कलयुग के प्रभाव से 5 तरह के आदमी about kali yuga facts period kalki avatar


हजार वर्ष पूर्व शुकदेवजी ने satyug dwaparyug tretayug kalyug बताया और फिर भगवान कृष्ण ने कलयुग के प्रभाव से आदमी कैसे हो जागेंगे बतलाया कलियुग में ऐसे लोगों की बहुतायत होगी जो पराये धन को हरने और छीनने को आतुर होंगे और कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा.
 कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा. बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा. “”किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे…. किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा ?””

इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोहमाया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा. अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा. वास्तव में तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है. तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है .

अतः तुम अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानो, तथा इस मायापूर्ण दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविकता को गले लगाओ.

सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा था की छः कुए तो जल से भरे थे परन्तु सातवां कुआँ एकदम खाली था. कलयुग में जो व्यक्ति धनवान होगा वह अपने लड़के लड़की के विवाह में, मकान में, छोटे बड़े उत्सवों में लाखो रूपये खर्च कर देंगे परन्तु वही यदि उनके पड़ोस में कोई बच्चा भूखा प्यासा होगा तो यह देखेंगे भी नहीं की उसका पेट भरा है या नहीं. वैसे व्यसन, मॉस-मदिरा,

इत्यादि में लाखो पैसे उड़ा देंगे परन्तु किसी गरीब के आंसू पोछने में उनकी कोई रूचि नहीं होगी. और जिनकी रूचि होगी उन पर कलयुग का कोई प्रभाव नहीं होगा.

पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई, कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा. यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा. किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जायेगा.
यह तो सब को पता है की एक ना एक दिन मनुष्य को मृत्यु आनी निश्चित है - परन्तु फिर भी मनुष्य को मृत्यु से डर लगता है और जब मृत्यु नजदीक आती है तो मोह और बढ़ जाता है. परन्तु मोह में फंसे व्यक्ति की यमदूत एक नहीं सुनते तथा अपने यमपाश से बाँधकर व्यक्ति की आत्मा को उसके शरीर से बाहर खींच लेते है.

अतः हमे मृत्यु को जितने का प्रयास करना चाहिए , मृत्यु को जितने से यह मतलब नहीं की अमरता की तलाश करें बल्कि ऐसा कार्य करें की आशवस्त हो की अब पुनः मरना नहीं पड़ेगा.

आज हम आपको मृत्यु एवं आत्मा से संबंधित बहुत ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी बताने वाले है जो की हमारे प्रसिद्ध ग्रंथो में से एक गरुड़ पुराण से ली गई है.

गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में 10 ऐसे अंग बताए गए है जो खुले रहते है, दो आँख, दो नासिक के छिद्र, दो कानो के छिद्र, मुख व मल-मूत्र विसजर्न का द्वार. आखरी द्वार मनुष्य के सर के बीच का तलवा. जिसे आप अभी तो नहीं परन्तु जिस समय बच्चा नवजात रहता है तब उसके सर को छू कर महसूस कर सकते है.

माँ के गर्भ में बच्चे के शरीर पर आत्मा का प्रवेश इसी दवार से कराया जाता है यही कारण है वह बेहद कमजोर होता है. यही एक कारण यह भी है की जब किसी धार्मिक स्थान या मंदिर में पूजा की जाती है तो सर को धक कर रखा जाता है ताकि ध्यान भंग न हो अन्यथा चित्त अस्थिर हो जाता है.

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