भारत में एलियन का रहस्य इतिहास news aliens meaning hindi
1 May 2016
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alien meaning in hindi- अंतरिक्ष में पाये जाने वाले ऐसे जीव प्राणी जिनका रहनसहन बोलचाल यहाँ तक की जीनोम इन्सान से बिल्कुल भिन्न है विज्ञानको के अनुसार यह हमारी धरती पर समय-समय भ्रमण करते हैं ना सिर्फ भ्रमण करते हैं बल्कि हमारे द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए यानों पर भी अपनी पैनी नजर रखते हैं...... इसबात का पुख्ता सबूत के विज्ञानिको के पास है
alien hindi news history channel-कुछ समय पहले नासा ने अपना अंतरिक्ष यान “क्यूरियोसिटी (Qriocity)” अंतरिक्ष में भेजा था जिसने सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की अपनी यह यात्रा पूरी भी की. नासा के प्रवक्ताओं ने यह पुष्टि भी की है कि क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह पर अपने लैंडिंग स्थान से लगभग 6 मीटर तक का सफर भी तय किया है.
कुछ तो है, लेकिन क्या?
लेकिन अब खबर है कि दूसरे ग्रह के यह प्राणी, जिन्हें एलियंस कहा जाता है, हर समय नासा के इस यान के आसपास ही रहते हैं. नासा की इसी क्यूरियोसिटी पर एलियन अपनी नजरें जमाए हुए हैं.
जानकारों का कहना है कि क्यूरियोसिटी ने जो तस्वीरें धरती पर भेजी हैं उनमें मंगल के आकाश में कुछ अजीब सी सफेद रोशनी नजर आती है. जिन लोगों ने यूएफओ अर्थात अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट को देखा है उनके अनुसार यह सफेद रोशनी एलियन के उन्हीं यानों की है जबकि नासा के फोटोग्राफी विशेषज्ञ इस बात को मानने से इंकार कर रहे हैं. उनके अनुसार यह कैमरे के लेंस पर पड़े दागों के कारण हुआ है. मंगल पर जीवन की तलाश करने पहुंचा यह अमेरिकी क्यूरियोसिटी रोवर, 6 अगस्त को मंगल ग्रह पर उतरा था. यान के उतरने का तरीका बिल्कुल वैसा ही था जैसा वैज्ञानिकों ने पहले ही तय किया था. एलियन की हकीकत और लाल ग्रह के रहस्य को जल्द से जल्द दुनिया के सामने लाने के लिए नासा ने वर्ष 2016 में एक और अभियान अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की है. नासा के अगले मिशन का नाम इनसाइट है जो यह पता लगाएगा कि मंगल की अंदरूनी परत पृथ्वी की तरह टैक्टोनिक प्लेट में क्यों नहीं बंटी हुई है.
ऐसा ही कुछ बुल्गारिया के वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है - कि एलियन धरती पर रहते हैं और उन्होंने उनके साथ सम्पर्क भी किया है। बुल्गारिया के साइंस एकेडमी के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यट के डिप्टी डायरेक्टर लचेजार फिलीपाव का कहना है कि एलियन हमेशा हमारे चारों और रहते है और हर समय हमें देखते रहते हैं। ये हमारे लिए किसी तरह का खतरा नहीं है बल्कि हमसे मदद चाहते हैं लेकिन हम अभी तक उनसे प्रत्यक्ष सम्पर्क करने का कोई तरीका नहीं खोज पाए है। निश्चित रूप से अगले दस से 15 सालों में मानव उनसे सम्पर्क करने का तरीका खोजा निकालेगा। वैज्ञानिकों ने कहना है कि इन प्राणियों ने वैज्ञानिकों के भेज गए 30 सवालों जवाब भेजे है। फिलहाल शोधकर्ता दुनियाभर में 150 क्राप सर्कल्स का अध्ययन कर रहे हैं। यहां तक कैथोलिक चर्च और वेटीकन ने भी एलियन्स के अस्तित्व पर विश्वास जताया है। वैज्ञानिकों को अन्य ग्रहों के चिन्ह मिल्की वे में मिले हैं .
