किडनी बेचने खरीदने का अवैध व्यापर करोड़ों का खेल kidney racket busted
13 September 2016
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पुलिस ने लोगों की किडनी निकालकर बेचने वाले एक बड़े गिरोह को पकड़ा है गिरोह के सदस्य श्रीलंका के साथ अन्य देशों में किडनी सप्लाई करते थे पुलिस सूत्रों के अनुसार पकड़े गए गिरोह में जबलपुर के अनुपम माहेश्वरी भी शामिल हैं अनुपम के पिता जबलपुर के एक दैनिक समाचार पत्र के पूर्व संपादक हैं इस खबर से पूरा परिवार स्तब्ध है बताया जाता है कि अनुपम गुजरात में एक डायग्नोस्टिक सेंटर के मैनेजर थे और किडऩी बेचने का गोरखधंधा करने वालों की मदद करते थे इसके एवज में उन्हें बड़ी रकम मिलती थी
करोड़ों का खेल value of kidney in black market
पुलिस के अनुसार गिरोह के सदस्यों का श्रीलंका व अन्य देशों में सीधा संपर्क था kidney price black market ये 20 से 45 लाख रुपए तक में जरूरतमंदों को किडनी बेचते थे। कुछ युवकों को तो विदेश घुमाने के बहाने श्रीलंका भी ले जाया गया और वहीं उनकी किडनी को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसप्लांट करा दिया गया। पुलिस की नजर में अब तक एक दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग आ चुके हैं, जिनकी किडनी प्रलोभन देकर इस गिरोह द्वारा निकाली गई है। जांच लगातार चल रही है।
पुलिस ने लोगों की किडनी निकालकर बेचने वाले एक बड़े गिरोह को पकड़ा है गिरोह के सदस्य श्रीलंका के साथ अन्य देशों में किडनी सप्लाई करते थे पुलिस सूत्रों के अनुसार पकड़े गए गिरोह में जबलपुर के अनुपम माहेश्वरी भी शामिल हैं अनुपम के पिता जबलपुर के एक दैनिक समाचार पत्र के पूर्व संपादक हैं इस खबर से पूरा परिवार स्तब्ध है बताया जाता है कि अनुपम गुजरात में एक डायग्नोस्टिक सेंटर के मैनेजर थे और किडऩी बेचने का गोरखधंधा करने वालों की मदद करते थे इसके एवज में उन्हें बड़ी रकम मिलती थी
ऐसे हुआ खुलासा Kidney scam
तेलंगाना के सहायक आयुक्त पुलिस (क्राइम ब्रांच) केएन पटेल के अनुसार एक युवक ने शिकायत दर्ज कराई कि रुपयों का लालच देकर उसकी किडनी निकाल ली गई है। शिकायत के आधार पर तफ्तीश करते हुए तेलंगाना पुलिस ने स्थानीय दिलीप चौहान व सुरेश प्रजापति को गिरफ्तार किया। दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि देश में अंतरराष्ट्रीय किडनी गिरोह सक्रिय है। मुंबई का रहने वाला धवल दारूवाला इस गैंग का सक्रिय सदस्य है। पुलिस ने छापामारी की, लेकिनदारूवालाभाग निकला। इसके बाद अहमदाबाद, हैदराबाद आदि में छापा मारकर 10 आरोपियों को पकड़ा गया। इन आरोपियों में अनुपम माहेश्वरी भी शामिल है।
तेलंगाना के सहायक आयुक्त पुलिस (क्राइम ब्रांच) केएन पटेल के अनुसार एक युवक ने शिकायत दर्ज कराई कि रुपयों का लालच देकर उसकी किडनी निकाल ली गई है। शिकायत के आधार पर तफ्तीश करते हुए तेलंगाना पुलिस ने स्थानीय दिलीप चौहान व सुरेश प्रजापति को गिरफ्तार किया। दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि देश में अंतरराष्ट्रीय किडनी गिरोह सक्रिय है। मुंबई का रहने वाला धवल दारूवाला इस गैंग का सक्रिय सदस्य है। पुलिस ने छापामारी की, लेकिनदारूवालाभाग निकला। इसके बाद अहमदाबाद, हैदराबाद आदि में छापा मारकर 10 आरोपियों को पकड़ा गया। इन आरोपियों में अनुपम माहेश्वरी भी शामिल है।
डायग्नोस्टिक सेंटर में थे मैनेजर kidney racket busted kidney racket latest news
पुलिस सूत्रों के अनुसार अनुपम अहमदाबाद के अम्बावाड़ी क्षेत्र में सान्या डायग्नोस्टिक सेंटर का मैनेजर रहे। पूछताछ में यह बात सामने आई कि लोगों को झांसा देकर इसी डायग्नोस्टिक सेंटर में लाया जाता था और यहां जांच के बाद योजनाबद्ध तरीके से उनकी एक किडनी निकाल ली जाती थी
प्रदेश से जुड़ रहे हैं तार
अनुपम की गिरफ्तारी जनवरी में हुई है, लेकिन रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में पुलिस के हाथ कुछ ऐसे तथ्य लगे हैं, जिनके तार जबलपुर, भोपाल व मध्य प्रदेश के कई शहरों से जुड़ रहे हैं। कुछ समय पूर्व जबलपुर के घमापुर क्षेत्र में भी एक व्यक्ति ने किडनी निकाले जाने की शिकायत थाने में की थी। इसी तरह शहर के एक नामी हॉस्पिटल पर किडनी निकालने के सनसनीखेज आरोप लगे थे। उस वक्त पुलिस मामले की तह तक नहीं पहुंच पाई। लेकिन इस मामले के खुलासे के बाद अब आरोपों को फिर से बल मिला है। पुलिस का मानना है कि जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में इस रैकेट का जाल हो सकता है।
जबलपुर का प्रतिष्ठित परिवार
