आयुर्वेद शारीरिक संरचना जीवन की कल्पना पंचमहाभूत
14 November 2015
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शारीरिक संरचना (सांचा)
आयुर्वेद में जीवन की कल्पना शरीर, इंद्रियों, मन और आत्मा के संघ के रूप में है। जीवित व्यक्ति तीन देहद्रव (वात, पित्त और कफ), सात बुनियादी ऊतकों (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र) और शरीर के अपशिष्ट उत्पादों जैसे मल, मूत्र, और पसीने का एक समूह है। इस प्रकार कुल शारीरिक सांचे में देहद्रव, ऊतक और शरीर के अपशिष्ट उत्पाद शामिल हैं। इस शारीरिक सांचे और उसके घटकों की वृद्धि और क्षय भोजन के इर्द-गिर्द घूमती है जो देहद्रव, ऊतकों, और अपशिष्ट में संसाधित किया जाता है। भोजन अन्दर लेने, उसके पाचन, अवशोषण, आत्मसात करने तथा चयापचय का स्वास्थ्य और रोग में एक परस्पर क्रिया होती है जो मनोवैज्ञानिक तंत्र तथा जैव आग (अग्नि) से काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
पंचमहाभूत
Panch mahabhoot ayurved sar sangrah ebook HINDI आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर सहित ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं पाँच मूल तत्वों (पंचमहाभूतों) अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और निर्वात (आकाश) से बने हैं। शारीरिक सांचे व उसके हिस्सों की आवश्यकताओं तथा विभिन्न संरचनाओं व कार्यों के लिए अलग-अलग अनुपात में इन तत्वों के एक संतुलित संघनन की जरूरत होती है। शारीरिक सांचे की वृद्धि और विकास उसके पोषण यानी भोजन पर निर्भर करते हैं। बदले में भोजन उपर्युक्त पांच तत्वों से बना होता है, जो जैव अग्नि की कार्रवाई के बाद शरीर में समान तत्वों को स्थानापन्न व पोषित करते हैं। शरीर के ऊतक संरचनात्मक होते हैं जबकि देहद्रव शारीरिक अस्तित्व हैं जो पंचमहाभूतों के विभिन्न क्रम परिवर्तन तथा संयोजन से व्युत्पन्न होते हैं।
आयुर्वेद में जीवन की कल्पना शरीर, इंद्रियों, मन और आत्मा के संघ के रूप में है। जीवित व्यक्ति तीन देहद्रव (वात, पित्त और कफ), सात बुनियादी ऊतकों (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र) और शरीर के अपशिष्ट उत्पादों जैसे मल, मूत्र, और पसीने का एक समूह है। इस प्रकार कुल शारीरिक सांचे में देहद्रव, ऊतक और शरीर के अपशिष्ट उत्पाद शामिल हैं। इस शारीरिक सांचे और उसके घटकों की वृद्धि और क्षय भोजन के इर्द-गिर्द घूमती है जो देहद्रव, ऊतकों, और अपशिष्ट में संसाधित किया जाता है। भोजन अन्दर लेने, उसके पाचन, अवशोषण, आत्मसात करने तथा चयापचय का स्वास्थ्य और रोग में एक परस्पर क्रिया होती है जो मनोवैज्ञानिक तंत्र तथा जैव आग (अग्नि) से काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
पंचमहाभूत
Panch mahabhoot ayurved sar sangrah ebook HINDI आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर सहित ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं पाँच मूल तत्वों (पंचमहाभूतों) अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और निर्वात (आकाश) से बने हैं। शारीरिक सांचे व उसके हिस्सों की आवश्यकताओं तथा विभिन्न संरचनाओं व कार्यों के लिए अलग-अलग अनुपात में इन तत्वों के एक संतुलित संघनन की जरूरत होती है। शारीरिक सांचे की वृद्धि और विकास उसके पोषण यानी भोजन पर निर्भर करते हैं। बदले में भोजन उपर्युक्त पांच तत्वों से बना होता है, जो जैव अग्नि की कार्रवाई के बाद शरीर में समान तत्वों को स्थानापन्न व पोषित करते हैं। शरीर के ऊतक संरचनात्मक होते हैं जबकि देहद्रव शारीरिक अस्तित्व हैं जो पंचमहाभूतों के विभिन्न क्रम परिवर्तन तथा संयोजन से व्युत्पन्न होते हैं।
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