true story proof - इनकी संख्या अपने तारामंडल के एक चौथाई के बराबर संभावित है , यह पहले से अनुमानित संख्या से काफी ज्यादा है . ऐसा माना जा रहा है की अपने तारामंडल में 6 के करीब बौने तारामंडल हैं जिनकी खोज होनी बाकी है ये उन दो के अलावा हैं जिनकी खोज हो चुकी है.. कुछ तारे और तारा समूह जो आपको रात में दिखाई देते हैं , वास्तव में एलियन हैं दूसरे तारामंडलों के .ये केवल उन हरे जीवों जैसे ही नहीं हैं . जैसा की फिल्मों में दिखाया जाता है .ये कहना है टेरी ब्रिज का जो की खगोलशास्त्र के विशेषज्ञ हैं किंग्स्टन की क्वीन्स विश्वविद्यालय के.आगे वे कहते हैं इन एलियन तारा समूहो ने पिछले कुछ बिलियन वर्षों में यह अतिक्रमण किया है . पहले यह केवल एक शक़ था की कुछ तारा समूह , जो की प्रत्येक 1 लाख से 10 लाख तक तारों से बने हैं , हमारे तारामंडल के बाहर के हैं , लेकिन इन्हे पहचानना कठिन था . ज्यादातर हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन से प्राप्त जानकारी से वैज्ञानिकों के समूह ने अपने तारा मंडल के पुराने तारा समूहो का परीक्षण किया . इस प्रयोग से उन्होने सबसे विस्तृत उच्च श्रेणी के एक सूचना संकलन का निर्माण किया जिसमे इनकी उम्र और रासायनिक प्रकृति का समावेश है . . इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है की मिल्की वे ने कई बौने समूहों को निगल लिया है .पाये गए एलियन समूह इन बौने समूहे के अंदर से आए हैं यह रिपोर्ट रॉयल अस्त्रोनोमिकल सोसाइटी के अगले अंक में प्रकाशित होने वाली है
नर्मदा की सैर को आते थे एलियन real aliens in india 2016 on earth
होशंगाबाद। नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के शैलाश्रयों में मिले प्राचीन शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी “एलियन” आए होंगे। संस्था का मानना है कि आदि मानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलाजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च, ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविद् मोहम्मद वसीम खान के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाडियों में मिले हैं। इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतश्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है, जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया संस्था के अनुसार प्रागैतिहासिक मानव अपने आस-पास नजर आने वाली चीजों को ही पहाड़ों की गुफाओं, कंदराओं में पत्थरों पर उकेरते थे। ऎसे में सम्भव है कि उन्होंने एलियन और उड़नतश्तरी को देखा हो। देखने के बाद ही उन्होंने इनके चित्र बनाए होंगे।
रायसेन के पास मिले शैलचित्र आदिमानव के तत्कालीन जीवन शैली से भी मेल नहीं खाते। खान के अनुसार कुछ इसी तरह के चित्र भीम बैठका और रायसेन के फुलतरी गांव की घाटी में भी मिले हैं। सबसे बड़ा रहस्य दूसरे ग्रहों पर भी जीव होने के अनुमान के आधार पर दुनियाभर में एलियन के अस्तित्व पर शोध हो रहे हैं। विभिन्न देशों में कई बार दूसरे ग्रहों से आने वाली उड़नतश्तरी (अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। इसके अलावा, कई बार एलियन को भी देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर अब तक एलियन या उड़नतश्तरी का अस्तित्व साबित नहीं हो पाया है। और शोध की जरूरत इन शैलचित्रों ने शोध की नई और व्यापक सम्भावनाओं को जन्म दिया है। इनका मिलान विश्व के अनेक स्थानों पर मिले शैलचित्रों से भी किया जाएगा। खान का अनुमान है कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों का नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक मानव से कुछ न कुछ संबंध जरूर रहा है। यह संबंध किस प्रकार का था इस पर शोध जारी है। पुरासम्पदा का खजाना कुछ दशक पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. अरूण सोनकिया ने नर्मदाघाटी के हथनौरा गांव से अति प्राचीन मानव कपाल खोजा था। उसकी कार्बन आयु वैज्ञानिकों ने साढ़े तीन लाख वर्ष बताई है। नर्मदाघाटी का क्षेत्र कई पुरासम्पदाओं का खजाना माना जाता है।
alien hindi news history channel-कुछ समय पहले नासा ने अपना अंतरिक्ष यान “क्यूरियोसिटी (Qriocity)” अंतरिक्ष में भेजा था जिसने सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की अपनी यह यात्रा पूरी भी की. नासा के प्रवक्ताओं ने यह पुष्टि भी की है कि क्यूरियोसिटी ने मंगल ग्रह पर अपने लैंडिंग स्थान से लगभग 6 मीटर तक का सफर भी तय किया है.
कुछ तो है, लेकिन क्या?
लेकिन अब खबर है कि दूसरे ग्रह के यह प्राणी, जिन्हें एलियंस कहा जाता है, हर समय नासा के इस यान के आसपास ही रहते हैं. नासा की इसी क्यूरियोसिटी पर एलियन अपनी नजरें जमाए हुए हैं.
