माँ से नफरत सी हो गई है क्या आपको भी maa ki story in hindi real india
19 December 2016
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Mother Essay in Hindi Language ma story - मेरे को शहर आये दस साल हो गए पिताजी के गुजर जाने के बाद मैं अपने माँ को साथ ले आया, मैंने पत्नी को सख्त हिदायत दे रखी है माँ से कोई काम नहीं लेना , कुछ दिन ही हुआ है कि माँ पड़ोसियों के यहाँ ज्यादा समय गुजारने लगी और पडोसी जो है बड़े मजे लेकर गांव की बातें सुनना और मेरा हालात का भरपूर फायदा उठाने लगे और माँ को ये बातें कहाँ समझ आए , माँ उन्ही को अपना रिस्तेदार समझने लगी माँ को क्या मालूम गांव जैसा शहर में नहीं होता , बात यहाँ तक पहुंच गई कि माँ अब हमारी ही न सुने
माँ रोज-रोज बात-बात में बीवी से झगड़ा करना, काम से आओ तो दस बाते सुनाना, अपने घर का बुराई पडोसी से करना, ताने मारना बच्चों को बेवजह पिटना , दूसरों के बातो पर विश्वास करना, देर से सो के उठना बात-बात पर मैं मर जाउंगी बोलकर धमकी देना, छोटे भाई का अक्सर बड़ाई करना खाने को नापसंद करना जैसे - मुझे इस खाने से गैस बनती है करके नखरे करना, हद तो जब हो गई दोस्तों जब दूसरे के बहकाने से मुझसे लड़ने लगी मैंने भी गुस्से में दो चार बातें सुना दी फिर वह रोती हुई चली गई और फिर कानाफूसी में लग गई।
दोस्तों ;तब मुझे मेरे माँ से नफरत सी हो गई , फिर मैंने हौंसला रखा और समय के मांग को समझने की कोशिश की '', दोस्तों , मेरे माँ ने मुझे जन्म दिया है मैं आज जो भी हूँ उनके बदौलत हूँ माँ का कर्ज कोई उतार नहीं सकता,माँ अगर बुढ़ापे में कुछ गलत करे तो उसकी वजह हम हैं यही समय है जिसमें हम परेशनियों से निपटने की क़ाबलियत का प्रमाण देते हैं।
पर मैं क्या करूँ दोस्तों ; दूसरे दिन मैंने अपने पत्नी से बात की और एक बहुत बड़ा फैसला लिया। मैं अपने माँ के चरणों में गिर गया क्षमा मांगते हुए बात मानने की गुजारिस करने लगा माँ ने गला लगाते हुए हामी भर दी। बस फिर उस दिन से पत्नी के साथ माँ को हल्क़े फ़ुल्के काम देते रहे , जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे ,और माँ की जरुरत जैसे - माँ के लिए कपड़े, सुपच्या भोजन या माँ से पूछना , माँ आपको कुछ चाहिए क्या ? अब क्या बताऊ दोस्तों मेरा तो दुनिया बदल गयी है पत्नी से पहले मेरा माँ मेरे काम से घर आने का रास्ता देखती रहती है। दोस्तों बुजुर्ग माँ बाप को अपना प्यार और उनके क्षमता के अनुसार काम जरूर दें जिससे उनका स्वास्थय ठीक रहेगा ,दिन में बैठे रहने से अनेक बीमारी जकड़ लेगी और घर में कलह और अशांति के आलावा कुछ नहीं होगा
माँ रोज-रोज बात-बात में बीवी से झगड़ा करना, काम से आओ तो दस बाते सुनाना, अपने घर का बुराई पडोसी से करना, ताने मारना बच्चों को बेवजह पिटना , दूसरों के बातो पर विश्वास करना, देर से सो के उठना बात-बात पर मैं मर जाउंगी बोलकर धमकी देना, छोटे भाई का अक्सर बड़ाई करना खाने को नापसंद करना जैसे - मुझे इस खाने से गैस बनती है करके नखरे करना, हद तो जब हो गई दोस्तों जब दूसरे के बहकाने से मुझसे लड़ने लगी मैंने भी गुस्से में दो चार बातें सुना दी फिर वह रोती हुई चली गई और फिर कानाफूसी में लग गई।
दोस्तों ;तब मुझे मेरे माँ से नफरत सी हो गई , फिर मैंने हौंसला रखा और समय के मांग को समझने की कोशिश की '', दोस्तों , मेरे माँ ने मुझे जन्म दिया है मैं आज जो भी हूँ उनके बदौलत हूँ माँ का कर्ज कोई उतार नहीं सकता,माँ अगर बुढ़ापे में कुछ गलत करे तो उसकी वजह हम हैं यही समय है जिसमें हम परेशनियों से निपटने की क़ाबलियत का प्रमाण देते हैं।
पर मैं क्या करूँ दोस्तों ; दूसरे दिन मैंने अपने पत्नी से बात की और एक बहुत बड़ा फैसला लिया। मैं अपने माँ के चरणों में गिर गया क्षमा मांगते हुए बात मानने की गुजारिस करने लगा माँ ने गला लगाते हुए हामी भर दी। बस फिर उस दिन से पत्नी के साथ माँ को हल्क़े फ़ुल्के काम देते रहे , जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे ,और माँ की जरुरत जैसे - माँ के लिए कपड़े, सुपच्या भोजन या माँ से पूछना , माँ आपको कुछ चाहिए क्या ? अब क्या बताऊ दोस्तों मेरा तो दुनिया बदल गयी है पत्नी से पहले मेरा माँ मेरे काम से घर आने का रास्ता देखती रहती है। दोस्तों बुजुर्ग माँ बाप को अपना प्यार और उनके क्षमता के अनुसार काम जरूर दें जिससे उनका स्वास्थय ठीक रहेगा ,दिन में बैठे रहने से अनेक बीमारी जकड़ लेगी और घर में कलह और अशांति के आलावा कुछ नहीं होगा
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