फूलों से कमा सकते करोड़ों रुपये | flower growing business ideas plan


Konsa business acha hai short business plan in hindi language दिल्‍ली-मुंबई जैसे महानगरों से लेकर देश के छोटे-बड़े शहरों के दोराहों, चौराहों और स्‍ट्रीट-कॉनर्स पर पेड़ों की छांव में या फिर दीवारों से लगी फूलों की दुकानों का नजारा आम है.

 वक्‍त-बेवक्‍त हम फूल तो लेते हैं, लेकिन इसका अर्थशास्‍‍‍त्र शायद ही समझ पाते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सामान्‍य तौर पर 25 से 50 रुपए में जो एक गुलाब लेते हैं,

 उसके लिए किसानों को 50 पैसे से लेकर 2-3 रुपए तक ही मिलते हैं.

बीच में इस तरह होता है खेल

किसान फूल तो उगाते हैं, लेकिन वे अक्‍सर इन्‍हें गिनकर नहीं बेचते. छोटे किसानों के लिए ऐसा करना संभव भी नहीं होता. ट्रेडर उनका पूरा खेत फिर उसका एक हिस्‍सा ले लेता है.

फिर आधुनिक उपकरणों से उसकी कटिंग, पैकिंग और मंडियों तक ढुलाई होती है. ढुलाई से लेकर रखरखाव तक सभी जगहों पर एसी होती है. हां, बड़े किसानों के पास सभी तरह के साजोसामान होते हैं, इसलिए उनका मुनाफा भी अधिक होता है.

40 फीसदी से भी अधिक कमाते हैं दुकानदार


नोएडा सेक्‍टर 18 स्थित फ्रेश फ्लोरा के मैनेजर जगन्‍नाथ कार ने स्‍वीकार किया कि किसानों से लेकर कस्‍टमर के हाथों तक पहुंचने की इस प्रक्रिया में अक्‍सर फूलों की दुकानों की कमाई सबसे अधिक होती है. उनका मार्जिन अक्‍सर 40 फीसदी के आसपास होता है. वैसे वे इससे ज्‍यादा भी कमा लेते हैं,

लेकिन उसमें मौके की बड़ी भूमिका होती है. वैसे फूल खराब होने की स्थिति में उनका प्रॉफिट मार्जिन कम भी हो जाता है. उनके अनुसार किसानों को एक गुलाब की कीमत  50 पैसे से लेकर 2-3 रुपए तक ही मिलती है

फूलों को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती
कोलकाता के अलीपुर रोड पर 1820 में स्‍थापित अपनी तरह की देश की सबसे पुरानी सोसायटी- ‘दी एग्री हॉट्रिक्‍ल्‍चर सोसायटी’ के हॉर्टिकल्‍चरिस्‍ट और सेल्‍स हेड गौतम जना ने बताया कि कटिंग के बाद फूलों को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है,

क्‍योंकि ये जल्‍दी खराब हो जाते हैं. ट्रक या हवाई जहाज से उतारने के बाद इन्‍हें कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जाता है. पैकेज्‍ड फूल को 7-8 दिन रखना जरूरी होता है. कटने के बाद सिर्फ रिटेल शॉप पर ही ये आपको ऑपन में दिखते हैं. उनके अनुसार, कोलकाता के कारीगर ही देशभर में फैले हुए हैं. कोलकाता हमेशा से फूलों का सबसे बड़ा केंद्र रहा है.

भावनाओं से चलता है यह बिजनेस
दिल्‍ली के बसंतकुंज स्थित गुप्‍ता फ्लोरिस्‍ट के मालिक अंकित गुप्‍ता ने बताया कि इस बिजनेस का आधार मानवीय भावनाएं हैं. यही वजह है कि जिसे कोमल भावनाओं की परख होती है,

वह इस बिजनेस में अच्‍छा पैसा कमा लेता है. अपनी सफलता की वजह भी वह इसी को बताते हैं.

सामान्‍य वेंडर भी कमा लेते हैं 1000 रुपए
गाजियाबाद के इंदिरापुरम के फ्लॉवर वेंडर अजय गुप्‍ता के अनुसार छोटे वेंडर लगभग हर दिन 1000 रुपए के आसपास कमा लेते हैं, बड़े वेंडर का तो कहना ही क्‍या. अच्‍छे मार्जिन की वजह से बड़ी संख्‍या में लोग इस बिजनेस में आ रहे हैं. सिर्फ इंदिरापुरम में फूलों की 80 से अधिक दुकानें हैं.

वेलेंटाइन डे पर दिखती है सबसे अधिक चमक
कोलकाता के रहने वाले जगन्‍नाथ के अनुसार, वैसे तो पार्टी, समारोहों और गिफ्ट का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन दशहरा-दीपावली से फूलों की बिक्री में तेजी आ जाती है,

जो दिसंबर-जनवरी में शबाब पर होती है और फिर वेलेंटाइन डे तक यह तेजी बनी रहती है.

गाजियाबाद के फ्लॉवर वेंडर रवि भंडारी के अनुसार वेलेंटाइन डे के अवसर पर एक दिन में छोटे वेंडर भी 12 से 16 हजार रुपए तक कमा लेते हैं. फूलों की कई सारी वैरायटी हैं. हालांकि अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वैरायटी अधिक चलती है.

 वैसे कुल मिलाकर सबसे अधिक मांग गुलाब, गेंदे आदि की रहती है.

एक एकड़ से 3-4 लाख प्रति महीने का टर्नओवर
कोलकाता, पुणे, नासिक, मुंबई, हैदराबाद, चेन्‍नई, बेंगलुरु आदि फूलों के सबसे बड़े उत्‍पादक व संग्रह केंद्र हैं. इन शहरों के आसपास फूलों की जमकर खेती होती है. एक एकड़ खेत से फूलों का टर्नओवर 3-4 लाख रुपए प्रति महीने तक का हो जाता है. हर एकड़ जमीन पर हर दिन 2000 से लेकर 2500 फूल बिकने लायक हो जाते हैं.

इन राज्‍यों में होती है अधिक खेती
फूलों की सबसे अधिक खेती तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्‍य प्रदेश, मिजोरम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हरियाणा, असम, छत्‍तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड और महाराष्‍ट्र में होती है.

उत्‍तराखंड में 200 करोड़ का बिजनेस
उत्‍तराखंड में फूल उगाने वाले किसानों की संख्‍या 6000 से भी अधिक है. राज्‍य में फूलों का बिजनेस लगभग 200 करोड़ रुपए का है और यहां के कट फ्लॉवर का प्रतिशत देशभर की मंडियों में पहुंचने वाले कुल कट फ्लॉवर का 2 फीसदी है. राज्‍य की 1500 हेक्‍टेयर से अधिक जमीन पर फूलों की खेती होती है.

150 देशों को होता है एक्‍सपोर्ट
भारत से दुनिया के लगभग 150 देशों को फूलों का एक्‍सपोर्ट होता है. हालांकि इसकी खेती और बिजनेस को पर्याप्‍त प्रोत्‍साहन नहीं मिलने की वजह से दुनिया में हॉर्टिकल्‍चर के कुल व्‍यापार और निर्यात में भारत का हिस्‍सा 1 फीसदी से भी कम है.

देश का पहला फ्लॉरीकल्‍चर फार्म पंजाब में
देश में पहला फ्लॉरीकल्‍चर फार्म पंजाब के पटियाला में 1985 में बना. अवतार सिंह ढिंढसा इसके मालिक हैं. पंजाब में इस समय 2000 एकड़ में फ्लॉरीकल्‍चर होता है.

यहां फूलों की खेतों में काम करने वाली महिलाएं अन्‍य कामों से जुड़े अपने पतियों से अधिक कमाती हैं. यहां से होलैंड, पोलैंड और जर्मनी को फूल एक्‍सपोर्ट होते हैं.


फूलों की खेती के लिए ये है जरूरी
फूलों से कमा सकते करोड़ों, 50 रुपये में बिकता है 50 पैसे का गुलाब!
फूलों की खेती के लिए मिट्टी सेलाइन यानी नमकीन नहीं होनी चाहिए. काम करने वालों को खास ट्रेनिंग के साथ अत्‍याधुनिक उपकरण और कोल्‍ड स्‍टोरेज की व्‍यवस्‍था भी होनी चाहिए. इसके लिए आबादी से दूर जमीन का बड़ा टुकड़ा, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर, कनेक्टिविटी, सिंचाई आदि भी जरूरी हैं.

2017 में 1.6 करोड़ फ्लोवर स्‍टेम्‍स का निर्यात
2015-16 में भारत में 2.158 मिलियन टन फूल उगाए गए. 2017 में भारत से निर्यात बढ़कर 1.6 करोड़ फ्लोवर स्‍टेम्‍स हो गया. 2016 में यह संख्‍या 1.4 करोड़ स्‍टेम्‍स ही थी.

कुल निर्यात का लगभग 35 फीसदी ब्रिटेन को, 19 फीसदी जापान, 18 फीसदी ऑस्‍ट्रेलिया और बाकी मलेशिया, सिंगापुर और नीदरलैंड आदि को होता है. हालांकि भारत कुछ देशों से आयात भी करता है.

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