पुलिस के अनुसार अनुपम माहेश्वरी राइट टाउन निवासी,जबलपुर के एक दैनिक समाचार पत्र के पूर्व संपादकके छोटे पुत्र हैं। इनके एक पुत्र की दवा बाजार में दुकान भी है। परिवार काफी प्रतिष्ठित है। बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों से अनुपम अपनी पत्नी व दोनों बच्चों के साथ अपनी तेलंगाना स्थित ससुराल में रहने लगे हैं। वह अक्सर विदेश यात्रा पर रहते थे। गिरोह में कुछ रिश्तेदारों के भी शामिल होने की आशंका है। जबलपुर पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष का कहना है कि इस तरह की घटनाओं व संदिग्धों की जानकारी जुटाई जा रही है।
ऐसे फंसाते थे जाल में
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय किडनी चोर गिरोह के सदस्य गरीब, कर्ज में डूबे किसान, लाचार, नशे के आदी और अन्य जरूरतमंद लोगों को पर नजर रखते थे। उन्हें पैसों का लालच देकर जाल में फंसाते थे। इलाज या अन्य बहाने से उन्हें डायग्नोस्टिक सेंटर में ले जाते थे और एक फार्म पर दस्तखत करा लेते थे, जिसमें स्वेच्छा से किडनी दान करने की जानकारी रहती थी। इसके बाद इन्हें अस्पताल में दाखिल करके एक किडनी निकाल ली जाती थी। खास बात तो यह है कि बाद में गरीबी या दया भाव दिखाकर मदद के नाम पर इन लोगों दो से ढाई लाख रुपए तक दे दिए जाते थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार अनुपम अहमदाबाद के अम्बावाड़ी क्षेत्र में सान्या डायग्नोस्टिक सेंटर का मैनेजर रहे। पूछताछ में यह बात सामने आई कि लोगों को झांसा देकर इसी डायग्नोस्टिक सेंटर में लाया जाता था और यहां जांच के बाद योजनाबद्ध तरीके से उनकी एक किडनी निकाल ली जाती थी
प्रदेश से जुड़ रहे हैं तार
अनुपम की गिरफ्तारी जनवरी में हुई है, लेकिन रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में पुलिस के हाथ कुछ ऐसे तथ्य लगे हैं, जिनके तार जबलपुर, भोपाल व मध्य प्रदेश के कई शहरों से जुड़ रहे हैं। कुछ समय पूर्व जबलपुर के घमापुर क्षेत्र में भी एक व्यक्ति ने किडनी निकाले जाने की शिकायत थाने में की थी। इसी तरह शहर के एक नामी हॉस्पिटल पर किडनी निकालने के सनसनीखेज आरोप लगे थे। उस वक्त पुलिस मामले की तह तक नहीं पहुंच पाई। लेकिन इस मामले के खुलासे के बाद अब आरोपों को फिर से बल मिला है। पुलिस का मानना है कि जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में इस रैकेट का जाल हो सकता है।
जबलपुर का प्रतिष्ठित परिवार
पुलिस के अनुसार अनुपम माहेश्वरी राइट टाउन निवासी,जबलपुर के एक दैनिक समाचार पत्र के पूर्व संपादकके छोटे पुत्र हैं। इनके एक पुत्र की दवा बाजार में दुकान भी है। परिवार काफी प्रतिष्ठित है। बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों से अनुपम अपनी पत्नी व दोनों बच्चों के साथ अपनी तेलंगाना स्थित ससुराल में रहने लगे हैं। वह अक्सर विदेश यात्रा पर रहते थे। गिरोह में कुछ रिश्तेदारों के भी शामिल होने की आशंका है। जबलपुर पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष का कहना है कि इस तरह की घटनाओं व संदिग्धों की जानकारी जुटाई जा रही है।
ऐसे फंसाते थे जाल में
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय किडनी चोर गिरोह के सदस्य गरीब, कर्ज में डूबे किसान, लाचार, नशे के आदी और अन्य जरूरतमंद लोगों को पर नजर रखते थे। उन्हें पैसों का लालच देकर जाल में फंसाते थे। इलाज या अन्य बहाने से उन्हें डायग्नोस्टिक सेंटर में ले जाते थे और एक फार्म पर दस्तखत करा लेते थे, जिसमें स्वेच्छा से किडनी दान करने की जानकारी रहती थी। इसके बाद इन्हें अस्पताल में दाखिल करके एक किडनी निकाल ली जाती थी। खास बात तो यह है कि बाद में गरीबी या दया भाव दिखाकर मदद के नाम पर इन लोगों दो से ढाई लाख रुपए तक दे दिए जाते थे।
करोड़ों का खेल value of kidney in black market
पुलिस के अनुसार गिरोह के सदस्यों का श्रीलंका व अन्य देशों में सीधा संपर्क था kidney price black market ये 20 से 45 लाख रुपए तक में जरूरतमंदों को किडनी बेचते थे। कुछ युवकों को तो विदेश घुमाने के बहाने श्रीलंका भी ले जाया गया और वहीं उनकी किडनी को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसप्लांट करा दिया गया। पुलिस की नजर में अब तक एक दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग आ चुके हैं, जिनकी किडनी प्रलोभन देकर इस गिरोह द्वारा निकाली गई है। जांच लगातार चल रही है।
Hey sir mein apni kidiny bechna chahta hu please help me
ReplyDeletesir Mai apna kidni bechana chahta hu
ReplyDeleteMe aapni kidney besana sahta hu
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