कहानी अपनी-अपनी सोच का अंतर
23 July 2016
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दो भाई थे एक भाई नशे और शराब का आदि था जो अक्सर अपने परिवार वालो को मारता पिटता था. जबकि दूसरा भाई एक कामयाब बिजनेसमैन था. समाज में उसकी इज्जत थी. उसका परिवार भी बेहद सुखी और खुश था. लोग जानना कहते थे एक ही माँ बाप की संतान होने और एक ही माहोल में पलने के बावजूद इन दोनों भाइयो के सवभाव में इतना फर्क क्यू था.
पहले भाई से लोगो ने ये बात पूछी “तुम ऐसे काम क्यू करते हो? नशे के आदि और शराब पीते हो. परिवार वालो को पिटते हो. यह प्रेरणा तुम्हे कंहा से मिलती हे?” उसने जवाब दिया, “मेरे बाप से.” जब उन्होंने पूछा की “तुम्हरे बाप से केसे?” तो उसने जवाब दिया, मेरा बाप नशेबाज, शराबी और परिवार वालो को पिटता था. एसे हालत में आप मुझसे क्या उमीद करते हे? यही थो में हु.”
लोग फिर दुसरे भाई के पास गए. उससे भी वही सवाल पूछा और कहा की “आप हर काम सही केसे कर रहे हे? आपको यह प्रेरणा कहा से मिलती हे?” सोचिये उसने क्या जवाब दिया? मेरे बाप से. जब में छोटा था और अपने बाप को शराब पीकर हर गलत काम करते, मारते पिटते देखता था तभी मेने फेसला कर लिया था की में ऐसा कभी नही करुगा.” दोनों अपनी शक्ति और प्रेरणा एक ही जगह से पा रहे थे एक ने सही रूप से अपनाया और दुसरे ने गलत रूप से. नकारात्मक प्रेरणा हमें आसान रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करती हे जो की आखिर में मुश्किल रास्ता बन जाता हे.
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