मकान मे मंदिर स्थान व फल ,| Ghar ke mandir kaisa hona cahea
6 December 2022
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ईशान कोण में पूजा स्थल : जिस भवन के ईशान कोण में पूजा स्थल होता है उस भवन के सदस्य बहुत ही धार्मिक विचारों के होते हैं। उस परिवार के सदस्य निरोगी होने के साथ साथ दीर्घ आयु भी प्राप्त करते है ।
Ghar mein mandir ki disha -
पूर्व दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में पूर्व दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन का मुखिया बहुत सात्विक विचारों वाला होता है। वह अच्छे कर्मों से समाज में मान सम्मान को प्राप्त करता है।
आग्नेय में पूजा स्थल: जिस भवन के आग्नेय दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन के मुखिया को बीमारियाँ घेरे रहती है। वह बहुत ही क्रोधी लेकिन निर्भीक होता है । वह स्वयं ही निर्णय लेता है और आत्मनिर्भर भी होता है ।
दक्षिण दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में दक्षिण दिशा में पूजा स्थल होता है उस घर के सदस्यों को भी तरह तरह की बीमारियाँ घेरे रहती है । उस भवन के निवासी जिद्दी, क्रोधी और भावुक होते है।
Ghar mein mandir ki disha -
पूर्व दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में पूर्व दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन का मुखिया बहुत सात्विक विचारों वाला होता है। वह अच्छे कर्मों से समाज में मान सम्मान को प्राप्त करता है।
आग्नेय में पूजा स्थल: जिस भवन के आग्नेय दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन के मुखिया को बीमारियाँ घेरे रहती है। वह बहुत ही क्रोधी लेकिन निर्भीक होता है । वह स्वयं ही निर्णय लेता है और आत्मनिर्भर भी होता है ।
दक्षिण दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में दक्षिण दिशा में पूजा स्थल होता है उस घर के सदस्यों को भी तरह तरह की बीमारियाँ घेरे रहती है । उस भवन के निवासी जिद्दी, क्रोधी और भावुक होते है।
नैत्रत्य कोण में पूजा स्थल: जिस भवन के नैत्रत्य कोण में पूजा स्थल होता है उस भवन के सदस्यों को मस्तिष्क एवं पेट संबंधी समस्यांएं होती हैं और उन लोगो के स्वभाव में धूर्तता और लालच स्वत: ही आ जाती हैं।
पश्चिम दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में पश्चिम दिशा में पूजा स्थल होता है उस घर के सदस्यों के चरित्र में दोहरापन आ जाता है । उनकी कथनी और करनी में बहुत अन्तर होता है । वह लोग धर्म लोग अपनी सुविधानुसार ही मानते है । उघर के मुखिया के स्वभाव में लालचीपन आ जाता है और वह जोड़ो के दर्द एवं पेट की गैस से पीड़ित रहता है। (यहाँ क्लिक कर जाने सुख-समृद्धि बनाए रखने के 5 चीजें जरूर रखे vastu tips)
वायव्य कोण में पूजा स्थल: जिस भवन के वायव्य कोण में पूजा स्थल होता है उस भवन के मुखिया का दिमाग अस्थिर रहता है। वह छोटी छोटी बातो पर घबरा जाता है । उसके दूसरी स्त्री के साथ सम्बन्ध होने के सम्भावना रहती है और इसी कारण उसे बदनामी भी उठानी पड़ सकती है।
उत्तर दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में उत्तर दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन के सदस्य विद्वान, बुद्धिमान और ज्ञानवान रहते है उन्हें धन सम्बन्धी भी कोई दिक्कत नहीं आती है ।
ब्रह्म स्थल में पूजा स्थल: जिस भवन में ब्रह्म स्थान में पूजा स्थल होता है वह बहुत ही शुभ माना जाता है । उस भवन के सदस्यों के मध्य प्रेम बना रहता है और उस भवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहता है।
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ghar banane ka vastuवायव्य कोण में पूजा स्थल: जिस भवन के वायव्य कोण में पूजा स्थल होता है उस भवन के मुखिया का दिमाग अस्थिर रहता है। वह छोटी छोटी बातो पर घबरा जाता है । उसके दूसरी स्त्री के साथ सम्बन्ध होने के सम्भावना रहती है और इसी कारण उसे बदनामी भी उठानी पड़ सकती है।
उत्तर दिशा में पूजा स्थल: जिस भवन में उत्तर दिशा में पूजा स्थल होता है उस भवन के सदस्य विद्वान, बुद्धिमान और ज्ञानवान रहते है उन्हें धन सम्बन्धी भी कोई दिक्कत नहीं आती है ।
ब्रह्म स्थल में पूजा स्थल: जिस भवन में ब्रह्म स्थान में पूजा स्थल होता है वह बहुत ही शुभ माना जाता है । उस भवन के सदस्यों के मध्य प्रेम बना रहता है और उस भवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहता है।
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