फ़्री फेसबुक देश के लोगो के साथ चाल Facebook's Free Basics Program
26 December 2015
आपको फेसबुक की तरफ से एक नया नोटिफिकेशन मिलेगा होगा, मुफ्त इंटरनेट के लिए। या फिर फेसबुक न्यूज फीड में आपके कई दोस्त मुफ्त इंटरनेट के लिए अपना समर्थन करते हुए दिख रहे होंगे। दरअसल सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में नया कैंपेन शुरू किया है। फेसबुक ने अपने इंटरनेट ओआरजी (Internet.org) के समर्थन में नए नाम फ्री बेसिक्स (Free basics) प्रोजेक्ट के जरिए भारतीय यूजर्स से समर्थन जुटाने के लिए इस कैंपेन को शुरू किया है।
फेसबुक ने खामोशी के साथ बिना किसी बड़ी घोषणा के ही भारत भर में अपनी Internet.Org सेवा शुरू कर दी है। इसके समर्थन के लिए फेसबुक ने इस कैंपेन को शुरू किया है, जिसके जरिए यूजर्स से Free Basics के समर्थन में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को ऑटोमैटेड मैसेज भेजने के लिए पूछा जा रहा है।
इस कैंपेन के जरिए फेसबुक यूजर्स टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को मैसेज भेज सकते हैं कि मैं भारत में फ्री बेसिक्स का समर्थन करता/करती हूं। यहां एक दिलचस्प बात और भी है। भारत में अधिकतर लोगों के लिए 'फ्री' शब्द का मतलब मुफ्त ही होता है, मुक्त नहीं। ट्राई को भेजे जाने वाला यह मैसेज है,'टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया, मैं डिजिटल समानता का समर्थन करता/करती हूं। फ्री बेसिक्स से महत्वपूर्ण इंटरनेट सर्विसेज तक फ्री पहुंच संभव हो पाती है जिसमें कम्युनिकेशन, एजुकेशन, हेल्थकेयर, इम्पलॉइमेंट, फार्मिंग आदि है। यह उनके लिए मददगार होगा जो डाटा की कीमत नहीं दे सकते या जो ऑनलाइन होने के लिए मदद चाहते हैं। और यह सभी के लिए है, जनता के लिए, डिवेलपर्स के लिए, मोबाइल ऑपरेटर्स के लिए भी। देश में अभी भी एक अरब लोग इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं है, ऐसे में फ्री बेसिक्स को बंद करने से इस कमजोर वर्ग का नुकसान होगा। मैं फ्री बेसिक्स, डिजिटल समानता का समर्थन करता/करती हूं। शुक्रिया।'
खास बात जो फेसबुक ने यूजर्स को नहीं बताई है वो यह है कि 'फ्री बेसिक्स' Internet.Org का ही दूसरा नाम है। यह ठीक वही सर्विस है जिसके खिलाफ 'Save the Internet' के तहत पिछले एक साल से नेट न्यूट्रैलिटी कार्यकर्ता लड़ रहे हैं। Internet.Org की शुरुआत फेसबुक और रिलायंस कम्युनिकेशंस की साझेदारी से हुई है जिसमें मुफ्त में बेसिक इंटरनेट मुहैया कराने की बात है। कई इंटरनेट कार्यकर्ताओं फेसबुक के खिलाफ याचिका भी दायर कर चुके थे। जिसमें कहा गया था कि फेसबुक की यह पहल नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ है। अगर Internet.org कार्यान्वित किया जाता है तो दुनिया के सबसे गरीब लोगों एक सीमित दायरे के अंदर ही कुछ वेबसाइटों और इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल कर पाएंगे गौरतलब है कि हाल ही में ट्राई ने डाटा सर्विस के अलग-अलग दाम को लेकर कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। इसमें ट्राई ने कहा है कि कुछ सेवा प्रदाता कंपनियां कुछ वेबसाइट्स, ऐप या प्लेटफॉर्म्स के लिए अलग-अलग डाटा टैरिफ दे रहे हैं। इस पर ट्राई ने 31 दिसंबर तक विचार मांगे हैं। इसी के बाद फेसबुक ने फ्री बेसिक्स के समर्थन में कैंपेन शुरू किया।
फेसबुक ने खामोशी के साथ बिना किसी बड़ी घोषणा के ही भारत भर में अपनी Internet.Org सेवा शुरू कर दी है। इसके समर्थन के लिए फेसबुक ने इस कैंपेन को शुरू किया है, जिसके जरिए यूजर्स से Free Basics के समर्थन में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को ऑटोमैटेड मैसेज भेजने के लिए पूछा जा रहा है।
इस कैंपेन के जरिए फेसबुक यूजर्स टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को मैसेज भेज सकते हैं कि मैं भारत में फ्री बेसिक्स का समर्थन करता/करती हूं। यहां एक दिलचस्प बात और भी है। भारत में अधिकतर लोगों के लिए 'फ्री' शब्द का मतलब मुफ्त ही होता है, मुक्त नहीं। ट्राई को भेजे जाने वाला यह मैसेज है,'टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया, मैं डिजिटल समानता का समर्थन करता/करती हूं। फ्री बेसिक्स से महत्वपूर्ण इंटरनेट सर्विसेज तक फ्री पहुंच संभव हो पाती है जिसमें कम्युनिकेशन, एजुकेशन, हेल्थकेयर, इम्पलॉइमेंट, फार्मिंग आदि है। यह उनके लिए मददगार होगा जो डाटा की कीमत नहीं दे सकते या जो ऑनलाइन होने के लिए मदद चाहते हैं। और यह सभी के लिए है, जनता के लिए, डिवेलपर्स के लिए, मोबाइल ऑपरेटर्स के लिए भी। देश में अभी भी एक अरब लोग इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं है, ऐसे में फ्री बेसिक्स को बंद करने से इस कमजोर वर्ग का नुकसान होगा। मैं फ्री बेसिक्स, डिजिटल समानता का समर्थन करता/करती हूं। शुक्रिया।'
खास बात जो फेसबुक ने यूजर्स को नहीं बताई है वो यह है कि 'फ्री बेसिक्स' Internet.Org का ही दूसरा नाम है। यह ठीक वही सर्विस है जिसके खिलाफ 'Save the Internet' के तहत पिछले एक साल से नेट न्यूट्रैलिटी कार्यकर्ता लड़ रहे हैं। Internet.Org की शुरुआत फेसबुक और रिलायंस कम्युनिकेशंस की साझेदारी से हुई है जिसमें मुफ्त में बेसिक इंटरनेट मुहैया कराने की बात है। कई इंटरनेट कार्यकर्ताओं फेसबुक के खिलाफ याचिका भी दायर कर चुके थे। जिसमें कहा गया था कि फेसबुक की यह पहल नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ है। अगर Internet.org कार्यान्वित किया जाता है तो दुनिया के सबसे गरीब लोगों एक सीमित दायरे के अंदर ही कुछ वेबसाइटों और इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल कर पाएंगे गौरतलब है कि हाल ही में ट्राई ने डाटा सर्विस के अलग-अलग दाम को लेकर कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। इसमें ट्राई ने कहा है कि कुछ सेवा प्रदाता कंपनियां कुछ वेबसाइट्स, ऐप या प्लेटफॉर्म्स के लिए अलग-अलग डाटा टैरिफ दे रहे हैं। इस पर ट्राई ने 31 दिसंबर तक विचार मांगे हैं। इसी के बाद फेसबुक ने फ्री बेसिक्स के समर्थन में कैंपेन शुरू किया।