दीपक मिश्रा की जीवनी सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति विकिपीडिया deepak mishra biography hindi father family dipak misra justice


Justice दीपक मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था। 14 फरवरी 1977 में उन्होंने उड़ीसा हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1996 में उड़ीसा हाई कोर्ट का अडिशनल जज बनाया गया और बाद में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट उनका ट्रांसफर किया गया, 2009 के दिसंबर में पटना हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। फिर 24 मई 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट जज दीपक मिश्रा विकिपीडिया दीपक मिश्रा जीवनी न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा जस्टिस दीपक मिश्रा दीपक मिश्रा बायोग्राफी जगदीश सिंह खेहर दीपक मिश्रा आईपीएस
 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी। याकूब के मामले में आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी। सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी और दोनों पक्षों की दलील के बाद याकूब की अर्जी खारिज की गई थी और फिर तड़के उसे फांसी दी गई थी।

कई आदेशों को लेकर चर्चा में रहे जस्टिस दीपक मिश्र कई आदेशों को लेकर चर्चा में रहे. इनमें से कुछ फ़ैसले उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रहते हुए सुनाए तो कुछ सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए. उनके चर्चित फ़ैसलों में दिल्ली के निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सज़ा बरकरार रखना और चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी वाली वेबसाइटों को बैन करना शामिल है. केरल के सबरीमाला मंदिर के द्वार महिला श्रद्धालुओं के लिए खोलने के आदेश भी जस्टिस मिश्र ने ही दिए थे. एक नज़र उन पांच चर्चित आदेशों पर, जिनमें जस्टिस मिश्र शामिल रहे.

1. सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान अनिवार्य

30 नवंबर, 2016 को जस्टिस दीपक मिश्र की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ही यह आदेश दिया था कि पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाए और इस दौरान सिनेमा हॉल में मौजूद तमाम लोग खड़े होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 9 जनवरी, 2018 को एक अहम फ़ैसले में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.

2. एफ़आईआर की कॉपी 24 घंटों में वेबसाइट पर डालने के आदेश

7 सितंबर, 2016 को जस्टिस दीपक मिश्र और जस्टिस सी नगाप्पन की बेंच ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि एफ़आईआर की कॉपी 24 घंटों के अंदर अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें.

इससे पहले जब जस्टिस मिश्र ने दिल्ली के चीफ़ जस्टिस थे, 6 दिसंबर, 2010 को उन्होंने दिल्ली पुलिस को भी ऐसे ही आदेश दिए थे, ताकि लोगों को बेवजह चक्कर न काटना पड़े.

3. आपराधिक मानहानि की संवैधानिकता बरकरार

13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने आपराधिक मानहानि के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखने का आदेश सुनाया, उसमें जस्टिस मिश्र भी शामिल थे.

यह फ़ैसला सुब्रमण्यन स्वामी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल व अन्य बनाम यूनियन के केस में सुनाया गया था. बेंच ने स्पष्ट किया था कि अभिव्यक्ति का अधिकार असीमित नहीं है.

इमेज कॉपीरइट PTI Image caption जस्टिस दीपक मिश्र को जस्टिस खेहर के बाद सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है
4. याकूब मेमन की फांसी बरकरार

साल 1993 के मुंबई धमाकों में दोषी ठहराए गए याकूब मेमन ने फांसी से ठीक पहले अपनी सज़ा पर रोक लगाने की याचिका डाली थी.

इस मामले में 29 जुलाई 2013 की रात को अदालत खुली. सुनवाई करने वाले तीन जजों में जस्टिस मिश्र भी शामिल थे.

दलीलें सुनने के बाद सुबह 5 बजे जस्टिस मिश्र ने फैसला सुनाया, 'फांसी के आदेश पर रोक लगाना न्याय की खिल्ली उड़ाना होगा. याचिका रद्द की जाती है.'

इसके कुछ घंटों बाद याकूब को फांसी दे दी गई थी.

5. प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगाई

उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार की प्रमोशन में आरक्षण की नीति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी.

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया और सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखा.

27 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन देने से पहले सावधानी से जानकारियां जुटाई जाएं. यह फ़ैसला देने वाली दो जजों की बेंच दीपक मिश्र भी थे.

दीपक मिश्रा का अब तक का करियर
63 साल के जस्टिस मिश्र की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर हुई थी. वह 13 महीने के कार्यकाल के बाद 2 अक्टूबर 2018 को रिटायर होंगे.
साल 1953 में जन्मे मिश्र ने फरवरी 1977 में वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने लंबे समय तक उड़ीसा हाई कोर्ट और सर्विस ट्रिब्यूनल में संवैधानिक, सिविल, क्रिमिनल, राजस्व, सर्विस और सेल्स टैक्स समेत कई मामलों में वकालत की.

साल 1996 में वो उड़ीसा हाई कोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त हुए और अगले साल उनका तबादला मध्य प्रदेश हो गया. साल 1997 खत्म होते-होते वह स्थायी जज बन गए.

23 दिसंबर, 2009 को जस्टिस मिश्र ने पटना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस का कार्यभार संभाला और 24 मई, 2010 को वह दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस बन गए. 10 अक्टूबर, 2011 को उनका प्रमोशन हुआ और वह सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए.

0 Response to "दीपक मिश्रा की जीवनी सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति विकिपीडिया deepak mishra biography hindi father family dipak misra justice"

Post a Comment

Thanks for your valuable feedback.... We will review wait 1 to 2 week 🙏✅

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 1

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel