नोटबंदी 15 लाख लोगों की नौकरी गई 6 बुरे प्रभाव अब परेशान Modi effect of note ban in india
1 September 2017
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Demonetisation नोटंबदी के चलते हुई परेशानियों और मौतों को अलग रखकर बात करें तो इस फैसले के चलते देश को कुछ बड़े नुकसान उठाने पड़े हैं। ये नुकसान आपकी और हमारी जेब, जॉब और जिंदगी को प्रभावित करते हैं।
जनता ने मोदी सरकार का साथ जरूर दिया मगर कांग्रेस और रिजर्व बैंक ने जो आशंकाएं जताई थीं वो सच साबित होती दिख रही हैं। देखें इस एक फैसले की वजह से आपको और देश को क्या नुकसान उठाने पड़ रहे हैं, जिसमें 2 लाख करोड़ से ज्यादा का घाटा शामिल है।
Effects of demonetisation on common man essay in india
1 नोट छापने का खर्च बढ़ा
नोटबंदी के चलते रिजर्व बैंक के नोट छापने के खर्च में 131 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। नए नोट छापने में रिजर्व बैंक को 7965 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े, जबकि इससे पहले वाले वर्ष में रिजर्व बैंक ने नोटों की छपाई पर 3421 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
2. 15 लाख की नौकरी गई
इसी माह कांग्रेस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखा था। उसमें कहा गया था कि महज डेढ़ साल में डेढ़ साल में 1.6 करोड़ भारतीयों की नौकरी चली गई। सीएमआईई के सर्वे के मुताबिक, नोटबंदी के फैसले के चलते सीधे-सीधे 15 लाख लोगों की नौकरी चली गई।
3 कर्ज का बोझ बढ़ा
नोटबंदी की वजह से बाजार में नकदी घट गई है। इसके चलते उपभोक्ताओं पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ आंकड़ों के मुताबिक, उभोक्ताओं पर कर्ज 3.1 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी हो गया है।
4 टूट रहा लोगों का भरोसा
हाल ही में आरबीआई ने कस्टमर कॉन्फिडेंस सर्वे जारी किया था, जिसमें लोगों ने इनकम ग्रोथ, बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति पर असंतोष जाहिर किया है। इन मामलों में बीते एक साल के दौरान लोगों की नेगेटिव राय बढ़ी है। आरीबाई ने यह सर्वे बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में कराया था
जनता ने मोदी सरकार का साथ जरूर दिया मगर कांग्रेस और रिजर्व बैंक ने जो आशंकाएं जताई थीं वो सच साबित होती दिख रही हैं। देखें इस एक फैसले की वजह से आपको और देश को क्या नुकसान उठाने पड़ रहे हैं, जिसमें 2 लाख करोड़ से ज्यादा का घाटा शामिल है।
Effects of demonetisation on common man essay in india
1 नोट छापने का खर्च बढ़ा
नोटबंदी के चलते रिजर्व बैंक के नोट छापने के खर्च में 131 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। नए नोट छापने में रिजर्व बैंक को 7965 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े, जबकि इससे पहले वाले वर्ष में रिजर्व बैंक ने नोटों की छपाई पर 3421 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
2. 15 लाख की नौकरी गई
इसी माह कांग्रेस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक पत्र लिखा था। उसमें कहा गया था कि महज डेढ़ साल में डेढ़ साल में 1.6 करोड़ भारतीयों की नौकरी चली गई। सीएमआईई के सर्वे के मुताबिक, नोटबंदी के फैसले के चलते सीधे-सीधे 15 लाख लोगों की नौकरी चली गई।
3 कर्ज का बोझ बढ़ा
नोटबंदी की वजह से बाजार में नकदी घट गई है। इसके चलते उपभोक्ताओं पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ आंकड़ों के मुताबिक, उभोक्ताओं पर कर्ज 3.1 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी हो गया है।
4 टूट रहा लोगों का भरोसा
हाल ही में आरबीआई ने कस्टमर कॉन्फिडेंस सर्वे जारी किया था, जिसमें लोगों ने इनकम ग्रोथ, बेरोजगारी और आर्थिक स्थिति पर असंतोष जाहिर किया है। इन मामलों में बीते एक साल के दौरान लोगों की नेगेटिव राय बढ़ी है। आरीबाई ने यह सर्वे बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में कराया था
5 आठ कोर सेक्टर धीमे पड़े
भारत के 8 प्रमुख उद्योगों के प्रोडक्शन की रफ्तार इस जुलाई में घटकर 2.4 % रह गई, जबकि पिछले साल इस दौरान यह दर 3.1 % थी। यह गिरावट छोटी नहीं है। यह आंकड़े खुद सरकार ने जारी किए हैं।
इन आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी, फर्टीलाइजर, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। ये कोर सेक्टर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
6. 2 लाख करोड़ का नुकसान
नोटबंदी की वजह से जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का कहना है कि सुनने में यह आंकड़ा आम लोगों को छोटा लग सकता है, मगर इसे अगर रुपए में कनवर्ट करके बताया जाए तो इकोनॉमी को सवा दो लाख करोड़ का नुकसान हुआ है
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