हनुमानजी को सिंदूर का चोला क्यों लगाते हैं फायदे गूढ़ रहस्य hanuman sindoor upaya orange sindoor puja
19 February 2017
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हनुमानजी की कई बातों का गूढ़ रहस्य है और जब उन पर मनन किया जाए तो उसका वैज्ञानिक आधार भी मिलता है हनुमानजी बल, बुद्धि, विद्या और पराक्रम के देवता हैं
हिंदू धर्म के देवताओं में प्रमुख हनुमानजी हैं। वे जिस पर प्रसन्न हो जाते हैं, उसके लिए सफलता के द्वार खुल जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सिंदूर और चोला चढ़ाने से मूर्ति का स्पर्श होता है, इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। निश्चित रूप से इसका असर मनुष्य की तेजस्विता पर पड़ता है और शरीर को लाभ मिलता है।
क्या है सिंदूर लगाने की कहानी? Sindoor and chameli offering to lord hanuman
एक बार जब हनुमानजी को भूख लगी तो वे भोजन के लिए सीताजी के पास गए। सीताजी की मांग में सिंदूर लगा देखकर वे चकित हुए और उनसे पूछा, मां, आपने ये क्या लगाया है? तब सीताजी ने उनसे कहा कि यह सिंदूर है, जो सौभाग्यवती महिलाएं अपने स्वामी की लंबी उम्र, प्रसन्नता और कुशलता के लिए लगाती हैं। फिर हनुमानजी ने सोचा कि अगर चुटकी भर सिंदूर लगाने से स्वामी की प्रसन्नता प्राप्त होती है तो पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से तो वे अमर हो जाएंगे, सदा प्रसन्न रहेंगे। फिर हनुमान जी ने पूरे बदन पर सिंदूर लगा लिया और भगवान श्रीराम की सभा में गए। हनुमान का यह रूप देखकर सभी सभासद हंसे। भगवान श्रीराम भी स्वयं के प्रति उनके प्रेम को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि जो भी मनुष्य मंगलवार और शनिवार को उन्हें घी के साथ सिंदूर अर्पित करेगा, उस पर स्वयं श्रीराम भी कृपा करेंगे और उसके बिगड़े काम बन जाएंगे।
अनंत ऊर्जा का प्रतीक है सिंदूर - विज्ञान के मुताबिक हर रंग में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और जब हनुमानजी को अर्पित करने के बाद भक्त इससे तिलक करता है तो दोनों आंखों के बीच स्थित ऊर्जा केंद्र सक्रिय हो जाता है। ऐसा करने से मन में अच्छे विचार आते हैं । साथ ही परमात्मा की ऊर्जा प्राप्त होती है। हनुमानजी को घृत (घी) मिश्रित सिंदूर चढ़ाने से बाधाओं का निवारण होता है।
जब सीता ने हनुमान जी ललाट पर सिंदूर लगाया था - कहा जाता है कि जब लंका विजय के बाद, भगवान राम-सीता अयोध्या आये, तो वानर सेना की विदाई की गई थी। जब हनुमान जी को सीता जी विदा कर रही थीं, तो उन्होने अपने गले की माला उतार कर पहनाई थी। बहुमूल्य मोतियों और हीरों से जड़ी ये माला पाकर हनुमान जी प्रसन्न नहीं हुये। क्योंकि उस पर भगवान श्रीराम का नाम नहीं था। तब सीता जी ने अपने माथे पर लगा सिंदूर, हनुमान जी के ललाट पर लगाया था।
सीता जी ने हनुमान जी से कहा था कि इससे अधिक महत्व की उनके पास कोई वस्तु नहीं है। इसलिये यह सिंदूर धारण कर, तुम अजर अमर हो जाओ। तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा। इसी सिंदूर से हनुमान जी आज भी अजर अमर हैं। ऐसी मान्यता है कि नरक चौदस के दिन हनुमान जी की पूजा से हर तरह की बाधा दूर हो जाती है
हिंदू धर्म के देवताओं में प्रमुख हनुमानजी हैं। वे जिस पर प्रसन्न हो जाते हैं, उसके लिए सफलता के द्वार खुल जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सिंदूर और चोला चढ़ाने से मूर्ति का स्पर्श होता है, इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। निश्चित रूप से इसका असर मनुष्य की तेजस्विता पर पड़ता है और शरीर को लाभ मिलता है।
क्या है सिंदूर लगाने की कहानी? Sindoor and chameli offering to lord hanuman
एक बार जब हनुमानजी को भूख लगी तो वे भोजन के लिए सीताजी के पास गए। सीताजी की मांग में सिंदूर लगा देखकर वे चकित हुए और उनसे पूछा, मां, आपने ये क्या लगाया है? तब सीताजी ने उनसे कहा कि यह सिंदूर है, जो सौभाग्यवती महिलाएं अपने स्वामी की लंबी उम्र, प्रसन्नता और कुशलता के लिए लगाती हैं। फिर हनुमानजी ने सोचा कि अगर चुटकी भर सिंदूर लगाने से स्वामी की प्रसन्नता प्राप्त होती है तो पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से तो वे अमर हो जाएंगे, सदा प्रसन्न रहेंगे। फिर हनुमान जी ने पूरे बदन पर सिंदूर लगा लिया और भगवान श्रीराम की सभा में गए। हनुमान का यह रूप देखकर सभी सभासद हंसे। भगवान श्रीराम भी स्वयं के प्रति उनके प्रेम को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि जो भी मनुष्य मंगलवार और शनिवार को उन्हें घी के साथ सिंदूर अर्पित करेगा, उस पर स्वयं श्रीराम भी कृपा करेंगे और उसके बिगड़े काम बन जाएंगे।
अनंत ऊर्जा का प्रतीक है सिंदूर - विज्ञान के मुताबिक हर रंग में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और जब हनुमानजी को अर्पित करने के बाद भक्त इससे तिलक करता है तो दोनों आंखों के बीच स्थित ऊर्जा केंद्र सक्रिय हो जाता है। ऐसा करने से मन में अच्छे विचार आते हैं । साथ ही परमात्मा की ऊर्जा प्राप्त होती है। हनुमानजी को घृत (घी) मिश्रित सिंदूर चढ़ाने से बाधाओं का निवारण होता है।
जब सीता ने हनुमान जी ललाट पर सिंदूर लगाया था - कहा जाता है कि जब लंका विजय के बाद, भगवान राम-सीता अयोध्या आये, तो वानर सेना की विदाई की गई थी। जब हनुमान जी को सीता जी विदा कर रही थीं, तो उन्होने अपने गले की माला उतार कर पहनाई थी। बहुमूल्य मोतियों और हीरों से जड़ी ये माला पाकर हनुमान जी प्रसन्न नहीं हुये। क्योंकि उस पर भगवान श्रीराम का नाम नहीं था। तब सीता जी ने अपने माथे पर लगा सिंदूर, हनुमान जी के ललाट पर लगाया था।
सीता जी ने हनुमान जी से कहा था कि इससे अधिक महत्व की उनके पास कोई वस्तु नहीं है। इसलिये यह सिंदूर धारण कर, तुम अजर अमर हो जाओ। तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा। इसी सिंदूर से हनुमान जी आज भी अजर अमर हैं। ऐसी मान्यता है कि नरक चौदस के दिन हनुमान जी की पूजा से हर तरह की बाधा दूर हो जाती है
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