सभी चिंताओं से मुक्ति कैसे पाए Amazing story


कही बार हमारे मन में आता हे की हम जीवन की सभी चिंताओं से मुक्ति कैसे पाए और अपने जीवन को खुशी से जियें. वेसे ख़ुशी तो हमारे अंतर्मन में होती हे और हम इसे बाहरी दुनिया में खोजते रहते हे. आज की इस पोस्ट में, में आपको एक ऐसी कहानी बता रहा हु जो आपके इस सवाल का जवाब दे देगी.



एक बार किसी गांव में एक महात्मा पधारे. उनसे मिलने पूरा गांव उमड़ पड़ा. गांव के हरेक व्यक्ति ने अपनी-अपनी जिज्ञासा उनके सामने रखी. उनमे से एक व्यक्ति ने महात्मा से पूछा, 'महात्मा जी, ऐसा क्या करें, जिससे जीवन की सभी चिंताओं से मुक्ति मिल जाए और कोई भी काम अधूरा न रहे.' यह सुनकर महात्मा जी मुस्कराए, फिर उन्होंने कहा, 'पहले तुम मुझे कुछ जिंदा मेंढक लाकर दो, उसके बाद तुम्हारे इस सवाल का जवाब दूंगा।' यह सुनकर लोग चोंक गए. लेकिन महात्मा जी का आदेश था कर भी कुछ नहीं सकते थे. सो कुछ लोग जल्दी से तालाब पर पहुंचे और बड़ी मुश्किल से कुछ मेंढक पकड़ लाए. फिर महात्मा जी ने तराजू लाने को कहा. एक आदमी तराजू ले आया. महात्मा जी ने लोगों से कहा कि वे मेंढकों को तोले. और उनका कुल वजन बताएं. यह कहकर महात्मा जी चले गए. उसी व्यक्ति ने मेंढकों को तौलना शुरू किया जिसने प्रश्न किया था. उसने ज्यों ही मेंढकों को पलड़े पर रखा, कभी एक मेंढक उछलकर भाग निकलता तो कभी दूसरा. फिर लोग उन्हें पकड़कर लाते और तराजू पर रख देते. लेकिन उन्हें स्थिर रख पाना बेहद कठिन था. लोग दिन भर प्रयास करते रहे और शाम होने पर महात्मा जी फिर वहां पहुंचे. उन्होंने लोगों से यह काम बंद करने को कहा. सारे मेढ़क भाग निकले. महात्मा जी ने कहा, 'जैसे इतने जिंदा मेंढकों को खुले तौर पर तौलना संभव नहीं, उसी प्रकार संसार में सब कुछ ठीक ठाक करके निश्चिंत रहना संभव नहीं है। साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम इन सद्गुणों को जीवन में धारण करो और अपना दायित्व निभाओ। 

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