मां दुर्गा के 5 प्रसिद्ध मंदिर durga maa story hindi goddess
1 September 2021
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Navratri शुरू हो चुके हैं और इन 9 दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है. इस दौरान भारत के अलग-अलग कोनों में फैले हुए मां के प्रसिद्ध मंदिरों में भारी संख्या में भक्तों का जमावाड़ा लगता है.
अम्बाजी मंदिर, गुजरात-
यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है. माना जाता है कि यह मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है. इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था और तब से अब तक जारी है. श्वेत संगमरमर से निर्मित यह मंदिर बेहद भव्य है. मंदिर का शिखर एक सौ तीन फुट ऊंचा है. शिखर पर 358 स्वर्ण कलश सुसज्जित हैं. मां अम्बा-भवानी के शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर के प्रति मां के भक्तों में अपार श्रद्धा है. मंदिर के गर्भगृह में मांकी कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है. यहां मां का एक श्री-यंत्र स्थापित है. इस श्री-यंत्र को कुछ इस प्रकार सजाया जाता है कि देखने वाले को लगे कि मां अम्बे यहां साक्षात विराजी हैं. नवरात्र में यहां का पूरा वातावरण शक्तिमय रहता है.नैना देवी मंदिर, नैनीताल - नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है. 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था. बाद में इसे दोबारा बनाया गया. यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं
ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश - हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा है ज्वाला देवी का मंदिर. मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है. शक्तिपीठ वह स्थान कहलाते हैं जहां-जहां भगवान विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे. शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी.
करणी माता मंदिर, राजस्थान- हमारे देश में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां बार-बार जाने का मन करता है. एक ऐसा ही मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है. यह है मां करणी देवी का विख्यात मंदिर. यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं.
दुर्गा मंदिर वाराणसी - के रामनगर में स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18 वीं सदी में करवाया था. यह मंदिर, भारतीय वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली की नागारा शैली में बनी हुई है. इस मंदिर में एक वर्गाकार आकृति का तालाब बना हुआ है जो दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है. यह इमारत लाल रंग से रंगी हुई है जिसमें गेरू रंग का अर्क भी है. मंदिर में देवी के वस्त्र भी गेरू रंग के है. एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को मनुष्यों द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जो लोगों की बुरी ताकतों से रक्षा करने आई थी. नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान इस मंदिर में हजारों भक्तगण श्रद्धापूर्वक आते हैं.
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