दो हमारे दो को भी फॉलो नहीं कर रहें हैं बल्कि आज के समय में लोग सिंगल चाइल्ड को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। हालाँकि, यह कई मायने में सही है तो कई मायने में गलत भी है।

 सिंगल चाइल्ड होने के क्या कारण हैं ?
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि आजकल के युवा कोई भी फैसला बहुत ही सोच-समझ कर लेते हैं। खासकर, जब बात फैमली प्लानिंग की हो, क्योंकि आजकल करियर का प्रेशर और बच्चे की बेहतर परवरिश को देखते हुए लोग एक ही बच्चे पर फोकस कर रहे हैं। हालाँकि, सरकार ने भी इस दिशा में बेहतर कदम उठाया है ताकि पॉपुलेशन को कंट्रोल किया जा सके। इसके लिए उन्होंने ‘हम दो, हमारे दो’ के कांसेप्ट को हर लोगों तक पहुँचाने का काम किया ताकि लोग कुछ हद तक अवेयर हो सकें।

सिंगल चाइल्ड होने के फायदे और नुकसान क्या हैं ?

वो कहते हैं न कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक इसके लिए भी यह कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि, सिंगल चाइल्ड के फायदे से ज्यादा नुकसान हैं वो भी आपके अपने बच्चों के लिए। ऐसे में, आज हम आपको बता दें कि सिंगल चाइल्ड का आपके बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है, जो निचे बताए जा रहे हैं-

सिंगल चाइल्ड का बच्चों पर प्रभाव-

स्मार्टनेस की कमी गल बच्चों में स्मार्टनेस की कमी होती है क्योंकि, वो खुल कर किसी से बात कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं। उन्हें अपनी बात कहने या मनवाने में झिझक महसूस होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, घर में वो अकेले होते हैं अपनी बातों को कहने के लिए उनके सिब्लिंग्स नहीं होते हैं।

जरूरत से ज्यादा जिद्दी एक शोध में यह बात सामने आई हैं कि जो बच्चे अकेले होते हैं, वह बहुत अधिक ज़िद्दी और चिड़चिड़े प्रवृति के होते हैं। क्योंकि, अकेले होने के कारण पेरेंट्स उनकी हर जिद को पूरा करते हैं। और एक समय ऐसा आता है कि बच्चे  हद से ज्यादा लाड़प्यार और अटैंशन पाकर जरूरत से ज्यादा जिद्दी और आक्रामक हो जाते हैं जो बाद में पेरेंट्स की एक नहीं सुनते हैं।

सामाजिक ज्ञान में कमी इसमें कोई शक नहीं है कि जो बच्चे अकेले होते हैं, जिनके कोई भाई-बहन नहीं होते हैं वह स्वभाव में थोड़े से ज़िद्दी और अकेले रहने के आदि होते हैं। क्योंकि, उन्हें लगता है कि जो कुछ है वह सब मेरा है, जैसे कि खिलौने, चॉकलेट आदि जैसी चीज़ें वह किसी के साथ शेयर करना पसंद नहीं करते हैं। जो कहीं न कहीं उनमें सामाजिक कौशल के अभाव को दिखाता है।

कम उम्र में सोशल मीडिया से दोस्ती

बच्चे जब अकेले होते हैं तब किसी भी तरह की फीलिंग शेयर करने के लिए कोई नहीं होता। जब बच्चे अकेले रट हैं तब पेरेंट्स उनका दिल बहलाने के लिए मोबाइल, वीडियो गेम और टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हैं। बच्चे भी इसे देख कर खुश हो जाते हैं, नतीजा यह होता है कि बच्चे अर्ली ऐज में हो सोशल मिडिया में घुस जाते हैं।

सिंगल चाइल्ड के फायदे क्या हैं ?

अगर देखा जाए तो मुझे सिंगल चाइल्ड के कोई फायदे नज़र नहीं आते हैं बल्कि कुछ ऐसी मजबूरी है जिसके कारण लोगों का रुझान सिंगल चाइल्ड के प्रति बढ़ गया है, जैसे कि-

आर्थिक स्थिति वह पेरेंट्स जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है वह एक बच्चे ही करने का सोचते हैं। क्योंकि, उन्हें लगता है कि दो बच्चे की बजाए एक की परवरिश अच्छे तरीके से किया जा सकता है, जैसे कि उनके खाने-पीने से लेकर पढ़ाई लिखाई तक अच्छे से की जा सकती है।

वर्किंग पेरेंट्स र्किंग पेरेंट्स के लिए सिंगल बच्चे ठीक होते हैं क्योंकि, एक से अधिक बच्चे होने के कारण उन्हें घर और ऑफिस दोनों में ताल-मेल बिठाने में काफी तकलीफ होती है। हालाँकि, यही कारण है कि आज न्यूक्लियर फैमिली का कांसेप्ट हमारे समाज में तेज़ी से फ़ैल रहा है।

बच्चे समय से पहले मैच्योर

बच्चा समय से पहले मैच्योर होने लगता है और उसके अनुभव अन्य बच्चों से कहीं ज्या‍दा अलग होते है और वह जिम्मेदारियों को सही तरह से निभाना सीख जाता है।

हालाँकि, देखा जाए तो अकेले बच्चे की मानसिक स्थिति सेलफिश हो जाती है, जो आपके बच्चे को जिद्दी बनाने के लिए काफी होता है। 

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