भारतीय सेना Indian Army ki jankari bharatiya sena itihas
24 January 2021
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भारतीय मिल्ट्री (आर्मी) का गठन April 1, 1895 किया गया था, भारत के राष्ट्रपति के रूप में भारतीय सेना के सर्वोच्च COMMANDANT (सेनापति) है... हमारी सेना तीन प्रमुख भगो में सेवाएं देती है -
थल सेना (Armed Forces) स्थापना -15 अगस्त 1947 – Present
जल सेना (Indian Navy)
वायू सेना (Air Force)
विश्व की विशालतम सेनाओं में से एक है. भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है की भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए और स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें.
वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियन्त्रण अँग्रेज़ों के हाथों में था. उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय बलदेव सिंह, देश के रक्षा मंत्री बने हालाँकि कमांडर-इन-चीफ़ अँग्रेज़ ही थे. 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंट मिलीं, जिनमें 2.5 लाख सैनिक थे. शेष रेजीमेंट पाकिस्तान चली गयीं. गोरखा फ़ौज़ की 6 रेजीमेंट (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं. शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये. ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी समरसाइट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी, और भारतीय भूमि से 28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई. कुछ अँग्रेज़ अफ़सर परामर्शक के रूप में कुछ समय तक भारत में रहे लेकिन स्वतन्त्रता के पहले क्षण से ही भारतीय सेना पूर्णत: भारतीयों के हाथों में आ गयी थी.
स्वतन्त्रता के तुरन्त पश्चात भारत सरकार ने भारतीय सेना के ढाँचे में कतिपय परिवर्तन किए. थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना अपने-अपने मुख्य सेनाध्यक्षों के अधीन आई. भारतीय रियासतों की सेना को भी देश की सैन्य व्यवस्था में शामिल कर लिया गया. 26 जनवरी, 1950 को देश के गणतंत्र बनाने पर भारतीय सेनाओं की सरचनाओं में आवश्यक परिवर्तन किए गये. भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भारत का राष्ट्रपति किये, किंतु देश रक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मंत्रिमंडल की है. रक्षा से स्नबन्धित सभी महत्त्वपूर्ण मामलों का फ़ैसला राजनीतिक कार्यों से सम्बंधित मंत्रिमंडल समिति करती है, जिसका अध्यक्ष प्रधानंन्त्री होता है. रक्षा मंत्री सेवाओं से स्नबन्धित सभी विषयों के बारे में सांसद के समक्ष उत्तरदायी है.
Indian Army में अलग अलग रैंक के ऑफिसर होते हैं..... इनके बीच के फर्क का पता इनके बैज को देखकर लगाया जाता है... ऐसे कैंडिडेट्स जो भारतीय सेना को ज्वाइन करना चाहते हो उन्हें इन रैंक और बैज के बीच का फर्क पता होना चाहिए सेना में कुल 19 रैंक होती हैं - 9 ऑफिसर रैंक और 10 JCO (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) / NCO (नॉन कमीशंड ऑफिसर) व अन्य....bhartiya sena itihas in hindi par nibandh
bhartiya nausena
भारतीय मिल्ट्री (आर्मी) का गठन April 1, 1895 किया गया था, भारत के राष्ट्रपति के रूप में भारतीय सेना के सर्वोच्च COMMANDANT (सेनापति) है... हमारी सेना तीन प्रमुख भगो में सेवाएं देती है -
थल सेना (Armed Forces) स्थापना -15 अगस्त 1947 – Present
जल सेना (Indian Navy)
वायू सेना (Air Force)
विश्व की विशालतम सेनाओं में से एक है. भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है की भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए और स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें.
वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियन्त्रण अँग्रेज़ों के हाथों में था. उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय बलदेव सिंह, देश के रक्षा मंत्री बने हालाँकि कमांडर-इन-चीफ़ अँग्रेज़ ही थे. 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंट मिलीं, जिनमें 2.5 लाख सैनिक थे. शेष रेजीमेंट पाकिस्तान चली गयीं. गोरखा फ़ौज़ की 6 रेजीमेंट (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं. शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये. ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी समरसाइट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी, और भारतीय भूमि से 28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई. कुछ अँग्रेज़ अफ़सर परामर्शक के रूप में कुछ समय तक भारत में रहे लेकिन स्वतन्त्रता के पहले क्षण से ही भारतीय सेना पूर्णत: भारतीयों के हाथों में आ गयी थी.
स्वतन्त्रता के तुरन्त पश्चात भारत सरकार ने भारतीय सेना के ढाँचे में कतिपय परिवर्तन किए. थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना अपने-अपने मुख्य सेनाध्यक्षों के अधीन आई. भारतीय रियासतों की सेना को भी देश की सैन्य व्यवस्था में शामिल कर लिया गया. 26 जनवरी, 1950 को देश के गणतंत्र बनाने पर भारतीय सेनाओं की सरचनाओं में आवश्यक परिवर्तन किए गये. भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भारत का राष्ट्रपति किये, किंतु देश रक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मंत्रिमंडल की है. रक्षा से स्नबन्धित सभी महत्त्वपूर्ण मामलों का फ़ैसला राजनीतिक कार्यों से सम्बंधित मंत्रिमंडल समिति करती है, जिसका अध्यक्ष प्रधानंन्त्री होता है. रक्षा मंत्री सेवाओं से स्नबन्धित सभी विषयों के बारे में सांसद के समक्ष उत्तरदायी है.
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