जीवन में विघ्न बाधाएं समस्या समाधान विधि ganesha dwadasanama stotram pdf naam hindi
9 March 2017
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सभी जानते है की श्री गणेश जी विघ्नहर्ता है यदि हम नियम पूर्वक, पूर्ण मनोयोग से श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र का जप करे तो हमारे जीवन में आनेवाली हर छोटी-बडी समस्या का निवारण हो सकता है। आइए जानते है
श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र और उसकी साधना विधि।
Ganesh Dwadash Naam Stotram ॥ श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र ॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
भावार्थ:- १.सुमुख २.एकदन्त ३.कपिल ४.गजकर्ण ५.लम्बोदर ६.विकट ७.विघ्ननाश ८.विनायक ९.धूम्रकेतु १०.गणाध्यक्ष ११.भालचन्द्र १२.गजानन ; इन बारह नामों के पाठ करने व सुनने से छः स्थानों १.विद्यारम्भ २.विवाह ३.प्रवेश(प्रवेश करना) ४.निर्गम(निकलना) ५.संग्राम और ६.संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है।
साधना विधि: प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के सामने पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुख रखकर स्वच्छ आसन पर बैठ जाये. तत पश्चात दीपक जलाकर गणेशजी की चंदन, पुष्प, धूप-दीप और नैवेध द्वारा पूजन करे. फ़िर इस द्वादश नामो के मंत्रोच्चार के साथ दुर्वा चढाकर गणेशजी को अपनी समस्या के निवारण हेतू प्रसन्न करे.
विशेष:- सिद्धों के अनुसार, यात्रा में सुरक्षा के लिए, घर से निकलते समय उपरोक्त स्तोत्र का पाठ पूर्ण श्रद्धाभाव से करने पर श्रीगणपति यात्रा को अवश्य ही निर्विघ्न संपन्न कराते हैं
श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र और उसकी साधना विधि।
Ganesh Dwadash Naam Stotram ॥ श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र ॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
भावार्थ:- १.सुमुख २.एकदन्त ३.कपिल ४.गजकर्ण ५.लम्बोदर ६.विकट ७.विघ्ननाश ८.विनायक ९.धूम्रकेतु १०.गणाध्यक्ष ११.भालचन्द्र १२.गजानन ; इन बारह नामों के पाठ करने व सुनने से छः स्थानों १.विद्यारम्भ २.विवाह ३.प्रवेश(प्रवेश करना) ४.निर्गम(निकलना) ५.संग्राम और ६.संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है।
साधना विधि: प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के सामने पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुख रखकर स्वच्छ आसन पर बैठ जाये. तत पश्चात दीपक जलाकर गणेशजी की चंदन, पुष्प, धूप-दीप और नैवेध द्वारा पूजन करे. फ़िर इस द्वादश नामो के मंत्रोच्चार के साथ दुर्वा चढाकर गणेशजी को अपनी समस्या के निवारण हेतू प्रसन्न करे.
विशेष:- सिद्धों के अनुसार, यात्रा में सुरक्षा के लिए, घर से निकलते समय उपरोक्त स्तोत्र का पाठ पूर्ण श्रद्धाभाव से करने पर श्रीगणपति यात्रा को अवश्य ही निर्विघ्न संपन्न कराते हैं
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