बेटियों को समर्पित एक कविता (Poem Dedicated To Betiyaan)
4 May 2016
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बेटियाँ तो माँ-बाप की परियां होती हे ! उनके दिल का सम्मान, उनकी आन-बान और शान होती हे ! फिर भी लोग कहते हे की बेटियाँ पराया धन होती हे ! बेटियाँ वो कली हे जो पुरे आंगन को महकाती हे! कहते हे ना की छोटी हो या बड़ी पर एक बेटी होनी चाहिए ! छोटी हो तो भाई का हाथ पकड़ने वाली और बड़ी हो तो भाई को बचाने वाली ! लेकिन आजकल लोग बेटियों को गर्भ में ही मार देते हे ! कन्या-भूर्ण हत्या कर देते हे ! क्योकि उन्हें बेटा चाहिए होता हे ! लेकिन वो भूल जाते हे की वो एक खुद एक बेटी हे ! बेटे साथ छोड़ सकते हे लेकिन बेटियाँ कभी नहीं ! आज की इस पोस्ट में, में आपको इस से जुडी एक कविता बता रहा हु उम्मीद करता हु की आपको पसंद आएगी !
कविता
माँ मुझे माफ़ करना में बेटी ना जन सकी,
में गुनहगार हु तुझे भी ना समज सकी !
तूने मुझे जन्म दिया,
लेकिन मेने अपने ही भ्रूण को गिरवा दिया !
मेने अपनों को ही कोसा और सिसकी,
खुद को कमजोर माना और कुछ ना कर सकी !
अब मुझे मेरा ही अंश, अपने सपनो में धिक्कारता हें ,
बेटा-बेटी में अंतर क्यों ?? पूछता हे !
यदि बेटा हे अपना तो बेटी पराई क्यों??
अपने ही अंश को गिरवाकर अब में पछताती हु,
बेटे की चाह में अब खुद को दोषी पाती हु !
माँ, तुझे याद होगा बापू की मोत पर दाह मुझसे कराया था,
तब तूने ही समाज को बेटा-बेटी का अंतर समझाया था !
मेने उसी समय तुझे अपना आदर्श बनाया था,
मेने ही खेत-खलिहान और व्यवसाय संभाला था !
मेरी शादी में तूने अकेले ही कन्यादान कराया था,
तूने ही तब मुझे बेटा-बेटी का सबक सिखाया था !
तुमने मुझे हमेशा अपना बेटा ही समझा था,
इसलिए तुम्हारे ना रहने पर मेने बेटे का फर्ज़ निभाया था !
मुझे मलाल हे की में अपना वचन ना निभा सकी,
में क्यों ना तुम्हारी तरह माँ बन सकी !
हां में गुनहगार हु, अपने ही कन्या अंश की रक्षा ना कर सकी,
माँ मुझे माफ़ करना, में बेटी धर्म ना निभा सकी !!
अगर यह कविता आपको पसंद आये तो इसे आगे share करे ! और अपने विचार से अवगत कराएँ ! ताकि शायद लोगो को बेटियों का मतलब समझ आ सके !
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