अगर बच्चा गोद ले रहे हे तो ध्यान रखें यह बातें
10 August 2016
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बच्चा गोद लेने का निर्णय तो सोच समझ कर लिया जाता है, पर लोग वैसी तैयारी नहीं कर पाते. बच्चा गोद लेने के कई कारण हो सकते हैं. इसमें सबसे बड़ा कारण संतानोत्पति मैं अक्षमता और दूसरा बड़ा कारण बच्चों के प्रति अगाध प्रेम होना है. लेकिन यही बड़ी तैयारी की दरकार भी रखता है. बच्चा खुशियां लाता हे, पर उससे जुडी चुनौति भी होती है. इस खास मेहमान के आने से पहले पूरे परिवार को मानसिक व भावनात्मक रुप से तैयार होना पड़ता ह. आज की इस पोस्ट में, में आपको बताऊंगा की बच्चा गोद लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखे.
1. मानसिकता ही सबकुछ
दत्तकग्रहण से पहले दंपति की मानसिक तैयारी महत्वपूर्ण है. यदि आपको बच्चों से प्यार है, बिना भेदभाव के बच्चे को प्यार दे सकते हे,उसे अपनी पहली प्राथमिकता बना सकते ह,तभी बच्चा गोद लेने का निर्णय ले, अन्यथा नहीं. परिवार व बाहर के लोग रोकने के लिए अपना खून, वारिस, खानदान जैसी बातें करते हैं, पर उन्हें मनाने के लिए दृढ निश्चय होना जरूरी है.
2. बदलाव के लिए भी तैयारी
बच्चे के आने से जीवनशैली सबसे अधिक प्रभावित होती है. भावी माता पिता को मालूम होना चाहिए कि अब उनकी जिंदगी, उनका समय, कुछ भी सिर्फ उन के लिए नहीं रहेगे. इसकी जरूरत उनसे भी ज्यादा नए सदस्य को होगी| परवरिश मैं कभी से फर्क तब पड़ता है, जब बच्चा गोद लेने देने वाली संस्थाए शुरुआती 2 साल में बच्चे की सतत निगरानी करती है ऐसे में छोटी सी चुक से बच्चा छीन भी सकता है|.
3. बच्चों के लिए सामंजस्य
अपनी संतान होते हुए एक और बच्चा गोद लिया गया है तो परवरीश में भेदभाव को दूर रखना अभिभावक के लिए चुनौती होती है. ऐसे में सही नहीं होगा की सभी बच्चों पर बराबर ध्यान दिया जाए. बच्चों की आपसी लड़ाई में सही गलत के आधार पर ही न्या़य किया जाए.
4. जुड़ाव के लिए माहौल
गोद लेने की प्रक्रिया में बच्चा एक घर आता है, ऐसे मे परिवार के लिए एक दम से उससे जुड पाना आसान नहीं होता. इसीलिए जरूरी है कि दत्तक ग्रहण के परामर्शदाता से घर में बच्चे के जन्म का माहौल तैयार करने संबंधी सलाह ली जाए. जैसे बच्चे के लिए जगह तैयार करना आदि. बच्चे के घर आने के बाद महिला को मातृत्व अवकाश भी लेना चाहिए. इससे बच्चा व मा दोनों में जुड़ाव के अधिक अवसर मिलते हैं|
1. मानसिकता ही सबकुछ
दत्तकग्रहण से पहले दंपति की मानसिक तैयारी महत्वपूर्ण है. यदि आपको बच्चों से प्यार है, बिना भेदभाव के बच्चे को प्यार दे सकते हे,उसे अपनी पहली प्राथमिकता बना सकते ह,तभी बच्चा गोद लेने का निर्णय ले, अन्यथा नहीं. परिवार व बाहर के लोग रोकने के लिए अपना खून, वारिस, खानदान जैसी बातें करते हैं, पर उन्हें मनाने के लिए दृढ निश्चय होना जरूरी है.
2. बदलाव के लिए भी तैयारी
बच्चे के आने से जीवनशैली सबसे अधिक प्रभावित होती है. भावी माता पिता को मालूम होना चाहिए कि अब उनकी जिंदगी, उनका समय, कुछ भी सिर्फ उन के लिए नहीं रहेगे. इसकी जरूरत उनसे भी ज्यादा नए सदस्य को होगी| परवरिश मैं कभी से फर्क तब पड़ता है, जब बच्चा गोद लेने देने वाली संस्थाए शुरुआती 2 साल में बच्चे की सतत निगरानी करती है ऐसे में छोटी सी चुक से बच्चा छीन भी सकता है|.
3. बच्चों के लिए सामंजस्य
अपनी संतान होते हुए एक और बच्चा गोद लिया गया है तो परवरीश में भेदभाव को दूर रखना अभिभावक के लिए चुनौती होती है. ऐसे में सही नहीं होगा की सभी बच्चों पर बराबर ध्यान दिया जाए. बच्चों की आपसी लड़ाई में सही गलत के आधार पर ही न्या़य किया जाए.
4. जुड़ाव के लिए माहौल
गोद लेने की प्रक्रिया में बच्चा एक घर आता है, ऐसे मे परिवार के लिए एक दम से उससे जुड पाना आसान नहीं होता. इसीलिए जरूरी है कि दत्तक ग्रहण के परामर्शदाता से घर में बच्चे के जन्म का माहौल तैयार करने संबंधी सलाह ली जाए. जैसे बच्चे के लिए जगह तैयार करना आदि. बच्चे के घर आने के बाद महिला को मातृत्व अवकाश भी लेना चाहिए. इससे बच्चा व मा दोनों में जुड़ाव के अधिक अवसर मिलते हैं|
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