मंत्री नरोत्तम मिश्रा 3 साल के लिए अयोग्य Minister narottam mishra
24 June 2017
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MP NEWS - मध्यप्रदेश शासन के मंत्री और सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी तेजतर्रार मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग ने 3 साल के लिए विधायक के लिए अयोग्य ठहरा दिया है मौजूदा विधायकी गई विधानसभ सभा चुनाव के दौरान मिश्रा पर पेड न्यूज के आरोप लगे थे।
चुनाव आयोग ने पूरे मामले की जांच और सुनवाई के बाद मिश्रा की विधायकी को रद्द कर उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया है। साथ ही अगले तीन सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है।
शिवराज सरकार के लिए बड़ा झटका
नरोत्तम मिश्र की तेजी और जनसंपर्क कौशल को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनको जन सम्पर्क विभाग की भी ज़िम्मेदारी दी. साथ ही अनकहे अघोषित उपमुख्यमंत्री जैसी हैसियत भी. लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले आए चुनाव आयोग का यह आदेश शिवराज सिंह के लिए बड़ा झटका है
— ANI (@ANI_news) June 24, 2017
आयोग ने मिश्रा से चुनाव के दौरान पेड न्यूज पर खर्च की गई रकम का ब्योरा मांगा था। जिसे उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने अप्रैल 2009 में आयोग से इस संबंध में शिकायत की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने जनवरी 2013 में मिश्रा से जवाब तलब किया था।
उन्होंने इस मामले को हाइकोर्ट में चुनौती भी दी थी, जिस पर शुरू में उन्हें स्टे मिल गया था। बाद में आयोग की दलील पर स्टे ऑर्डर वापस ले लिया गया था। इसके बाद मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी, जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर 2008 के विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के अखबारों में 42 बार पेड न्यूज छपवाने का आरोप है। कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती का आरोप है कि ऐसा करके उन्होंने मतदान तथा मतदाताओं को प्रभावित किया है। उनकी शिकायत पर हुई जांच के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने मिश्रा की विधानसभा सदस्यता रद कर दिया और उनके निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया।
गौरतलब है कि यदि कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनाव के दौरान किए गए खर्च का ब्योरा तय समय में देने में असफल रहता है और उस पर पेड न्यूज का आरोप साबित होता है। तो चुनाव आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए संबंधित चुनाव को शून्य घोषित कर सकता है और आरोपी पर चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा सकता है।
चुनाव आयोग ने पूरे मामले की जांच और सुनवाई के बाद मिश्रा की विधायकी को रद्द कर उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया है। साथ ही अगले तीन सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है।
शिवराज सरकार के लिए बड़ा झटका
नरोत्तम मिश्र की तेजी और जनसंपर्क कौशल को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनको जन सम्पर्क विभाग की भी ज़िम्मेदारी दी. साथ ही अनकहे अघोषित उपमुख्यमंत्री जैसी हैसियत भी. लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले आए चुनाव आयोग का यह आदेश शिवराज सिंह के लिए बड़ा झटका है
— ANI (@ANI_news) June 24, 2017
आयोग ने मिश्रा से चुनाव के दौरान पेड न्यूज पर खर्च की गई रकम का ब्योरा मांगा था। जिसे उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने अप्रैल 2009 में आयोग से इस संबंध में शिकायत की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने जनवरी 2013 में मिश्रा से जवाब तलब किया था।
उन्होंने इस मामले को हाइकोर्ट में चुनौती भी दी थी, जिस पर शुरू में उन्हें स्टे मिल गया था। बाद में आयोग की दलील पर स्टे ऑर्डर वापस ले लिया गया था। इसके बाद मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी, जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर 2008 के विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के अखबारों में 42 बार पेड न्यूज छपवाने का आरोप है। कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती का आरोप है कि ऐसा करके उन्होंने मतदान तथा मतदाताओं को प्रभावित किया है। उनकी शिकायत पर हुई जांच के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने मिश्रा की विधानसभा सदस्यता रद कर दिया और उनके निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया।
गौरतलब है कि यदि कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनाव के दौरान किए गए खर्च का ब्योरा तय समय में देने में असफल रहता है और उस पर पेड न्यूज का आरोप साबित होता है। तो चुनाव आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए संबंधित चुनाव को शून्य घोषित कर सकता है और आरोपी पर चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा सकता है।
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