जानकारों का कहना है कि क्यूरियोसिटी ने जो तस्वीरें धरती पर भेजी हैं उनमें मंगल के आकाश में कुछ अजीब सी सफेद रोशनी नजर आती है. जिन लोगों ने यूएफओ अर्थात अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट को देखा है उनके अनुसार यह सफेद रोशनी एलियन के उन्हीं यानों की है जबकि नासा के फोटोग्राफी विशेषज्ञ इस बात को मानने से इंकार कर रहे हैं. उनके अनुसार यह कैमरे के लेंस पर पड़े दागों के कारण हुआ है. मंगल पर जीवन की तलाश करने पहुंचा यह अमेरिकी क्यूरियोसिटी रोवर, 6 अगस्त को मंगल ग्रह पर उतरा था. यान के उतरने का तरीका बिल्कुल वैसा ही था जैसा वैज्ञानिकों ने पहले ही तय किया था. एलियन की हकीकत और लाल ग्रह के रहस्य को जल्द से जल्द दुनिया के सामने लाने के लिए नासा ने वर्ष 2016 में एक और अभियान अंतरिक्ष में भेजने की घोषणा की है. नासा के अगले मिशन का नाम इनसाइट है जो यह पता लगाएगा कि मंगल की अंदरूनी परत पृथ्वी की तरह टैक्टोनिक प्लेट में क्यों नहीं बंटी हुई है.
ऐसा ही कुछ बुल्गारिया के वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है - कि एलियन धरती पर रहते हैं और उन्होंने उनके साथ सम्पर्क भी किया है। बुल्गारिया के साइंस एकेडमी के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यट के डिप्टी डायरेक्टर लचेजार फिलीपाव का कहना है कि एलियन हमेशा हमारे चारों और रहते है और हर समय हमें देखते रहते हैं। ये हमारे लिए किसी तरह का खतरा नहीं है बल्कि हमसे मदद चाहते हैं लेकिन हम अभी तक उनसे प्रत्यक्ष सम्पर्क करने का कोई तरीका नहीं खोज पाए है। निश्चित रूप से अगले दस से 15 सालों में मानव उनसे सम्पर्क करने का तरीका खोजा निकालेगा। वैज्ञानिकों ने कहना है कि इन प्राणियों ने वैज्ञानिकों के भेज गए 30 सवालों जवाब भेजे है। फिलहाल शोधकर्ता दुनियाभर में 150 क्राप सर्कल्स का अध्ययन कर रहे हैं। यहां तक कैथोलिक चर्च और वेटीकन ने भी एलियन्स के अस्तित्व पर विश्वास जताया है। वैज्ञानिकों को अन्य ग्रहों के चिन्ह मिल्की वे में मिले हैं .
true story proof - इनकी संख्या अपने तारामंडल के एक चौथाई के बराबर संभावित है , यह पहले से अनुमानित संख्या से काफी ज्यादा है . ऐसा माना जा रहा है की अपने तारामंडल में 6 के करीब बौने तारामंडल हैं जिनकी खोज होनी बाकी है ये उन दो के अलावा हैं जिनकी खोज हो चुकी है.. कुछ तारे और तारा समूह जो आपको रात में दिखाई देते हैं , वास्तव में एलियन हैं दूसरे तारामंडलों के .ये केवल उन हरे जीवों जैसे ही नहीं हैं . जैसा की फिल्मों में दिखाया जाता है .ये कहना है टेरी ब्रिज का जो की खगोलशास्त्र के विशेषज्ञ हैं किंग्स्टन की क्वीन्स विश्वविद्यालय के.आगे वे कहते हैं इन एलियन तारा समूहो ने पिछले कुछ बिलियन वर्षों में यह अतिक्रमण किया है . पहले यह केवल एक शक़ था की कुछ तारा समूह , जो की प्रत्येक 1 लाख से 10 लाख तक तारों से बने हैं , हमारे तारामंडल के बाहर के हैं , लेकिन इन्हे पहचानना कठिन था . ज्यादातर हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन से प्राप्त जानकारी से वैज्ञानिकों के समूह ने अपने तारा मंडल के पुराने तारा समूहो का परीक्षण किया . इस प्रयोग से उन्होने सबसे विस्तृत उच्च श्रेणी के एक सूचना संकलन का निर्माण किया जिसमे इनकी उम्र और रासायनिक प्रकृति का समावेश है . . इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है की मिल्की वे ने कई बौने समूहों को निगल लिया है .पाये गए एलियन समूह इन बौने समूहे के अंदर से आए हैं यह रिपोर्ट रॉयल अस्त्रोनोमिकल सोसाइटी के अगले अंक में प्रकाशित होने वाली है
नर्मदा की सैर को आते थे एलियन real aliens in india 2016 on earth
