शरद पूर्णिमा कब है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि Sharad purnima me kya kare vrat
5 October 2017
Add Comment
Sharad purnima 2017 kojagiri purnima vrat importance hindi - ज्योतिष की मान्यता है कि माता लक्ष्मी इस रात्रि भ्रमण पर होती हैं और जो उन्हें जागरण करते हुए मिलता है उस पर वह अपनी कृपा बरसाती हैं
आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 5 अक्टूबर को है अश्विन महीने में पड़ने वाली पू्र्णिमा का विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा वाली रात को जागरण करने और रात में चांद की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व होता है. इस रात को चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं के प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं. शरद पूर्णिमा को कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती हैं. इसलिए आसमान पर चंद्रमा भी सोलह कलाओं से चमकता है. शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में जो भक्त भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा का चांद अपनी सभी 16 कलाओं से संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रात भर अमृत की वर्षा करता है. ऐसे में इस रात को आसमान में खीर रखने से खीर अमृत समान होती है.
पूजा की विधि festival vrat vidhi information आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 5 अक्टूबर को है अश्विन महीने में पड़ने वाली पू्र्णिमा का विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा वाली रात को जागरण करने और रात में चांद की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व होता है. इस रात को चंद्रमा अपनी पूरी सोलह कलाओं के प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं. शरद पूर्णिमा को कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती हैं. इसलिए आसमान पर चंद्रमा भी सोलह कलाओं से चमकता है. शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में जो भक्त भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा का चांद अपनी सभी 16 कलाओं से संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रात भर अमृत की वर्षा करता है. ऐसे में इस रात को आसमान में खीर रखने से खीर अमृत समान होती है.
लोगों का विश्वास है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत टपकता है और ये किरणें हमारे लिए भी बहुत लाभदायक होती हैं. शरद पूर्णिमा के दिन सुबह अपने इष्ट देवता का ध्यान करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए. शाम में चंद्रोदय के समय चांदी या मिट्टी से बने घी के दिए जलायें. प्रसाद के लिए घी युक्त खीर बना लें. चांद की चांदनी में इसे रखें. लगभग तीन घंटे के पश्चात माता लक्ष्मी को यह खीर अर्पित करें.
पूर्णिमा का महत्व purnima vrat importance hindi
मान्यता के अनुसार पूरे साल में सिर्फ इसी दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अपनी अद्भुत छटा बिखेरता है. रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन सुबह उसे प्रसाद के रूप में खाते हैं. इस अवसर पर सर्वाथ सिद्धि योग भी बना हुआ है. ग्रहों और नक्षत्रों का यह संयोग बहुत ही शुभ है जिसमें धन लाभ संबंधी कोई भी काम करना शुभ फलदायी रहेगा.
0 Response to "शरद पूर्णिमा कब है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि Sharad purnima me kya kare vrat"
Post a Comment
Thanks for your valuable feedback.... We will review wait 1 to 2 week 🙏✅