कविता : आदमी की औकात aadmi short status for whatsapp


आज में जो कविता बता रहा हु वह वास्तव में बहुत ही मजेदार हे, लेकिन जिंदगी का एक सच भी. उम्मीद करता हु की आपको बहुत पसंद आएगी.

जिसने भी इस कविता को लिखा हे बहुत ही अच्छी और सुन्दर कविता हे. मुझे नाम तो नहीं पता लेकिन उसे दिल से धन्यवाद.

एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया,
अपनी सारी ज़िन्दगी,
परिवार के नाम कर गया.
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट,
अरे जल्दी ले जाओ,
कौन रखेगा सारी रात.
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!

मरने के बाद नीचे देखा,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे.
नहीं रहा..चला गया.
चार दिन करेंगे बात
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा,
सामने अगरबत्ती जलायेगा,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी.
अखबार में
अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.
बाद में उस तस्वीर पे,
जाले भी कौन करेगा साफ़.
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!

जिन्दगी भर,
मेरा-मेरा-मेरा किया. अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया.
कोई न देगा साथ. जायेगा खाली हाथ.
क्या तिनका
ले जाने की भी
है हमारी औकात ?
ये है हमारी औकात!!

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