कहानी बूढ़ी अम्मा की चाह..Story For Old Lady
16 October 2016
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आज अम्मा अपने बुखार के वहम को भी सत्य साबित करने पर तुली थी. आखिर क्यों?
'बेटा, देख तो मुझे बुखार है क्या?' अम्मा ने पूछा. बेटा दफ्तर की हड़बड़ाहट में हाथो को छूकर और 'नही तो' कहकर जल्दी से आगे बढ़ जाता है. 'पर मुझे तो गरम-गरम सा लग रहा है. शायद जल्दी में था, इसलिए समझ नही पाया होगा, 'अम्मा अपने माथे को हाथ लगा बुदबुदाई थी. आज सुबह से ही अम्मा हाथ में थर्मामीटर और चेहरे पर परेशानी के भाव लिए इधर-उधर डोले जा रही थी. वे बारी-बारी से सबसे अपनी देह छुआकर जांच करा चुकी थी. यहां तक की घर की महरी(नोकरानी) से भी. सभी 'नही तो' कह अपने-अपने काम में सलंगन हो गए थे.
मैने रसोई की खिड़की से देखा था. अम्मा कुछ देर वही बैठक में खड़ी रही. फिर थर्मामीटर को मुह में डालकर वही कुर्सी पर बैठ गई और रसोई में झांकने लगी. एक मिनट बाद बोली, 'बहु, जरा तू देख तो कही अब पकड़ में आ जाए. 'बहु ने एक नजर थर्मामीटर पर डाली, फिर माथे को हाथ लगाया और बोली, 'हा, मांजी लग तो रहा है, थोड़ा-सा गरम-गरम.' 'देखा, मैं कह रही थी, पर कोई सुने तब न. बहु एक तू ही है, जो मुझे समझती है,' अम्मा बच्चो के अंदाज में बोली. आगे पड़े महान भारतीय रेसलर द ग्रेट खली की कहानी
'बेटा, देख तो मुझे बुखार है क्या?' अम्मा ने पूछा. बेटा दफ्तर की हड़बड़ाहट में हाथो को छूकर और 'नही तो' कहकर जल्दी से आगे बढ़ जाता है. 'पर मुझे तो गरम-गरम सा लग रहा है. शायद जल्दी में था, इसलिए समझ नही पाया होगा, 'अम्मा अपने माथे को हाथ लगा बुदबुदाई थी. आज सुबह से ही अम्मा हाथ में थर्मामीटर और चेहरे पर परेशानी के भाव लिए इधर-उधर डोले जा रही थी. वे बारी-बारी से सबसे अपनी देह छुआकर जांच करा चुकी थी. यहां तक की घर की महरी(नोकरानी) से भी. सभी 'नही तो' कह अपने-अपने काम में सलंगन हो गए थे.
मैने रसोई की खिड़की से देखा था. अम्मा कुछ देर वही बैठक में खड़ी रही. फिर थर्मामीटर को मुह में डालकर वही कुर्सी पर बैठ गई और रसोई में झांकने लगी. एक मिनट बाद बोली, 'बहु, जरा तू देख तो कही अब पकड़ में आ जाए. 'बहु ने एक नजर थर्मामीटर पर डाली, फिर माथे को हाथ लगाया और बोली, 'हा, मांजी लग तो रहा है, थोड़ा-सा गरम-गरम.' 'देखा, मैं कह रही थी, पर कोई सुने तब न. बहु एक तू ही है, जो मुझे समझती है,' अम्मा बच्चो के अंदाज में बोली. आगे पड़े महान भारतीय रेसलर द ग्रेट खली की कहानी
बहु ने अम्मा के मन को भापकर कहा, 'अच्छा अम्मा, आप कमरे में चलकर आराम करो. दवाई और चाय-नाश्ता वही ले आती हु.' हाँ बहु, यही ठीक रहेगा, 'कहती हुई अम्मा चेहरे पर संतुष्टि के भाव लिए चली गई. यह देखकर नोकरानी से रहा न गया, सो पूछा ही बैठी,' मालकिन, उन्हें तो कोई बुखार-वुखार न है, बस वहम है. मैने खुद देखा, फिर भी आपने हा में हा मिलाई और ये विटामिन की गोली, में कुछ समझी नही.' मुस्कुराते हुए बहु बोली, ' पगली, जब स्वयं बूढी होगी, तब समझेगी की यह वहम नही, कुछ पलों की आत्मीयता की चाह है.
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