सेक्सी मन को नियंत्रित करने के उपाय how to control yourself


Stop Thinking About In Hindi - शरीर या मन ज्यों-ज्यों विषय भोगता जाता है, त्यों-त्यों अधिक सुलगता जाता है नहीं भोगने से थोड़े दिन परेशान होते हैं, शायद महीना-दो महीना। मगर बाद में अपरिचय से बिलकुल भूल ही जाते हैं। और भोगनेवाला मनुष्य वासना निकाल सके उस बात में कोई दम नहीं है

इसलिए हमारे शास्त्रों की खोज है कि यह ब्रह्मचर्य का रास्ता ही उत्तम है इसलिए सबसे बड़ा उपाय, अपरिचय!
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एक बार उस वस्तु से अलग रहें न, बारह महीने या दो साल तक दूर रहें तो फिर उस वस्तु को ही भूल जाता है।

मन का स्वभाव कैसा है? दूर रहा कि भूल जाता है। नज़दीक आया, कि फिर बार-बार कोंचता रहता है। परिचय मन का छूट गया। 'हम' अलग रहें तो मन भी उस वस्तु से दूर रहा, इसलिए भूल जाता है फिर, सदा के लिए। उसे याद भी नहीं आता। फिर कहें तो भी उस ओर नहीं जाता। ऐसा आपकी समझ में आता है? तू अपने दोस्त से दो साल दूर रहे तो तेरा मन उसे भूल जाएगा

प्रश्न : मन को जब विषय भोगने की हम छूट देते हैं, तब वह नीरस रहता है और जब हम उसे विषय भोगने में कंट्रोल (नियंत्रित) करते हैं तब वह अधिक उछलता हैं, आकर्षण रहता है, तो इसका क्या कारण है?

जवाब : ऐसा है न, इसे मन का कंट्रोल नहीं कहते। जो हमारा कंट्रोल स्वीकार नहीं करता तो वह कंट्रोल ही नहीं है। कंट्रोलर होना चाहिए न? खुद कंट्रोलर हो तो कंट्रोल स्वीकारेगा। खुद कंट्रोलर है नहीं, इसलिए मन मानता नहीं है। मन आपकी सुनता नहीं है न? मन को रोकना नहीं है। मन के कारणों को नियंत्रित करना है। मन तो खुद एक परिणाम है। वह परिणाम दिखाए बगैर रहेगा नहीं। परीक्षा का वह परिणाम है। परिणाम नहीं बदलता, परीक्षा बदलनी है। वह परिणाम जिस कारण से आता है, उन कारणों को बंद करना है। वह किस प्रकार पकड़ में आए? मन किससे पैदा हुआ है? तब कहे कि विषय में चिपका हुआ है। 'कहाँ चिपका है?' यह खोज निकालना चाहिए। फिर वहाँ काटना है

1 Response to

  1. Sir control Nahi hota h or mouth Karna parts h upay batayea na

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