Doklam vivad भारत ने डोकलाम पर चीन का कब्जा मान लिया China NEWS
30 August 2017
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चीन की सरकारी मीडिया ने बुधवार को कहा कि भारत ने डोकलाम पर चीन का कब्जा मान लिया है, इसीलिए उसने (नई दिल्ली) इलाके से अपनी सेना को वापस बुला लिया है। मीडिया ने ये भी कहा कि बीजिंग ने यह साफ कर दिया है कि इलाके में उसकी सेना पेट्रोलिंग करती रहेगी। बता दें कि 28 अगस्त को दोनों देशों ने सिक्किम सेक्टर के डोकलाम एरिया में आमने-सामने तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था।
16 जून को विवाद तब शुरू हुआ था, जब भारतीय सैनिकों ने इलाके में सड़क बना रहे चीनी सैनिकों को रोक दिया था। भारत के साथ ही भूटान भी इस मामले में चीन के खिलाफ था।दोनों देशों में कुछ लोग अभी भी टकराव पैदा करने में जुटे...
- चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 'डोकलाम स्टैंडऑफ सेटलमेंट एक विक्ट्री फॉर एशिया' टाइटल से एक एडीटोरियल लिखा है। इसमें कहा गया है, "डोकलाम मामले को लेकर भारत में पब्लिक के बीच यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि इस मसले से नई दिल्ली ने बेहद गरिमा पूर्ण तरीके से निपटा है, चीन इसका खंडन नहीं करता है। बीजिंग की यह इच्छा थी कि वह भारतीय सैनिकों को हारे हुए चेहरे के साथ जाता हुआ ना देखे।"
- "लेकिन दोनों देशों में कुछ लोग अभी भी टकराव के माहौल पैदा करने में जुटे हैं, जो कि पिछले 2 महीने से चल रहा था। इस दौरान दोनों ही पक्ष एक-दूसरे से जिस तरह पेश आए, उससे इस गतिरोध पर गंभीर असर पड़ा।"
चीन के संयम ने भारत को परेशान होने से बचा लिया
- अखबार ने लिखा है, कुछ भारतीय मीडिया ने डोकलाम मामले में नई दिल्ली की जीत का दावा किया है। कुछ इनसाइड स्टोरीज में भारतीय पक्ष का इसमें अपर हैंड बताया गया है। लेकिन चीन ने इस मामले में संयम बरता और भारत को परेशान होने से बचा लिया।"
- "सच्चाई ये है कि भारत ने सोमवार को इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया। ऐसा करके नई दिल्ली ने यह मान लिया है कि डोकलाम पर असल कब्जा चीन का है। भारत में राष्ट्रवादी भावना बढ़ रही है, ऐसी स्थिति में मोदी सरकार के लिए भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला आसान नहीं था।"
हम भारतीय मीडिया के साथ उलझना नहीं चाहते
- ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "चीन के दबाव के बावजूद भारत ने इस मामले में एक तर्कसंगत नजरिया अपनाया। इसलिए हमें भारत के कदम को एनकरेज करना चाहिए। भारत का नजरिया एक महान शक्ति के रूप में चीन के आचरण से मेल खाता है।"
- "गतिरोध के दौरान इस अखबार ने भारत की सख्त आलोचना की, लेकिन अब हम भारतीय मीडिया के साथ इस तर्क में नहीं उलझना चाहते कि इस मामले में किसकी जीत हुई। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि दोनों देश जंग किए बिना ही इस संकट को खत्म कर सकते हैं , जो एशिया की जीत है।"
72 दिनों बाद हल हुआ मसला
- बता दें कि 16 जून को शुरू हुए डोकलाम विवाद का हल 72 दिनों बाद सामने आया। भारत-चीन के बीच जवानों का ‘डिसइंगेजमेंट’ करने पर रजामंदी बनी है। चीन ने बॉर्डर से रोड बनाने के इक्विपमेंट और बुलडोजर्स हटा लिए। भारत ने भी वहां से अपने सैनिकों को हटा लिया है।
- मोदी को अगले हफ्ते ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन जाना है। अगर वो इस विवाद की वजह से वहां नहीं जाते तो ये चीन को ग्लोबल लेवल पर बड़ा नुकसान माना जाता। ये इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत ने कुछ महीने पहले वन बेल्ट-वन रोड समिट में हिस्सा नहीं लिया था।
- भारत ने डोकलाम में 350 जवान तैनात किए थे। चीन डोकलाम में सड़क बनाना चाहता था। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे थे। चूंकि, यहां तीन देशों की सीमाएं मिलती हैं, इसलिए इसे ‘ट्राइजंक्शन’ एरिया कहा जाता है।
16 जून को विवाद तब शुरू हुआ था, जब भारतीय सैनिकों ने इलाके में सड़क बना रहे चीनी सैनिकों को रोक दिया था। भारत के साथ ही भूटान भी इस मामले में चीन के खिलाफ था।दोनों देशों में कुछ लोग अभी भी टकराव पैदा करने में जुटे...
- चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 'डोकलाम स्टैंडऑफ सेटलमेंट एक विक्ट्री फॉर एशिया' टाइटल से एक एडीटोरियल लिखा है। इसमें कहा गया है, "डोकलाम मामले को लेकर भारत में पब्लिक के बीच यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि इस मसले से नई दिल्ली ने बेहद गरिमा पूर्ण तरीके से निपटा है, चीन इसका खंडन नहीं करता है। बीजिंग की यह इच्छा थी कि वह भारतीय सैनिकों को हारे हुए चेहरे के साथ जाता हुआ ना देखे।"
- "लेकिन दोनों देशों में कुछ लोग अभी भी टकराव के माहौल पैदा करने में जुटे हैं, जो कि पिछले 2 महीने से चल रहा था। इस दौरान दोनों ही पक्ष एक-दूसरे से जिस तरह पेश आए, उससे इस गतिरोध पर गंभीर असर पड़ा।"
चीन के संयम ने भारत को परेशान होने से बचा लिया
- अखबार ने लिखा है, कुछ भारतीय मीडिया ने डोकलाम मामले में नई दिल्ली की जीत का दावा किया है। कुछ इनसाइड स्टोरीज में भारतीय पक्ष का इसमें अपर हैंड बताया गया है। लेकिन चीन ने इस मामले में संयम बरता और भारत को परेशान होने से बचा लिया।"
- "सच्चाई ये है कि भारत ने सोमवार को इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया। ऐसा करके नई दिल्ली ने यह मान लिया है कि डोकलाम पर असल कब्जा चीन का है। भारत में राष्ट्रवादी भावना बढ़ रही है, ऐसी स्थिति में मोदी सरकार के लिए भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला आसान नहीं था।"
हम भारतीय मीडिया के साथ उलझना नहीं चाहते
- ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "चीन के दबाव के बावजूद भारत ने इस मामले में एक तर्कसंगत नजरिया अपनाया। इसलिए हमें भारत के कदम को एनकरेज करना चाहिए। भारत का नजरिया एक महान शक्ति के रूप में चीन के आचरण से मेल खाता है।"
- "गतिरोध के दौरान इस अखबार ने भारत की सख्त आलोचना की, लेकिन अब हम भारतीय मीडिया के साथ इस तर्क में नहीं उलझना चाहते कि इस मामले में किसकी जीत हुई। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि दोनों देश जंग किए बिना ही इस संकट को खत्म कर सकते हैं , जो एशिया की जीत है।"
72 दिनों बाद हल हुआ मसला
- बता दें कि 16 जून को शुरू हुए डोकलाम विवाद का हल 72 दिनों बाद सामने आया। भारत-चीन के बीच जवानों का ‘डिसइंगेजमेंट’ करने पर रजामंदी बनी है। चीन ने बॉर्डर से रोड बनाने के इक्विपमेंट और बुलडोजर्स हटा लिए। भारत ने भी वहां से अपने सैनिकों को हटा लिया है।
- मोदी को अगले हफ्ते ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन जाना है। अगर वो इस विवाद की वजह से वहां नहीं जाते तो ये चीन को ग्लोबल लेवल पर बड़ा नुकसान माना जाता। ये इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत ने कुछ महीने पहले वन बेल्ट-वन रोड समिट में हिस्सा नहीं लिया था।
- भारत ने डोकलाम में 350 जवान तैनात किए थे। चीन डोकलाम में सड़क बनाना चाहता था। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे थे। चूंकि, यहां तीन देशों की सीमाएं मिलती हैं, इसलिए इसे ‘ट्राइजंक्शन’ एरिया कहा जाता है।
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