नक्सलियों से लड़कर भाई को बचाने वाली अंजली की कहानी
11 July 2016
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कहते हे किसी चीज को करने की जिद ठान ले तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत हमें रोक नहीं सकती. ऐसी ही एक जीद की अंजली ने नक्सलियों से अपने भाई को बचाने की और कामयाब भी रही. वो किसी भी मुसीबत से नहीं डरी, यंहा तक की अपनी जान की भी परवाह नहीं की. इस वाक्या ने रानी लक्ष्मीबाई की याद दिला दी, जो अपने बेटे को पीठ पे बाँध करके दुश्मनों से लड़ी थी. आईये जाने वीर अंजली की अपने भाई को बचाने और नक्सलियों से लड़ने की कहानी. A Brave Girl Anjali’s Story In Hindi
नक्सली अंजली को बार-बार रोकते रहे और चेतावनी देते रहे की गोली में मारी जाओगी वरना रुक जाओ. लेकिन अंजली नहीं रुकी. उसके पीछे गोलियां भी चलाई गयी, लेकिन किस्मत से उसे एक भी गोली नहीं लगी. नक्सली उस से बार उसके पिता के बारे में पूछ रहे थे, मगर अंजली ने उन्हें कुछ नहीं बताया और भगती रही.
अंजली जब 14 साल की थी तब उसके घर और उसके गाँव पर 500 नक्सलियों ने हमला कर दिया और घेर लिया.यह कहानी हे दन्तेवाडा जिले के नकुलनार गाँव की जो नक्सली समस्या से ग्रस्त हे. 7 जुलाई 2010 की आधी रात को ठीक 12 बजे के आसपास अंजली के घर पर 500 नक्सलियों ने हमला कर दिया. गोलियां चलने लगी. उसके पिता अवधेश सिंह नक्सलियों का निशाना थे. उसके पिता तो बच गए लेकिन इस गोलीबारी में उसके मामा और घर में काम करने वाले एक कर्मचारी की मोत हो गयी. भाई अभिजित तब खेल रहा था और पिता अवधेश अंदर कमरे में सो रहे थे. गोलियां चलते हुए नक्सली सीधे बरामदे में पहुंचे. बरामदे में सोये हुए मामा और नोकर पर गोलिया दाग दी जिस से उनकी मोके पे मोत हो गयी. अभिजित डर गया. नक्सली दरवाजा तोड़ के सीधे कमरे में घुस गए और गोलियां चलाने लगे. अभिजित के पैर में गोली लग गई. बाकि सब इधर-उधर भागने लगे. इसी बिच अंजली अपने भाई को कंधे पर लादकर अपने दादा के वंहा ले गयी और उनको पूरी बात बताई.
नक्सली अंजली को बार-बार रोकते रहे और चेतावनी देते रहे की गोली में मारी जाओगी वरना रुक जाओ. लेकिन अंजली नहीं रुकी. उसके पीछे गोलियां भी चलाई गयी, लेकिन किस्मत से उसे एक भी गोली नहीं लगी. नक्सली उस से बार उसके पिता के बारे में पूछ रहे थे, मगर अंजली ने उन्हें कुछ नहीं बताया और भगती रही.
इस घटना के बाद अंजली को राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार तथा और भी कई पुरस्कारों से नवाजा. NCRT की किताब में भी अंजली की कहानी के कुछ अंश छापे गए हे. यह थी वीर बाला अंजली की कहानी. जिसने अपने हिम्मत, जूनून और होसले से अपने भाई को बचाया और उन नक्सलियों से डरी नहीं. सच में अगर हिम्मत हो तो कुछ भी कर सकते हे. शायद अंजली को भी पता था की अगर रूकती तो भी मारी जाती, इसलिए उनसे लड़ने की ठान ली और आखिर अपने भाई को बचा ही लिया.
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