DNA TEST करबाया तो गैंगरेप से हो गए दोषमुक्त kaise kiya jata hai dna replication


Dna test full form in hindi = डीएनए टेस्ट विभिन्न व्यक्तियों के बीच परिवार के रिश्तों का सबूत प्रदान करता है। डीएनए टेस्ट से रक्त संबंध (blood relation) और एक ही परिवार से होने का पता चलता है।
यदि कोई व्यक्ति रक्त संबंध के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से जुड़ा है,और उनकी खून की जाँच में एक ही डीएनए युक्त नमूना मिलता है, तो यह दोनों के बीच संबंध होने का सबूत देता है। उदाहरण के लिए, एक पिता का डीएनए हमेशा अपने बच्चों के डीएनए से मैच होता है। दो भाई बहनों में समानता दिखाने के लिए उनके डीएनए टेस्ट के माध्यम से उनके भाई बहन होने को निर्धारित करता है।
1 दादा के डीएनए अपने पोते के डीएनए से मैच होता है। भारत में डीएनए टेस्ट ज्यादातर एक पिता और उसके बच्चों के बीच relationship prove करने के लिए प्रयोग किया जाता है। कई मामलों में, अलग-अलग परिवार के सदस्यों के बीच विरासत, इमीग्रेशन या अन्य कानूनी प्रयोजनों को स्थापित करने के लिए आवश्यक होता है।

डीएनए टेस्ट से हो गए दोषमुक्त- दो साल पहले झलारा गांव में हुए गैंगरेप के आरोपी दिलीप पिता सरदार, दिलीप व सुनील पिता रामचंद्र को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। बचाव पक्ष की दलीलों और सबूतों पर कोर्ट ने आरोप को चुनावी रंजिश से जुड़ा माना। यहां तक पुलिस ने आरोपियों के डीएनए टेस्ट नहीं कराई। उल्टे आरोपियों ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कोर्ट से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की।

रिपोर्ट निगेटिव आई तो वह दोषमुक्त हो गए। झलारा गांव की एक महिला ने आठ मार्च 2015 को उपरोक्त तीनों आरोपियों के खिलाफ माकड़ौन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शाम 7.30 बजे नरेंद्र सिंह के खेत में दोनों दिलीप ने ज्यादती की। जब वह चिल्लाई तो आवाज सुनकर उसका बेटा आ गया, जिसे सुनील ने मारपीट कर भगा दिया। अगले दिन मामला माकड़ौन थाने पहुंचा। महिला के अनुसूचित जाति की होने से अजाक थाने में तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हाे गया।

मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार के साथ ग्रामीणों ने एसपी एमएस वर्मा को ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच की मांग की थी। एसपी ने कहा था कि डीएनए टेस्ट कराकर सत्यता जांचेंगे। बावजूद इसके पुलिस ने आरोपियों का डीएनए टेस्ट नहीं कराया।

  नारायण ने महिला के माध्यम से तीनों को फंसाया 

बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र शर्मा ने बताया महिला गांव के ही नारायण सिंह के यहां मजदूरी करती थी। नारायण सिंह और आरोपी दिलीप परिहार सरपंच का चुनाव लड़े थे। जिसमें नारायण की जीत हुई थी। चुनावी रंजिश के कारण नारायण ने महिला के माध्यम से तीनों को फंसाया। उन्होंने बताया कि महिला 28 मार्च 2008 को जगदीश पिता बालाराम और रमेश बलाई के खिलाफ छेड़छाड़ और 20 जून 2013 को भारत व दिलीप पिता तेजूलाल के खिलाफ गाली गलौज व मारपीट का मुकदमा दर्ज करा चुकी है।

दोनों ही मामलों में उसने कोर्ट में राजीनामा कर लिया था। इसके अलावा पुलिस ने तीनों आरोपियों के डीएनए टेस्ट नहीं कराया था। आरोपियों ने अपना डीएनए टेस्ट कराने की कोर्ट से खुद मांग की थी। टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई, जिससे यह साबित हो गया कि उनके मुवक्किलों पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने सबूतों के आधार पर यह भी माना कि चुनावी रंजिश के कारण ही तीनों पर आरोप लगाए हैं

1 Response to

  1. मै यक सादि सूदा हू मूझे मेंरे बीबी पर शक है वर dna टेश्ट क्या मेरा हल हो सकती है

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