कविता : अजनबी शहर में मेरी माँ बहुत याद आती हे..Mothers Day Special Poem
10 May 2017
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सच में माँ से बढ़कर इस दुनिया में कुछ नहीं हे. दुनिया का सबसे दुर्लभ ज्ञान माँ के पास ही हे. माँ के प्यार और दुलार के कारण ही बच्चा हर संकट में सबसे पहले अपनी माँ को ही याद करता हे. ना जाने कितने दुःख देखे हे हमारी माँ ने हमारे लिए. आज में आपको माँ से जुडी एक कविता बता रहा हु, जिसे पढ़कर आपको आँखों में भी आंसू आ जायेंगे.
Mothers Day Special Poem
अजनबी शहर में अपने घर की,
बहुत याद आती हे,
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
मुश्किलों के इस सफर की तेज धुप में,
जब तन-मन झुलसने लगता हे,
तेरे आँचल की वो ठंडी छाव,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
अजनबी शहर में अपने घर की,
बहुत याद आती हे,
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
मुश्किलों के इस सफर की तेज धुप में,
जब तन-मन झुलसने लगता हे,
तेरे आँचल की वो ठंडी छाव,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
यह भी पढ़े ऐसी जगह जहाँ महिलाएं जूतों में पानी पीने को मजबूर हे
पराये देश में अपने हाथों के बने,
कच्चे पक्के खाने में,
जब आधे पेट सोना पड़ता हे,
तेरे हाथ की बनी ‘कढ़ी’,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
काम के तनाव में जब रातों में,
नींद नहीं आती हे,
मेरे बालों की वो तेल मालिश और,
तेरे हाथों की वो ‘नर्म थपकियाँ’,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
अजनबी शहर में अपने घर की
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
पराये देश में अपने हाथों के बने,
कच्चे पक्के खाने में,
जब आधे पेट सोना पड़ता हे,
तेरे हाथ की बनी ‘कढ़ी’,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
काम के तनाव में जब रातों में,
नींद नहीं आती हे,
मेरे बालों की वो तेल मालिश और,
तेरे हाथों की वो ‘नर्म थपकियाँ’,
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
अजनबी शहर में अपने घर की
बहुत याद आती हे.
दुनिया की भीड़ में “मेरी माँ”,
बहुत याद आती हे.
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