भीष्म पितामह की 10 बातो की भविष्यवाणी आज हो रहे है सच
25 August 2016
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Bhishma pitamah information hindi - भीष्म पितामह शांतुन एवम गंगा के पुत्र थे, ये महाभारत के प्रमुख पात्रो में से एक पात्र थे. भगवान परशुराम के शिष्य भीष्म अपने समय के अत्यधिक बुद्धिमान एवम शक्तिशाली विद्वान थे. महाभारत ग्रन्थ के अनुसार भीष्म पितामह वे योद्धा थे जो हर प्रकार के अश्त्र एवम शास्त्रो का काट जानते थे तथा उन्हें युद्ध में हरा पाना नामुमकिन था.भीष्म पितामह का वास्तविक नाम देवव्रत था तथा उनकी भीषण प्रतिज्ञा के कारण उनका नाम भीष्म पड़ा था. कहा जाता है की भीष्म पितामाह को इच्छा मृत्यु का वरदान था तथा इसके साथ ही वे भविष्य में होने वाली घटाओ को जान लेते थे.
भीष्म पितामाह ने शरीर त्यागने से पूर्व अर्जुन को अपने पास बुलाकर अनेक ज्ञान के बाते बतलाई थी तथा इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को अन्य ज्ञान देते हुए 10 ऐसी भविष्यवाणियों के बारे में भी बतलाया था जो आज वर्तमान में वास्तव में घटित हो रहा है. bhishm pitamah ki kahani आइये जानते है आखिर कौन सी वे 10 बाते थी जो भीष्म पितामह ने अर्जुन को बतलाई थी.
भीष्म ने अर्जुन को अपने पास बुलाते हुए 10 महापाप के बारे में बतलाया जो कलयुग में घाटी हो तथा ये वास्तव में वर्तमान में घटित हो रही है. भीष्म ने इन 10 महापापो को तीन श्रेणियों में बाटा था. जिनमे 3 शरीर द्वारा , 3 मन द्वारा तथा 4 वाणी द्वारा
शरीर द्वारा होने वाले महापाप :-bhishma pitamah quotes
शरीर द्वारा होने वाला प्रथम पाप हिंसा करना है. किसी भी प्रकार से जीवों के प्रति की गई हिंसा अथवा दूसरे को क्षति पहुंचाना शरीर द्वारा किया गया महापाप है.
दूसरा पाप चोरी करना है, लालच में आकर या किसी अन्य स्थिति में की गई किसी भी प्रकार की चोरी पाप फल दायी होती है. व्याभिचार तिसरे प्रकार का महापाप माना गया है.
जो स्त्रि-पुरुष भ्रष्ट होकर अनैतिक सम्बंध व भोग लिप्सा में लिप्त रहते हैं उन्हे नर्क में बडी यातनायें सहन करनी पडती हैं. यह मार्ग अत्यधिक निंदित व कुल के पुण्यों का भंजन करने वाला कहा गया है.
वाणी द्वारा होने वाले 4 प्रकार के महापाप :-bhishma pitamah teachings wiki
हमारे मुख एवम सोच को हृदय का दरवाजा कहा गया है. दरवाजा खुलने के बाद ही ज्ञात हो पाता है की भवन के अंदर मोति है अथवा कूडा. हमारी अनियंत्रित वाणी किसी न किसी प्रकार के पाप में व्यक्ति को धकेलती रहती है.
वाणी द्वारा होने वाले विभिन्न प्रकार के पाप है अनर्गल बात करना अर्थात व्यर्थ बकवास करना.
व्यर्थ बकवास करने वाले को यही पता नही चलता की वह क्या कह रहा है और उसका प्रभाव किया होगा. दूसरा पाप दूसरों का अपमान करना है महाभारत में कहा गया है की आदरणीय लोगों का अपमान करना मृत्यु के समान होता है. अत: कभी भी किसी का अपमान नही करना चाहिये.
तीसरे प्रकार का पाप झूठ बोलना है. झूठ बोलने से हमारे मनोविकार भी प्रभावित होते है झूठ बोलने के कारण ही हमारी आत्मा मलिन हो जाती है. झूठ बोलने के अनेक दोष हैं अत: इस महापाप से अपने को सदैव दूर रखने का प्रयास करना चाहिये. वाणी द्वारा होने वाला चौथे प्रकार का पाप दूसरों की चुगली करना हैं.