होशंगाबाद। नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के शैलाश्रयों में मिले प्राचीन शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी “एलियन” आए होंगे। संस्था का मानना है कि आदि मानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलाजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च, ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविद् मोहम्मद वसीम खान के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाडियों में मिले हैं। इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतश्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है, जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया संस्था के अनुसार प्रागैतिहासिक मानव अपने आस-पास नजर आने वाली चीजों को ही पहाड़ों की गुफाओं, कंदराओं में पत्थरों पर उकेरते थे। ऎसे में सम्भव है कि उन्होंने एलियन और उड़नतश्तरी को देखा हो। देखने के बाद ही उन्होंने इनके चित्र बनाए होंगे।
रायसेन के पास मिले शैलचित्र आदिमानव के तत्कालीन जीवन शैली से भी मेल नहीं खाते। खान के अनुसार कुछ इसी तरह के चित्र भीम बैठका और रायसेन के फुलतरी गांव की घाटी में भी मिले हैं। सबसे बड़ा रहस्य दूसरे ग्रहों पर भी जीव होने के अनुमान के आधार पर दुनियाभर में एलियन के अस्तित्व पर शोध हो रहे हैं। विभिन्न देशों में कई बार दूसरे ग्रहों से आने वाली उड़नतश्तरी (अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। इसके अलावा, कई बार एलियन को भी देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर अब तक एलियन या उड़नतश्तरी का अस्तित्व साबित नहीं हो पाया है। और शोध की जरूरत इन शैलचित्रों ने शोध की नई और व्यापक सम्भावनाओं को जन्म दिया है। इनका मिलान विश्व के अनेक स्थानों पर मिले शैलचित्रों से भी किया जाएगा। खान का अनुमान है कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों का नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक मानव से कुछ न कुछ संबंध जरूर रहा है। यह संबंध किस प्रकार का था इस पर शोध जारी है। पुरासम्पदा का खजाना कुछ दशक पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. अरूण सोनकिया ने नर्मदाघाटी के हथनौरा गांव से अति प्राचीन मानव कपाल खोजा था। उसकी कार्बन आयु वैज्ञानिकों ने साढ़े तीन लाख वर्ष बताई है। नर्मदाघाटी का क्षेत्र कई पुरासम्पदाओं का खजाना माना जाता है।
मेरे विचार से , हम एलियन से केवल कुछ वर्षो की दुरी पर है, कयोंकि जब केवल 50वर्षो में हमने इतनी उपलबधि पाई है कि एक नई दुनिया में अा गए, तो बस अब थोडे ही धीरज की जरुरत है,
ReplyDeleteध्यान देने वाली बात एलियन किसी वयकती विशेष से शारीरीक सबंध नही बना सकते , अगर वे अलग आयाम से है, कयोंकी वे अपनी खुद की साइंस के मास्टरस होंगे , उनसे ऐसी अटपटी उम्मीद करना व्यर्थ लगता है ! अगर ऐसा होता तो वे छीपे नही रह सकते थे !
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if you want to know about reality about aliens then contect me at 919808626042
ReplyDeleteif you want to know about reality about aliens then contect me at 919808626042
ReplyDeleteयेलियन है ये गारन्टी के साथ कह सकते है एक ही ग्रह पर नही बल्की क ई ग्रहो है पर ये इन्सान डरते है सायद इस लिये की ओ इन्सानो से कमजोर है ओ UFO से उडते है तो इसका मतलब ये नही की बिग्यान मे आगे है जैसे कोई कुछ जानता है तो कोई कुछ जैसे उनका खाना पीना अलग चेहरा अलग उनका ग्रह अलग तो उनका यू यफ ओ भी अलग ऊनका सिगनल भी अलग ही कोई होगा इस लिय हमारे लुकेसन मे नही आते है jitendra vishwakarma azamgarh se .email.id..jitendravishwakarma601@gmail.com
ReplyDeletemujhe lagta hi ki insan ko alien ne banaya hi kyo ki aaj tak kisi ne use nhi dekha aur vo hame is prithvi par chod diye hi ki dekhte hi ki hamre banaya hua insan kya kuch kar sakta hi.kalpna hi mera ajay take
ReplyDelete#एलियंस क्या है? | #एलियंस कहाँ है? | #Aliens
ReplyDeletehttps://youtu.be/DKujS7XYU1Q
hamare pruthvi se bahar bhi jivan ho sakta hai..muze vishwas hai ki yek din wo hamare samane jarur ayenge.
ReplyDeletebahot hi achaa article....
Aliyan ho sakte hai yah bat 2024 tak sabit ho jaygi
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