मलेरिया टेस्ट 10 रुपए में खुद कर सकते हैं डेंगू का भी पता Malaria, dengue KIT test for malaria at home hindi
23 October 2017
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Malaria test name मलेरिया की दवा मलेरिया ट्रीटमेंट बारिश के बाद मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है. इसके साथ ही बढ़ने लगती हैं मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां. मलेरिया का पता लगाने के लिए कोलकाता के एक संस्थान के दो रिसर्चर्स ने एक नया पोर्टेबल डिवाइस लॉन्च किया है,
जिससे चुटकियों में पता लगाया जा सकेगा कि मरीज को मलेरिया है या नहीं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया है कि उसने मोबाइल और कम लागत वाला एक तंत्र विकसित किया है जिससे मलेरिया के साथ-साथ डेंगू का भी पता लगाया जा सकता है.
कैसे काम करता है यह तंत्र:
IIEST, शिबपुर विभाग के प्रमुख- आईटी, डॉ अरिंदम बिस्वास ने बताया कि हमने एक पेपर माइक्रोस्कोप पर एक मोबाइल फोन कैमरे को जोड़ा है जिसका उपयोग ब्लड सैंपल लेने के लिए किया जा सकता है, और डेटा को मलेरिया सेल की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक केंद्रीय सर्वर पर संसाधित किया जा सकता है. परिणाम रिमोट क्लाइंट को भेजा जाता है, जिसे सिस्टम के डाटाबेस में पंजीकृत डॉक्टर डेटा एक्सेस कर सकते हैं और उसके हिसाब से उपचार लिख सकते हैं.
टेस्ट में आता है इतना खर्चा: अरिंदम बिस्वास के मुताबिक प्रत्येक रोगी को इस टेस्ट से सिर्फ 10 रुपए का खर्च आएगा. परीक्षा में उनकी उंगली की नोक से खून की एक बूंद के ली जाएगी और रिमोट टेस्टिंग सुविधा के जरिए कुछ ही सेकंड में उन्हें रिपोर्ट की एक हार्ड कॉपी प्रदान कर दी जाएगी.
जिससे चुटकियों में पता लगाया जा सकेगा कि मरीज को मलेरिया है या नहीं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया है कि उसने मोबाइल और कम लागत वाला एक तंत्र विकसित किया है जिससे मलेरिया के साथ-साथ डेंगू का भी पता लगाया जा सकता है.
कैसे काम करता है यह तंत्र:
IIEST, शिबपुर विभाग के प्रमुख- आईटी, डॉ अरिंदम बिस्वास ने बताया कि हमने एक पेपर माइक्रोस्कोप पर एक मोबाइल फोन कैमरे को जोड़ा है जिसका उपयोग ब्लड सैंपल लेने के लिए किया जा सकता है, और डेटा को मलेरिया सेल की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक केंद्रीय सर्वर पर संसाधित किया जा सकता है. परिणाम रिमोट क्लाइंट को भेजा जाता है, जिसे सिस्टम के डाटाबेस में पंजीकृत डॉक्टर डेटा एक्सेस कर सकते हैं और उसके हिसाब से उपचार लिख सकते हैं.
टेस्ट में आता है इतना खर्चा: अरिंदम बिस्वास के मुताबिक प्रत्येक रोगी को इस टेस्ट से सिर्फ 10 रुपए का खर्च आएगा. परीक्षा में उनकी उंगली की नोक से खून की एक बूंद के ली जाएगी और रिमोट टेस्टिंग सुविधा के जरिए कुछ ही सेकंड में उन्हें रिपोर्ट की एक हार्ड कॉपी प्रदान कर दी जाएगी.
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