मन से होने वाले पाप :-
अनुशासन पर्व के अनुसार मन से होने वाले पापो को तीन श्रेणियों में बाटा गया है. मानसिक रूप से दुसरो के धन के बारे में सोचना तथा उसके बारे में किया गया चिंतन पाप के श्रेणी में आता है. दूसरे को अहित पहुचाने के लिए बनाया गया विचार तथा उसका प्रयास करना यह भी माहापाप के श्रेणी में आता है.
तीसरे प्रकार का पाप है मन में वासना के बारे में सोचना, हर समय वासना से ओत प्रोत विचारो को ध्यान में लाना यह भी महापाप में से एक है.
भीष्म पितामाह ने शरीर त्यागने से पूर्व अर्जुन को अपने पास बुलाकर अनेक ज्ञान के बाते बतलाई थी तथा इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को अन्य ज्ञान देते हुए 10 ऐसी भविष्यवाणियों के बारे में भी बतलाया था जो आज वर्तमान में वास्तव में घटित हो रहा है. bhishm pitamah ki kahani आइये जानते है आखिर कौन सी वे 10 बाते थी जो भीष्म पितामह ने अर्जुन को बतलाई थी.
भीष्म ने अर्जुन को अपने पास बुलाते हुए 10 महापाप के बारे में बतलाया जो कलयुग में घाटी हो तथा ये वास्तव में वर्तमान में घटित हो रही है. भीष्म ने इन 10 महापापो को तीन श्रेणियों में बाटा था. जिनमे 3 शरीर द्वारा , 3 मन द्वारा तथा 4 वाणी द्वारा
शरीर द्वारा होने वाले महापाप :-bhishma pitamah quotes
शरीर द्वारा होने वाला प्रथम पाप हिंसा करना है. किसी भी प्रकार से जीवों के प्रति की गई हिंसा अथवा दूसरे को क्षति पहुंचाना शरीर द्वारा किया गया महापाप है.
दूसरा पाप चोरी करना है, लालच में आकर या किसी अन्य स्थिति में की गई किसी भी प्रकार की चोरी पाप फल दायी होती है. व्याभिचार तिसरे प्रकार का महापाप माना गया है.
जो स्त्रि-पुरुष भ्रष्ट होकर अनैतिक सम्बंध व भोग लिप्सा में लिप्त रहते हैं उन्हे नर्क में बडी यातनायें सहन करनी पडती हैं. यह मार्ग अत्यधिक निंदित व कुल के पुण्यों का भंजन करने वाला कहा गया है.
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वाणी द्वारा होने वाले 4 प्रकार के महापाप :-bhishma pitamah teachings wiki
हमारे मुख एवम सोच को हृदय का दरवाजा कहा गया है. दरवाजा खुलने के बाद ही ज्ञात हो पाता है की भवन के अंदर मोति है अथवा कूडा. हमारी अनियंत्रित वाणी किसी न किसी प्रकार के पाप में व्यक्ति को धकेलती रहती है.
वाणी द्वारा होने वाले विभिन्न प्रकार के पाप है अनर्गल बात करना अर्थात व्यर्थ बकवास करना.
व्यर्थ बकवास करने वाले को यही पता नही चलता की वह क्या कह रहा है और उसका प्रभाव किया होगा. दूसरा पाप दूसरों का अपमान करना है महाभारत में कहा गया है की आदरणीय लोगों का अपमान करना मृत्यु के समान होता है. अत: कभी भी किसी का अपमान नही करना चाहिये.
तीसरे प्रकार का पाप झूठ बोलना है. झूठ बोलने से हमारे मनोविकार भी प्रभावित होते है झूठ बोलने के कारण ही हमारी आत्मा मलिन हो जाती है. झूठ बोलने के अनेक दोष हैं अत: इस महापाप से अपने को सदैव दूर रखने का प्रयास करना चाहिये. वाणी द्वारा होने वाला चौथे प्रकार का पाप दूसरों की चुगली करना हैं.
मन से होने वाले पाप :-
अनुशासन पर्व के अनुसार मन से होने वाले पापो को तीन श्रेणियों में बाटा गया है. मानसिक रूप से दुसरो के धन के बारे में सोचना तथा उसके बारे में किया गया चिंतन पाप के श्रेणी में आता है. दूसरे को अहित पहुचाने के लिए बनाया गया विचार तथा उसका प्रयास करना यह भी माहापाप के श्रेणी में आता है.
तीसरे प्रकार का पाप है मन में वासना के बारे में सोचना, हर समय वासना से ओत प्रोत विचारो को ध्यान में लाना यह भी महापाप में से एक है.
Nice post
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